छत्तीसगढ़

मरवाही में भूपेश की 'बरवाही' तय ?

Admin2
19 Oct 2020 5:47 AM GMT
मरवाही में भूपेश की बरवाही तय ?
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पूर्व मुख्यमंत्री जोगी के इलाके में चुनावी घमासान

पूर्व मुख्यमंत्री जोगी के इलाके में चुनावी घमासान

मरवाही से लौटकर ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के गृह इलाके मरवाही में इन दिनों चुनावी घमासान मचा हुआ है। स्क्रूटनी के बाद मरवाही उपचुनाव के मैदान में कांग्रेस के डा. केके ध्रुव और भाजपा के डा. गंभीर, दानीकुंडी सेमरदर्री से भानुप्रतापसिंह और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से महिला के साथ कुछ निर्दलीय भी चुनाव को रोचक बना दिया लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही नजर आ रहा है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मरवाही विधानसभा उपचुनाव में 1.91 लाख मददाता जिसमें 43 800 पुरुष और 97397 महिला मतदाता प्रत्याशियों की तकदीर का फैसला करेंगे। मतदान 3 नवंबर को और परिणाम 10 नवंबर को आएंगे। नाम वापसी का आज अंतिम दिन है। कौन किसके पक्ष में नाम वापस लेता है, शाम तक निर्वाचन आयोग नामों को जारी करेगा। अमित और ऋचा के साथ 6 निर्दलियों का नामंकन निरस्त हो चुके है। मरवाही में इन दिनों सिर्फ और सिर्फ चुनावी रंग जमा हुआ है। चारों तरफ जिधर देखो उधर भूपेश बघेल की मांग है। मरवाही के लोगों को मिली सौगात का आभार व्यक्त करने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पलक पावड़े बिछाकर इंतजार कर रहे है। मरवाही से लगे गांवों में एवं विधानसभा के अंतर्गत ग्रामों जैसे बसंतपुर मेंड़ी, सेवरा व मझगंवा, कटरा, बेझरिया और आसपास गांव में सिर्फ भूपेश बघेल की मांग है। मरवाही की जनता ने तय कर लिया है कि इस बार भूपेश बघेल को बरवाही देकर ही रहेंगे। ग्रामीणों से चर्चा करने पर बताया कि हम लोगों को विकास चाहिए जो सिर्फ भूपेश सरकार ही कर सकती है। जिला बनाकर तो मान बढ़ा दिया है अब विकास कर आने वाली पीढ़ी का मान बढ़ाएंगे।

मरवाही में अजीत जोगी युग का अंत हो गया है। अमित जोगी अजीत जोगी की खाली जगह भर पाएंगे उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी है। अब देखना है कि अमित जोगी किस पार्टी को सपोर्ट कर रहे है। वेसे कांगरेस और भाजपा दोनों इनकी जाति को लकेर शिकायत कर चुके है। भाजपा तो इस मामले में दो फाड़ हो चुका है। ननकी राम कंवर और नंद कुमार साय सहित की नेता नकली आदिवासी करार दे चुके है। ऐसी स्थिति को देखते हुए आगे क्या होगा,लेकिन अब हालात ये बयां कर रहे हैं कि बाजी भूपेश बघेल के पक्ष में नजर आ रहा है।

मरवाही-पेंड्रा-गोरेला को संयुक्त जिला बनाने के बाद लगातार विकास योजनाओं की सौगात देकर इस आदिवासी क्षेत्र के नागरिकों को सीएम ने मालामाल कर दिया है। अब चुनाव के बाद मरवाही में विकास की बरवाही साफ दिखाई देने लगेगी। वैसे भी सीएम कह चुके है कि मरवाही कांग्रेस की परंपरागत सीट है जिसमें कांग्रेस की जीत तय है। राजनेताओं की अपनी कोई न कोई खास खासियत होती है, यहीं खासियत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल में अब हर जगह दिखाई दे रहा है। जिसका विपक्ष भी कायल हो चुका है। मुख्यमंत्री पिछले दो साल के कार्यकाल में विनम्रता, सहजता, सरलता के साथ बड़े-बड़े विकट समस्या को मुस्कुराते हुए हल करने में महारत हासिल कर चुके है। कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई में कांग्रेस ज्यादा ताकतवर दिखाई दे रही है।

