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छत्तीसगढ़
बिलासपुर। सरकारी कर्मचारियों को शासन ने हफ्ते में दो दिन की छुट्टी दी है। लेकिन ये छुट्टी आम नागरिकों के लिए जी का जंजाल बन गई है। शासन ने शनिवार-रविवार की छुट्टी देने के साथ ये शर्त रखी कि अधिकारी-कर्मचारी सुबह 10 बजे अपने काम पर पहुंच जाएंगे और शाम को पांच बजे आफिस से चले जाएंगे।
लेकिन अफसर कर्मचारी इस व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे हैं। किसी भी कार्यालय में सुबह 10 बजे अफसर, कर्मचारी नहीं दिखते। इनकी मनमर्जी को रोकने के लिए कुछ साल पहले आफिसों में बायोमेट्रिक सिस्टम लगा था। लेकिन कोरोना के कारण उसे भी दो साल पहले बंद कर दिया गया है। ऐसे में मेनुअल हाजिरी होने से इन अफसरों की मनमर्जी चल रही है।
सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की उदासीनता ने सरकारी नियमों को तोड़ रखा है। राज्य शासन ने सभी सरकारी सेवकों को 100 फीसद उपस्थिति के साथ कार्यालयों में हाजिरी देनी कहा था। पर यहां मामला कुछ और ही चल रहा है। आने-जाने के लिए मजबूत निगरानी सिस्टम नहीं होने से यहां जब चाहे आओ और जब चाहे जाओ का फार्मूला चल रहा है।
सरकारी कार्यालयों में बायोमेट्रिक सिस्टम तक नहीं है। घंटे-घंटे का हिसाब करके ही सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों को शनिवार व रविवार की छुट्टी तो दे दी है, लेकिन अभी भी कामकाज पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। ऐसे में सरकार की नई व्यवस्था का फायदा अधिकारियों-कर्मचारियों को तो मिल रहा है पर आम जनता के लिए महीने में दो दिन की कटौती कर दी गई है।
धूल खा रही मशीन
राज्य सरकार ने लाखों रुपये खर्च करने के बाद सरकारी विभागों में बायोमेट्रिक मशीन लगाई थी। ताकि अधिकारी कर्मचारी समय पर कार्यालय पहुंच कर काम शुरू कर दें। आम लोगों के काम पर ध्यान दे सकें। लेकिन इस मशीन का उपयोग कुछ माह तक ही किया गया। इसके बाद किनारे कर दिया गया। पहले की तरह अधिकारी कर्मचारी मनमुताबिक कार्यालय पहुंचते हैं। अब बायोमेट्रिक मशीन धूल खा रही है।
Shantanu Roy
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