छत्तीसगढ़

भाजपा का सत्ता में वापसी करने वाला बदलाव

Nilmani Pal
19 Aug 2022 6:02 AM GMT
भाजपा का सत्ता में वापसी करने वाला बदलाव
x

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

भाजपा हाईकमान नेे सत्ता में वापसी के लिए अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को बदलकर चुनावी मैदान में उतरने की ताल ठोंक दी है। वहीं अब जिला मंडल, प्रकोष्ठ, महिला मोर्चा के अध्यक्ष बदलने की शुरूआत जल्द होने वाली है। जो काम प्रदेश अध्यक्ष रहते साय नहीं कर पाए वह काम अरूण साव को कमान देकर दिल्ली से शुरू कर दी है। दोनों ही नेता का चयन दिल्ली से हुआ है, प्रदेश भाजपा कार्यालय में तो मात्र हाथ उठाकर समर्थन दिया गया। भाजपा लगातार 15 साल तक सत्ता में रही 2018 की चुनावी हार के सदमे से निकलने के लिए अपने ही सेकंड लाइन के नेताओं को फ्रंट लाइन में लाने की कवायद के साथ पूरे घर की लाइट बदलने की ठान ली है। भाजपा को मिली हार से कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी थी। हार के बाद यह नाराजगी नेताओं के सामने भी फूटकर आ रही थी।17 दिसम्बर 2018 को नई सरकार का गठन हो गया। भाजपा विधायक दल का नेता नहीं तय कर पा रही थी। लगातार नेताओं के दिल्ली दौरे हो रहे थे। दिसम्बर के आखिर में विधायक दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष तय होना था, लेकिन विवाद की वजह से इसे टाल दिया गया। कहा गया, केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त नहीं हो पाए थे। जनवरी 2019 के पहले सप्ताह में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और डॉ. अनिल जैन पर्यवेक्षक बनकर आए और धरमलाल कौशिक को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। उनके नाम का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह लाए थे। अब उनके मंत्रिमंडल में रहने वाले और करीबी लोगों को ही फ्रंट लाइन में जगह नहीं मिल रही है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यदि यही सब सत्ता वापसी का हिस्सा था, तो इतना इंतजार क्यों किया गया। साव और चंदेल को पहले ही कमान सौंपना था।

चुनावी घोषणापत्र समिति से टीएस को बाहर रखने का प्रस्ताव

राजनीति की गणित सबसे कठिन तब हो जाता है जब समीकरण बिगड़ जाता है। कांग्रेस आसन्न चुनाव को लेकर समीकरण बैठाने की गरज से चुनावी घोषणा समिति से टीएस सिंहदेव को बाहर रखना चाहती है। अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके लिए कांग्रेस ने संगठन का नया व्याकरण बनाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक मामलों की समिति की घोषणा हो गई। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को बाहर किया गया है। उनकी जगह पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन को शामिल किया गया है। वहीं कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र समिति से वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव को बाहर रखने का प्रस्ताव दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेसियों को लगने लगा है कि है कि कही बाबा चुनावी घोषणा समिति में रहे तो कोई ऐसी घोषणा करवा देंगे जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। कांगे्रसियों को निगेटिव नहीं पाजीटिव सोचना चाहिए, ये वही बाबा है जो जय-बीरू बनकर भाजपा पर टूट पड़े थे। फिर बाबा से डरने की जरूरत ही नहीं। क्या भूल गए भूपेश है तो भरोसा है।

