- आईटी और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो बना मूक दर्शक
- रोड की खुदाई के नाम पर गरियाबंद में हीरा तस्करों से जुड़ा रहा पूरा कारोबार का सिलसिला, ठेकेदार की भूमिका की जांच आवश्यक
- ग्राम सड़क बनाने के बजाय अकूत संपत्ति बनाकर बेटी की शादी में न्यौछावर कर दिया
- 25 वर्षो से एक ही जगह में जमे रहने वाले अधिकारी ने योजना की आड़ में बनाई संपत्ति
- शाही शादी में डेढ़ करोड़ का बंगला और चार करोड़ के जेवर देने के गवाह हैं शहर के लोग, शहर के सबसे चर्चित शादी का तमगा मिला
- सड़क निर्माण में कई हजार करोड़ का घोटाला
- अंबिकापुर में भी सड़क विकास निगम के अधिकारी आईएफएस अनिल रॉय व अन्य अधिकारियों पर जुर्म दर्ज करने का आदेश कोर्ट ने दिया था
- प्रदीप वर्मा ने फैलाया खबर रूकवाने का अफवाह - मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता लगातार जनसरोकार की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सरकार के संज्ञान में अधिकारियों के काले कारनामे को लाते रहा है। विगत दिनों जनता से रिश्ता के प्रबंध संपादक को खबरों के मामले में पीएमजीएसवाय के चीफ इंजीनियर प्रदीप वर्मा ने प्रबंधन को धमकी देते हुए मनगढंत यह अफवाह फैलाया कि सीएमओ कार्यालय से बात कर खबर को रूकवाया है। जनता से रिश्ता स्पष्ट कर देना चाहता है कि सीएमओ कार्यालय से जनता से रिश्ता प्रेस में कोई फोन खबर रूकवाने के लिए नहीं आया है। प्रदीप वर्मा अपने बड़े अधिकारियों और अधिनस्थ को अपनी खुद की बनाई कहानी सुना रहे है, जो सत्य नहीं है। जनता से रिश्ता अपनी टैग लाइन पर काम करता रहा है और करता रहेगा, जो दिखेगा वो छपेगा।
- ठेकेदारों के साथ मिल कर सड़क निर्माण के आड़ में हीरा तस्करी की आशंका
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चीफ इंजीनियर के भ्रष्टाचार से कमाई और शानो-शौकत के किस्से बयां करते लोग नहीं थकते है। लग्जरी लाइफ स्टाइल और कारों की लंबी लाइन के साथ नौकर-चाकरों की भीड़ किसी राजा महाराजा से कम नहीं है। बेटी की शाही शादी में करोड़ों खर्च करने वाले पर इनकम टैक्स और स्थानीय आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो एक चीफ इंजीनियर को भ्रष्टाचार की कमाई लुटाते देखते रहा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के चीफ इंजीनियर प्रदीप वर्मा ने 25 सालों में किस कदर कमाई की है इसका सबूत उनकी पुत्री के विवाह में देखने को मिला। जानकार सूत्र बताते हैं कि उन्होंने अपने पुत्री को दहेज़ के रूप में रायपुर में एक करोड़ पचास हजार का घर और लगभग चार करोड़ की ज्वेलरी दहेज़ के रूप में दिया है। लोग बताते हैं कि पिछले 25 वर्षो के गरियाबंद के कार्यकाल में प्रदीप वर्मा ने सिर्फ सड़क ही नहीं बयाया है बल्कि देवभोग के आसपास रोड के नाम पर खुदाई कर हीरा भी निकलवाया है। सड़क के नाम पर आजूबाजू की मिटटी की खुदाई कर करोड़ों रूपये शासन को चूना लगाया है। मिट्टी खुदाई का भी पैसा लिया गया है और मिट्टी ढुलाई का भी। जनता के पैसे का खुलेआम दुरूपयोग किया। कोई देखने वाला नहीं। छत्तीसगढ़ को चारागाह समझकर चरने वाले ग्राम सड़क का पूरा पैसा हजम कर लिया। विभाग के बड़े अधिकारियों ने भी संज्ञान नहीं लिया। एक प्रकार से ये मुख्यमंत्री और सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा हैं।
प्रदीप वर्मा बने हैं सरकारी दामाद
