छत्तीसगढ़

राजनांदगांव में मुश्किलों में घिरते भूपेश, कार्यकर्ताओं का नहीं मिल रहा साथ

Shantanu Roy
17 April 2024 1:58 PM GMT
राजनांदगांव में मुश्किलों में घिरते भूपेश, कार्यकर्ताओं का नहीं मिल रहा साथ
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छग

रायपुर। राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में भूपेश बघेल मुश्किलों में घिरते नज़र आ रहे है। चुनाव प्रचार में उन्हें स्थानीय कार्यकर्ताओं का साथ नहीं मिल रहा है। स्थानीय कार्यकर्ता साफ़ तौर पर यह कहते सूने जा रहे है कि जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं को भूपेश के साथ रहते फायदा हुआ है वही उनका प्रचार करें। स्थानीय कार्यकर्ता तो दूर लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायकों के इलाकों में भी कार्यकर्ता खुलकर प्रचार नहीं कर रहे है। पूर्व मंत्री और विधायक मोहम्मद अकबर भी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में नहीं उतर रहे है। जिस विधानसभा क्षेत्र में पिछले 15 सालों से प्रतिनिधित्व कर रहे है उन इलाकों में भी जाने से डर रहे है। विधायकों और कार्यकर्ताओं का बराबर साथ नहीं मिलने से भूपेश बघेल चुनाव प्रचार में पिछड़ते जा रहे है। इसकी झुंझलाहट भी चुनाव प्रचार के दौरान भूपेश के चेहरे के पर साफ़ नज़र आ रही है। भूपेश के साथ-साथ गिरीश देवांगन का भी क्षेत्र में भारी विरोध हो रहा है। क्योंकि गिरीश ने सभी से वादा किया था कि वो सबकों पैसे देंगें लेकिन उन्होंने किसी को भी पैसे नहीं दिए जिसकी वजह से गिरीश देवांगन का भारी विरोध कांग्रेसी समर्थकों के साथ-साथ आम लोग भी कर रहे है। आम कार्यकर्ता अब ये कहते नहीं थक रहे है जिन्होंने भूपेश के साथ भरपूर माल कमाया वही चुनाव प्रचार को देखेंगें और उन्हें के हाथ में इसकी कमान है। जमीनीं स्तर के कार्यकर्ताओं को पूछ कौन रहा है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की जुबान है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भूपेश बघेल अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह साबित हो रहे।


राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक बीजेपी के पक्ष में बयार बह रही है, मोदी गारंटी और महतारी वंदन योजना ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया है। राज्य में पीएम मोदी समेत बीजेपी के अन्य स्टार प्रचारकों की रैलियों और सभाओं से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस भी बीजेपी को पटकनी देने के लिए जोर शोर से जुटी हुई है। राहुल गांधी ने बस्तर में चुनावी सभा लेकर बीजेपी को घेरने की जमकर कोशिश की, लेकिन मोदी गारंटी ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। कयास लगाया जा रहा है कि अब की बार कांग्रेस का कहीं सूपड़ा ना साफ हो जाए ? यदि चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में आते हैं तो कोई हैरत की बात नही, राज्य की सभी 11 सीटों पर बीजेपी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है।

राज्य की राजनांदगांव लोकसभा सीट पर दिलचस्प नजारा देखने को मिल रहा है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बीजेपी के बजाए कांग्रेस से ही सीधे मुकाबले के लिए जोर आजमाइश में जुटे हैं। राजनैतिक पंडितों के मुताबिक चुनावी प्रचार में भू-पे लगातार अलग थलग पड़ते जा रहे हैं। ज्यादातर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनके प्रचार से अपना मुंह मोड़ लिया है। हालाकि बावजूद इसके, बघेल ने चुनावी बागडोर अपने हाथों में संभाली हुई है। बीजेपी प्रत्याशी संतोष पांडेय को गच्चा देने के लिए भूपेश ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

साम दाम दण्ड-भेद की नीति अपनाकर इसमें पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर का नाम सुर्खियों में है। बताते हैं कि कवर्धा के पूर्व विधायक अकबर ने अपनी ही सीट से दूरियां बना ली है। वे वर्ष 2018 में यहां से विधायक चुने गए थे।विधानसभा चुनाव 2023 में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले पूर्व विधायक अकबर का मात्र तीन माह में लोकसभा चुनाव के दौरान अचानक नदारद हो जाना कई कार्यकर्ताओ को भी खल रहा है। वे सोच रहे हैं कि आखिर क्यों अकबर ने कवर्धा विधानसभा सीट से दूरियां बना ली है। आखिर क्यों वे यहां चुनाव प्रचार के लिए नही आ रहे हैं ? आखिर कैसा खतरा उन पर मंडरा रहा है। राजनांदगांव संसदीय सीट में ज्यादातर कांग्रेसी कार्यकर्ता घर बैठे हैं। उन्होंने खुद को ठगा हुआ महसूस कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश से दूरियां बना लीं है। उनकी नाराजगी बघेल के कार्यकाल में व्याप्त भ्रष्टाचार और अपराधों को लेकर सामने आ रही है। लेकिन अकबर ने आखिर क्यों मैदान छोड़ दिया है , इसे लेकर कांग्रेसी खेमों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