जमीन तलाशने आ रहे नड्डा और शाह

छत्तीसगढ़ में चुनावी शंखनांद भले ही नहीं हुआ हो लेकिन नेताओं ने प्रदेश की गरमाहट बढ़ा दी है। भाजपा और कांग्रेस ने 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। बीजेपी की जमीन तलाशने जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ आ रहे हैं वहीं कांग्रेस ने भी दिग्गज नेताओं की राजनीति समिति बना दी है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी औैर क्षेत्रीय संगठन महामंत्री के लगातार दौरे के बाद अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 26 औैर 27 अगस्त को छत्तीसगढ़ के दौरे पर रहेंगे। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर भी हलचल तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि 15 साल की सत्ता गंवाने के बाद भाजपा साढ़े तीन साल में कोई ऐसा बड़ा काम नहीं कर पाई है जिससे कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सके या फिर उसे बैकफुट पर धकेला जा सके। इस बीच नड्डा के दौरे ने राजनीतिक सरगर्मी औैर बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि नड्डा अपने प्रवास के दौरान बूथों की मजबूती पर पूरा फोकस करेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मृतप्राय: भाजपा में जान फूंकना अच्छी बात है, लेकिन जो लोग साढ़़े तीन साल तक घर से नहीं निकल सके, उनमें कैसे जान फूंकेगी। जिसके कारण भाजपा 20 साल पीछे चला गया है उसकी वापसी कैसे होगी। कोई ऐसा चेहरा भी नहीं जो सीएम प्रोजेक्ट हो सके। भाजपा ने पहले ही तय कर दिया है कि सीएम चेहरा कमल निशान होगा। उस कमल को 90 तालाबों में कैसे खिलाओगे? यहां तो 76 तालाबों में सूखा है।

सीएम की स्वागत योग्य पहल

पत्रकारों के लिए स्वास्थ्य बीमा की सीएम भूपेश की पहल स्वागत योग्य है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पत्रकारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिलाने के लिए जल्द पहल की जाएगी। पत्रकारों की इस मांग का अध्ययन कर शीघ्र उचित निर्णय लिया जाएगा। वर्तमान में मरीजों के इलाज के लिए सहायता उपलब्ध कराने राज्य शासन द्वारा योजनाएं संचालित की जा रही है। ये देखेंगे कि पत्रकारों को इन योजनाओं के माध्यम से कवर किया जा सकता है या नहीं अथवा इसके लिए बजट में अलग से मद का प्रावधान करने की आवश्यकता पड़ेगी। इस संबंध में जो भी कदम उठाने होंगे, वे अवश्य उठाए जाएंगे। जरूरी हुआ तो विधानसभा में भी इसे लाएंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा तो कह-कह कर रह गई, लेकिन भूपेश सरकार उससे आगे बढ़कर कुछ तो करना चाहती है। जिससे पत्रकारों के परिवार को फायदा मिल सके।

शराबबंदी समिति में अब तो ले लो भाजपाइयों को

भाजपा हाईकमान ने डा. रमनसिंह मंत्रिमंडल के किसी भी सदस्य को पार्टी के प्रमुख पदों पर जगह नहीं दी है। इसे लेकर कांगे्रसियों का मानना है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की अनुशंसा के लिए गठित राजनीतिक समिति की में भाजपाइयों को तो ले ही लेना चाहिए। जिससे गम गलत हो सके। समिति के अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि पूर्ण शराबबंदी के लिए की जाने वाली आवश्यक तैयारी के अध्ययन के लिए दल का गठन किया जाएगा। अध्ययन दल द्वारा अन्य राज्यों जहां वर्तमान में पूर्ण शराबबंदी लागू है, ऐसे राज्य जहां पूर्ण शराबबंदी लागू थी लेकिन बाद में शराब का विक्रय फिर से प्रारंभ किया गया का दौरा किया जाएगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि 15 साल राज करने वाले भी हमारे प्रदेश के नेता थे, उन्हें भी इस नेक काम में शामिल कर भूपेश सरकार राजनीतिक सूचिता का परिचय देना चाहिए।

बलात्कारियों का स्वागत क्यों

देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के कारण यह दिन ऐतिहासिक था, लाल किले के प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी ने नारी शक्ति के महत्व के बारे में बताया था,लेकिन दुर्भाग्य से उसी दिन बलात्कारियों को माफी देकर घर भेज दिया गया।जबकि दुष्कर्म और उम्र कैद की सजा वाले की रिहाई पर रोक थी, फिर किस बिला पर उन्हें रिहा किया गया। समझ से परे है। बिलकिस बानो रेप कांड के 11 आरोपियों की रिहाई के बाद उनका स्वागत ऐसे किया गया जैसे वो बार्डर से जंग जीत कर आए हो। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बलात्कारी तो बलात्कारी है इनके ऐसे नहीं छोडऩा चाहिए था, दोबारा वो फिर घटना को अंजाम नहीं देंगे, इसकी गांरटी कौन लेगा।

Next Story