25 साल में प्रदेश का विभाजन होकर छत्तीसगढ़ बन गया सरकार आई और चली गई लेकिन प्रदीप वर्मा को गरियाबंद का सरकारी दामाद घोषित कर कमाई की खुली छूट दे दी गई। सरकार के साथ पार्टी भी बदल गई, अधिकारी बदल गए, आमआदमी और जनता की पीढ़ी बदल गई, जनता के अधिकार बढ़ गए, लेकिन प्रदीप वर्मा अपनी जगह 25 साल से डटे रहे किसी भी सरकार ने हटाने की हिम्मत नहीं दिखाई, भाजपा सरकार ने हटाने की कोशिश की तो उनकी सरकार ही हट गई। न जाने प्रदीप वर्मा ने सरकार पर कौन सा जादू कर दिया है, सरकार बदलने के बावजूद प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की बदली होती रही लेकिन प्रदीप वर्मा वैसे ही एक जगह जमे रहे, बड़े अधिकारी वर्षों से जमे गरियाबंद के प्रदीप वर्मा और अभनपुर के आरएस चौरसिया, सड़क विकास निगम के आईएफएस अनिल राय जैसे अधिकारी है जिनको हटाने की हिम्मत भी नहीं दिखा पा रहे है। लगता है पीके वर्मा सहित इन अधिकारियों को सरकारी दामाद होने का पट्टा दे दिया गया है। तीन सरकार बदलने के बावजूद एक ही जगह पदस्थ रहने वाले अधिकारी का सिर चढ़कर जादू बोल रहा है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की खस्ताहाल योजनाओं को अधिकारीगण अपनी जेब भरने के अलावा कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया, जिससे करोड़ों रुपए की सड़क का निर्माण ग्रामीण स्तर में देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना घोटाला की अगर गंभीरता से जांच की जाए तो प्रदेश के सभी संभाग के अधिकारी इस घोटाले की चपेट में आएंगे । प्रदेश भर में जितनी भी सड़कों का निर्माण हुआ है और सरकार ने जनता के पैसा जो सड़क में लगाया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दो बार पृथ्वी से चांद की दूरी सड़क निर्माण करके पूरी की जा सकती थी, उतना पैसा प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना में घपला और घोटाला हुआ है । विभाग के मंत्री को यह भी नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री सड़क योजना में कितनी सड़क प्रदेश में निर्माण हुई और उसका भौतिक सत्यापन और ऑडिट कब और कैसे हुआ। किस आधार पर टेक्निकल टीम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सर्टिफिकेट दिया सब जांच का विषय है?
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। इतना सब होने के बावजूद उच्च अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। अभी हाल में ही अंबिकापुर में रिंग रोड निर्माण में भी जमकर लूट खसोट का समाचार जनता से रिश्ता ने प्रकाशित किया था। एक वकील ने कोर्ट में याचिका लगाया तब जाकर कोर्ट ने आइएफएस अधिकारी अनिल रॉय सहित कई अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
निर्माण कार्यों की नहीं हो रही मानिटरिंग
केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं।
एक भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है. ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।
केन्द्र-राज्य सरकार करें जांच
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भ्रष्टाचार की जांच करनी चाहिए। एसई, ईई, एसडीओ, ठेकेदार के साथ विभाग के उच्चाधिकारी सीईओ और टेंडर डिपार्टमेंट की मिलीभगत से ही हजारों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। योजना के तहत बनाई गई सड़कों की सही मानिटरिंग और निर्माण कार्य की जांच नहीं होने से अधिकार-ठेकेदार बेखौफ हो कर सरकारी रकम डकार रहे हैं। केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियों ईडी, आईटी और सेंट्रल विजिलेंस को स्वत: योजना में लगे अधिकारी और ठेकेदारों की संपत्ति की जांच करनी चाहिए। वहीं राज्य सरकार को भी अपनी जांच एजेंसियों के माध्यम से अलग से जांच कर अनियमितता करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-
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