कवर्धा। आज से दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव का आगाज होगा। बॉलीवुड व छत्तीसगढ़ी कलाकार संगीत का जलवा दिखाएंगे। कार्यक्रम को लेकर प्रशासन की तैयारी पूरी हो गई है. भोरमदेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना को लेकर तैयारी पूरी हुई. हर साल होली के 13 दिन बाद तेरस और चौदस को जिला प्रशासन की तरफ से भोरमदेव महोत्सव का आयोजन होता है.
भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में कबीरधाम से 18 किमी दूर तथा रायपुर से 125 किमी दूर चौरागाँव में एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है।
मंदिर के चारो ओर मैकल पर्वतसमूह है जिनके मध्य हरी भरी घाटी में यह मंदिर है। मंदिर के सामने एक सुंदर तालाब भी है। इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है जिसके कारण लोग इस मंदिर को 'छत्तीसगढ का खजुराहो' भी कहते हैं। यह मंदिर एक एतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे। भोरमदेव , शिवजी का ही एक नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पडा।