वर्तमान में मरवाही उपचुनाव के कराण छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिज़़ा बदली हुई नजऱ आ रही है। कांग्रेसी नेताओं को भूपेश बघेल के नेतृत्व में अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नजऱ आ रहा है यही कारण है कि पाला बदलने में नेता देर नहीं कर रहे हैं। चाउर वाले बाबा के बाद अब भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में किसानों और गरीबों के मसीहा बन गए हंै। छत्तीसगढ़ के किसानों और मजदूरों के लिए भूपेश बघेल ने अपना खजाना खोलने में कतई देर नहीं की । वादे के मुताबिक किसानों के लिए राजीव न्याय योजना लाकर उनकी बची हुई राशि भी दिया, साथ ही मजदूरों के लिए भी भूपेश बघेल के कई योजना लाकर उन्हें खुश कर दिया हैं। भूपेश बघेल के संघर्ष के दिनों में जो लोग उनके पास नहीं फटकते थे, आज इर्द-गिर्द नजऱ आ रहे है और काफी नेतागण पास आने में लालायित हैं। क्योंकि इन्हें भूपेश बघेल के छत्रछाया में रहने में ही अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नजऱ आ रहा हैं। भूपेश बघेल के नेतृत्व में दंतेवाड़ा उपचुनाव परिणाम जनता देख चुकी है, अब मरवाही की बारी है। दंतेवाड़ा में भीमा मंडावी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में जिस तरह से सहानुभूति लहर काम नहीं आई, उसी तरह मरवाही में भी सहानुभूति लहर की झलक नहीं दिख रही है। वही भूपेश सरकार द्वारा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का गठन कर उसके बाद वहां विकास कार्यों की बहाई गई गंगा से वहां के मतदाता कांग्रेस की ओर रूझान दिखने लगा हंै। उपचुनाव की घोषणा से ठीक पहले बड़ी संख्या में जोगी कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा कांग्रेस प्रवेश करने से मतदाताओं की मंशा समझा जा सकता है। जिसे कोई सहानुभूति लहर बदल दे, ऐसा नहीं लगता। इसी विकास की गंगा में कुछ बड़े नेता जो निष्ठा बदलने के लिए जाने जाते है वो भी डुबकी लगाकर तर गए और कई नेता तरने के लिए आतुर है। क्योंकि उनको भूपेश बघेल के सानिध्य में सुरक्षित राजनीतिक भविष्य दिख रहा है। (शेष अंतिम पृष्ठ पर)

जनता दंतेवाड़ा के चुनाव परिणाम से भली भांति परिचित है वहां के भाजपा विधायक की नक्सली हमले में मृत्यु के बावजूद वहां सहानुभूति लहर नहीं चली बल्कि लोगों को भूपेश बघेल में विकास की गंगा बहाने की क्षमता दिखी इसी क्षमता का आंकलन कर क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को ध्यान में रखकर दंतेवाड़ा के मतदाताओं ने एक तरफा भूपेश बघेल पर भरोसा जताया । कमोबेश यही स्थिति मरवाही में भी नजऱ आ रही है। चूंकि भूपेश बघेल अपने संघर्ष के दिनों में आम जनता के करीब होते थे, उस समय जो भरोसे का बीज उन्होंने बोया था आज उसकी फसल लहलहा रही है।

ग्रामीणों से चर्चा करने पर बताया कि वे गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला बनने से काफी खुश है, उन्हें हर छोटी बड़ी काम के लिए जिला मुख्यालय बिलासपुर जाना पड़ता था, अब घर बैठे उनका काम होगा। इससे उनके समय और पैसा भी बचेगा। कुल मिलाकर भूपेश बघेल ने साबित कर दिया है कि चुनाव जीतने के लिए हवा-हवाई योजना नहीं, बल्कि सरकार की योजनाओं से समाज के अंतिम व्यक्ति को लाभ पहुंचाना आवश्यक हंै, जो भूपेश सरकार पिछले दो सालों से कर रहे है। जनता का विश्वास तो 2018 में जाग गया था, मरवाही तो मात्र पुरौनी है।

ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता अब चेहरा नहीं बल्कि विकास को देखकर फैसला लेती है। जिस प्रकार भूपेश बघेल फैसला लेते है, उससे प्रदेश के किसानों और मजदूरों में उत्साह दोगुना नजर आ रहा है। भूपेश बघेल के फैसले से किसानों और मजदूरों को सीधा लाभ पहुंच रहा है, इतना ही नहीं भूपेश बघेल तो स्वयं एक किसान है, उन्हें किसानों के दर्द को समझने में देर नहीं लगती, 15 वर्ष राजनीतिक वनवास काल में सिर्फ और सिर्फ किसानों और गरीबों के आवाज बनकर रहे। किसानों के लिए पदयात्रा, आंदोलन कर जनता के दुख-दर्द को नजदीक से जाना व समझा, यही वजह है कि समाज का हर वर्ग, चाहे वह किसान हो, मजदूर हो, छात्र हो, या नौकरी पेशा हो, सभी को ध्यान में रखकर फैसला लेते आ रहे है। नरवा, घुरवा, गरुवा, बारी और धरसा योजना व गोबर खरीदी योजना इसका प्रत्यक्ष उदहारण है। सोलर वाटर पंप को बड़े पैमाने पर लगाने की कार्ययोजना बनाकर किसानों को आर्थिक तंगी से मुक्त करने वाले छत्तीसगढ़ माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की अस्मिता, गौरव, परम्परा और तीज़-त्योहारों पर भी भरपूर ध्यान रखकर समाज में विकास की नई किरण के साथ उजाला बिखेर रहे हैं।

जनता दंतेवाड़ा के चुनाव परिणाम से भली भांति परिचित है वहां के भाजपा विधायक की नक्सली हमले में मृत्यु के बावजूद वहां सहानुभूति लहर नहीं चली बल्कि लोगों को भूपेश बघेल में विकास की गंगा बहाने की क्षमता दिखी इसी क्षमता का आंकलन कर क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को ध्यान में रखकर दंतेवाड़ा के मतदाताओं ने एक तरफा भूपेश बघेल पर भरोसा जताया । कमोबेश यही स्थिति मरवाही में भी नजऱ आ रही है। चूंकि भूपेश बघेल अपने संघर्ष के दिनों में आम जनता के करीब होते थे, उस समय जो भरोसे का बीज उन्होंने बोया था आज उसकी फसल लहलहा रही है।

ग्रामीणों से चर्चा करने पर बताया कि वे गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला बनने से काफी खुश है, उन्हें हर छोटी बड़ी काम के लिए जिला मुख्यालय बिलासपुर जाना पड़ता था, अब घर बैठे उनका काम होगा। इससे उनके समय और पैसा भी बचेगा। कुल मिलाकर भूपेश बघेल ने साबित कर दिया है कि चुनाव जीतने के लिए हवा-हवाई योजना नहीं, बल्कि सरकार की योजनाओं से समाज के अंतिम व्यक्ति को लाभ पहुंचाना आवश्यक हंै, जो भूपेश सरकार पिछले दो सालों से कर रहे है। जनता का विश्वास तो 2018 में जाग गया था, मरवाही तो मात्र पुरौनी है। ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता अब चेहरा नहीं बल्कि विकास को देखकर फैसला लेती है। जिस प्रकार भूपेश बघेल फैसला लेते है, उससे प्रदेश के किसानों और मजदूरों में उत्साह दोगुना नजर आ रहा है। भूपेश बघेल के फैसले से किसानों और मजदूरों को सीधा लाभ पहुंच रहा है, इतना ही नहीं भूपेश बघेल तो स्वयं एक किसान है, उन्हें किसानों के दर्द को समझने में देर नहीं लगती, 15 वर्ष राजनीतिक वनवास काल में सिर्फ और सिर्फ किसानों और गरीबों के आवाज बनकर रहे। किसानों के लिए पदयात्रा, आंदोलन कर जनता के दुख-दर्द को नजदीक से जाना व समझा, यही वजह है कि समाज का हर वर्ग, चाहे वह किसान हो, मजदूर हो, छात्र हो, या नौकरी पेशा हो, सभी को ध्यान में रखकर फैसला लेते आ रहे है। नरवा, घुरवा, गरुवा, बारी और धरसा योजना व गोबर खरीदी योजना इसका प्रत्यक्ष उदहारण है। सोलर वाटर पंप को बड़े पैमाने पर लगाने की कार्ययोजना बनाकर किसानों को आर्थिक तंगी से मुक्त करने वाले छत्तीसगढ़ माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की अस्मिता, गौरव, परम्परा और तीज़-त्योहारों पर भी भरपूर ध्यान रखकर समाज में विकास की नई किरण के साथ उजाला बिखेर रहे हैं।

ज़ाकिर घुरसेना- राजनीतिक संपादक ( जनता से रिश्ता मिड-डे अख़बार )

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