छत्तीसगढ़

भूपेश है तो भरोसा है, मोदी है तो मुमकिन है

Nilmani Pal
9 Dec 2022 6:09 AM GMT
भूपेश है तो भरोसा है, मोदी है तो मुमकिन है
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राजनीतिक संवाददाता

रायपुर। देश की राजनीतिक पटल पर दो नाम ही छाए हुए हैं। एक पीएम नरेंद्र मोदी तो दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। जिसने हिमाचल प्रदेश में अपनी राजनीति का लोहा मनवा दिया है। गुजरातियों ने यदि गुजरात में पीएम मोदी के लिए गुजराती मा बोलु तने प्रेम करूं छु तो छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर की जनता ने भूपेश के लिए कहा पोसइया हवय त फिकर का बर, लात तान के सोबो अऊ बारी बखरी ला बो-बो । हाल ही में दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ हुए छत्तीसगढ़ सहित अन्य भाजपा शासित राज्यों में हुए उपचुनाव के जो परिणाम आए है उसमें दो प्रमुखों की उपलब्धियों की गुणगान हो रहा है। छत्तीसगढ़ में जो भरोसा भानुप्रतापुर के मतदाताओं ने कर बताया कि भूपेश है तो भरोसा है, वहीं गुजरात में मोदी है तो मुमकिन है कर दिखाया।

गुजरात में 25 वर्षों से सत्ताधारी दल भाजपा नहीं बदली, लेकिन नेता बदलते रहे, पार्टी की पसंद ना पसंद से आते-जाते रहे। गुजरात कीभूमि में यदि कोई सबसे ज्यादा पूज्यनीय है तो वो है मोदी-शाह जो लगातार गुजरात में भाजपा की बुनियाद इतनी बुलंद कर दिए हंै कि वहां दूसरे दल पानी भर रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने कामकाज के प्रदेश को विपक्षविहीन कर दिया है। 90 में से 71 सीटों पर काबिज कांग्रेस भूपेश के भरोसे ही सत्ता पर पहुंची है। पिछले चार सालों से नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी के साथ गोबर-गौ-मूत्र खरीदी के साथ पिछले चार माह से भेंट-मुलाकात कर जनता का भरोसा जीत कर सबसे करीब पहुंच चुके है। 2023 का विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल कहे जाने वाले भानुप्रतापपुर उपचुनाव में फाइनल के संकेत दे दिया कि छत्तीसगढ़ में भूपेश का कोई विकल्प नहीं। लगातार पांच उपचुनाव में भूपेश की रणनीति और कामकाज पर जनता ने मुहर लगाकर प्रदेश को विपक्षविहीन कर दिया। भूपेश की योजनाओं का पीएम नरेंद्र मोदी सहित यदाकदा छत्तीसगढ़ आने वाले केंद्रीय मंत्रियों के साथ हाल ही में आरएसएस के कार्यकारिणी सदस्य राममाधव ने सीएम भूपेश के राम वनगमन पथ को सारे देश में एक नई पहचान देने के लिए दिल से तारीफ की और बधाई देते हुए नहीं थकेे। भूपेश बघेल की जीवटता के आगे भाजपा को बड़े दिग्गज नेता नहीं टिक पाए। भाजपा के रणनीतिकार भूपेश को लाख घेरने की कोशिश करते रहे, जय-वीरू को लड़ाने की कोशिश करते रहे लेकिन भाजपाईयों की मंशा पूरी नहीं हो सकी। चार साल तक भाजपाई भूपेश को घेरने की सिर्फ सोचते रहे लेकिन कुछ नहीं कर पाए। प्रदेश में अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के आने के बाद उन्होंने अपनी पहली प्रदेश यात्रा में कार्यकर्ताओं को आक्रमकता के साथ सरकार के भ्रष्टाचार खिलाफ खड़े होने का मंत्र दिया वह भूूपेश के मंत्र के आगे नतमस्तक हो गई। कार्यकर्ताओं में जोश तो दिखा पर उसका असर वोट पर नहीं दिखा। भूपेश की रणनीति ने भाजपा के दिग्गजों को चक्रब्यूह में ऐसे घेरा की वो उससे निकल ही नहीं पा रहे हैं।

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