छत्तीसगढ़

CG शराब घोटाले से जुड़ी बड़ी खबर, IAS पर कसा शिकंजा, सियासी बवाल शुरू

jantaserishta.com
27 Sep 2024 6:30 AM GMT
CG शराब घोटाले से जुड़ी बड़ी खबर, IAS पर कसा शिकंजा, सियासी बवाल शुरू
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रायपुर: छत्तीसगढ़ आबकारी घोटाले से झारखंड के तार जुड़ें है। छत्तीसगढ़ आबकारी घोटाले के संबंध में झारखंड में रायपुर की EOW और ACB ने नई एफआईआर दर्ज की है। धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचाने की धाराओं में केस दर्ज हुआ है। ये केस झारखंड के CM के पूर्व सचिव आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और आबकारी के संयुक्त आयुक्त रह चुके झारखंड के ही अफसर गजेंद्र सिंह के खिलाफ हुई है।
इन दोनों पर भ्रष्टाचार और सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में आने वाले दिनों में कई गिरफ्तारियां होने की संभावना है। FIR दर्ज होने के बाद झारखंड में सियासी बवाल शुरू हो चुका है। झारखंड के पूर्व CM और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कई तरह के आरोप सोरेन सरकार पर लगाए हैं। जिन अधिकारियों पर FIR दर्ज की गई है इनसे ED ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में भी पूछताछ की थी।
ताजा FIR में झारखंड आईएएस विनय कुमार चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा के अलावा झारखंड में शराब आपूर्ति, मैनपावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। यह एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धारा 420, 120 बी के तहत दर्ज की गई है।
एफआईआर में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई करने वाले सिंडिकेट से कथित तौर पर जुड़े रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढबेर समेत अन्य ने झारखंड में भी कारोबार के लिए जनवरी 2022 में विनय कुमार चौबे समेत झारखंड के आबकारी अफसरों के साथ मिलकर शराब बिक्री का नियम बनवाया। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया। त्रिपाठी को 1.25 करोड़ का भुगतान झारखंड ने किया। एफआईआर में कहा गया है कि विनय चौबे, गजेंद्र सिंह ने सिंडिकेट को लाभ दिखाने के लिए मदिरा सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली।
एफआईआर में जिक्र है कि शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड को 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ। एसीबी छत्तीसगढ़ में शिकायत के बाद हुई शुरुआती जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों से करोड़ों का कमीशन लिया गया। एफआईआर में जिक्र है कि पूर्व में जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया नाम के कारोबारी के कब्जे में डायरी मिली थी। इस डायरी में छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में शराब कारोबार में कब्जे की योजना दर्ज थी।
झारखंड के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने FIR दर्ज होने के बाद दिए बयान में कहा- घोटालों, चोरी और धोखाधड़ी के लिए कुख्यात हेमंत सोरेन सरकार जाते-जाते एक बार फिर से बड़ा शराब घोटाला करने की तैयारी में है। ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाने की आदत से मजबूर हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार शराब नीति बदलकर चुनाव के लिये कालाधन जुटाना चाहते हैं।
पिछली बार इसमें छत्तीसगढ़ के शराब माफिया शामिल थे, जबकि इस बार पंजाब और हरियाणा के शराब माफियाओं को लाने की योजना बन रही है। इस घोटाले की पटकथा भी बिरसा मुंडा जेल से लिखी जा रही है। इस बार घोटाले का मुख्य मकसद चुनाव के लिए भारी फंड जुटाना और चुनाव के समय गाँव-गाँव में शराब बाँटना है।जिस सरकार का कार्यकाल दो महीने बचा है वह अगले तीन साल के लिये शराब दुकान का ठेका परोक्ष रूप से पंजाब-हरियाणा वालों को सौंप कर मोटा काला धन वसूलना चाहती है।
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