प्रदेश में शिक्षा का अधिकार (आर.टी.ई.) अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को दी जाने वाली राशि अब सीधे उनके बैंक खातों में उपलब्ध करायी जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आर.टी.ई. अधिनियम के लागू होने के बाद अशासकीय विद्यालयों में प्रवेशित कराए गए 25 प्रतिशत छात्रों का भुगतान जिला स्तर पर आबंटन उपलब्ध कराकर किया जाता था। शिक्षा के अधिकार के तहत गरीबी रेखा श्रेणी के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जाता है और इन बच्चों की फीस राज्य शासन द्वारा प्रदान की जाती है।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस निर्णय से हितग्राही विद्यालयों को बिना किसी भेदभाव के एक ही समय में सीधे उनके खाते में राशि उपलब्ध होगी। इस प्रक्रिया से कई लाभ होंगे सर्वप्रथम धनराशि के राज्य कार्यालय से विद्यालय तक पहुंचने में लगने वाले समय अंतराल में कमी होगी। इसके अलावा सभी संस्थान एवं कार्यालय इस बात को जांच सकेंगे कि, जिले में प्रत्येक विद्यालयवार कितनी राशि की उपलब्ध करायी गई है और भविष्य में कितनी राशि का भुगतान देना शेष है। इसके परिणामस्वरूप अनुदान की दूसरी किस्त जारी करते समय जिलों एवं संस्थाओं से राशि की मांग की जानकारी प्राप्त किया जाना अपेक्षित नहीं होगा। इस प्रकार यह प्रक्रिया सतत् उपयोगी एवं यूजर फ्रेण्डली होगी। इससे भविष्य में केन्द्र शासन से भी राशि प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। प्रत्येक सत्र में यह आंकलन किया जा सकेगा कि, राज्य के लगभग छह हजार निजी विद्यालयों को आर.टी.ई. के तहत कितनी राशि की वास्तविक आवश्यकता है।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शिक्षा सत्र 2018-19 के लिए 1932 निजी विद्यालयों को 45 करोड़ रूपए की राशि बैंक के माध्यम से सीधे उनके खातों में जमा की जा रही है। शिक्षा सत्र 2020-21 की राशि भी शीघ्र ही विद्यालयों के खातों में जमा की जाएगी।