उधर एआईसीसी सदस्य व पूर्व प्रदेश महामंत्री प्रभारी संगठन व प्रशासन प्रभारी रहे अरुण सिंह सिसोदिया ने दिल्ली पहुंचकर आलाकमान को पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की लिखित में शिकायत की है। उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर पार्टी की ताजा स्थिति से उन्हें अवगत कराया है। यह भी बताते हैं कि सिसोदिया ने बघेल के काले कारनामों से जुड़े 40 पन्नों में लगभग 200 शिकायतों का पुलिंदा पार्टी आलाकमान को सौंपा है। शिकायत में कहा गया है कि पिछले 5 वर्षों में कांग्रेस की सरकार में बघेल ने अपनी मनमानी और तानाशाही रवैय्या अपनाए रखा था। राज्य की छवि कांग्रेस के एटीएम के रूप में बन गई थी। जनता से लेकर पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाया गया था। नतीजतन निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने घर में बैठना या फिर भूपेश का विरोध करने का फैसला किया है।

सिसोदिया ने दस्तावेजी सबूत आलाकमान को सौंपते हुए बताया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के फंड से 5 करोड़ 89 लाख रुपए का गैर जरूरी भुगतान अपनो को उपकृत करने में किया था। उनके मुताबिक बघेल ने अपने करीबी रिश्तेदार (साले) विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी को बेवजह मोटा भुगतान किया था। सिसोदिया ने बघेल के अलावा पार्टी कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को लेकर भी कई गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की है। छत्तीसगढ़ में कई असंतुष्ट नेता लोकसभा चुनाव में अभी से पार्टी की हार का ठीकरा भूपेश बघेल पर फोड़ रहे हैं। उनका मानना है कि भू-पे के भ्रष्टाचारों पार्टी गर्त मे चले गई है। उनके मुताबिक महासमुंद, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और राजनांदगांव लोकसभा सीट में में जानबूझ कर बाहरी प्रत्याशी थोप दिए जाने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

इधर बीजेपी ने भी कांग्रेस को धूल चटाने के लिए अपनी कमर कस ली है। आरएसएस और उसके स्वयं सेवी संगठनों ने आदिवासी इलाकों में मोर्चा लिया हुआ है। संगठन की ओर से बूथ मैनेजमेंट पर जोर दिया जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा। लोकसभा की सभी सीटों पर बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत आंकी जा रही है। बहरहाल प्रदेश की सभी 11 सीटों पर चुनावी प्रचार जोर पकड़ चुका है। स्टार प्रचारकों की लगातार आवाजाही से चुनावी सरगर्मियां जोरों पर हैं। हालाकि मतदाताओं ने चुप्पी साध रखी है, वे बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों की रीति और नीति का आंकलन भी कर रहे हैं। फिलहाल ऊंट किस करवट बैठेगा ? यह तो वक्त ही बताएगा।


चुनाव प्रचार में दिखा भूपेश की झुंझलाहट

भूपेश बघेल को लोकसभा चुनाव से पहले ही लगातार झटके पर झटके मिल रहे है और भूपेश बघेल के कई ख़ास कार्यकर्ता भी कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री बने रहने के समय से उनके व्यवहार को झेल रहे है। जिसकी वजह से कई कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा तक दे दिया है। आज फिर सोशल मीडिया में राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें भूपेश बघेल चुनाव प्रचार के दौरान एक ग्रामीण पर झुंझलाते दिखाई दे रहे है। दरअसल वायरल वीडियो में ग्रामीण भूपेश बघेल से किसी सामाजिक मामलें में साथ नहीं देने पर नाराज़गी जता रहे है जिस पर भूपेश बघेल झुंझलाते हुए कह रहे है कि तुमने मुझे नहीं बुलाया था जिसे बुलाए थे उससे बात करों। इस वायरल वीडियो आधिकारिक पुष्टि जनता से रिश्ता नहीं करता है लेकिन सोशल मीडिया में इसकी खासी चर्चा हो रहा है। कार्यकर्ताओं के घर जाकर उन्हें ये बोलते दिखे है कि कोई नेता आपके घर आये तो अपनी समस्या बताना तुमने मुझे बुलाया है तो मैं आया हूं।

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