खाने-पीने व रोजमर्रे के सामानों के बीच अब कपड़े भी नकली...!
- असली उत्पाद की तरह हू-ब-हू बड़ी कंपनियों के माल नक्कालों की गिरफ्त में
- नामी कंपनियों के टैग लगाकर कपड़ों से करोड़ों की कमाई का भंड़ा फूटा
- जनता से रिश्ता लगातार नकली उत्पाद को प्रशासन के संज्ञान में लाती रही
- तेल, साबुन, पेस्ट, किराना सामान, इंजिन आइल, आटोपाट्र्स सहित पान मसाला, धड़ल्ले से बिक रहे मार्केट में
- नकली उत्पाद बेचने वाले सिंडिकेट शहर से लेकर गांव तक पैर पसारा
- नकली उत्पाद खाकर लोग हो रहे अज्ञात बीमारियों के शिकार
- मिलते-जुलते पैकेजिंग का खेल - बाजार में सराफा, कपड़ा, किराना बच्चों के डायज, दवाइयों को इस तरह पैकेजिंग करते है जैसे हू-ब-हू असली हो, सामने वाला डिस्ट्रीब्यूटर के साथ मिलकर नकली माल को खपाने की जगह बनाता है फिर सीधे व्यापारियों से संपर्क कर माल खपाने की जुगाड़ बनाता है। नकली उत्पाद की पहचान अच्छे -अच्चे अनुभवी व्यापारी भी नहीं कर पाते या लालच में आकर उनका साथ देते है, दोनों बातों पर ध्यान देना जरूरी है। कल तक जो कारोबारी ब्रांडेड कंपनियों का माल बेचता था, वह लालच में आकर कंपनी को धोखा देकर उसके ब्रांड का फायदा उठाकर नक्कालों से माल लेकर धड़ल्ले से बेच कर हजारों के माल से करोड़ों की कमाई कर रहा है। नक्कलों की शिकायत करने पर मानक एजेंसी त्वरित कार्रवाई नहीं करती जिससे नक्कालों के हौसले बुलंद है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। जनता से रिश्ता जन सरोकार से जुड़ी तमाम उपभोक्ता वस्तुओं को लेकर जागरूकता का मुहिम चलाते आ रही है। पिछले साल एक नामी कंपनी की ब्रांडेड चायपत्ती, साबुन, डिटरर्जेंट की डुप्लीकेट माल खपाने की खबर प्रकाशित पर प्रशासन ने संज्ञान लेकर कार्रवाई की। आरोपी पर क्या कार्रवाई हुई अब तक अज्ञात है। त्योहारी सीजन में नकली खोवा से मिटाई बनाने और जांच की अनदेखी को लेकर खाद्य और औषधि प्रशासन के संज्ञान में मामले को लाया गया, मिठाई के सैंपल तो लिए गए लेकिन उसकी रिपोर्ट आज तक उजागर नहीं हो पाई। मार्केट में नकली खाद्य सामग्री और मिठाई बेखौफ बिकते देख नक्कालों ने सभी बड़े ब्रांड के कपड़े से लेकर जूते में टैग लगाकर असली बताकर बेचने का गोरखधंधा बड़े आसानी से चला रहे है। अब तो नक्कालों के हौसले इतने बुलंद हो गए है कि वो ब्रांडेड कपड़ों का नकल कर असल दाम में बेच रहे है।
नकली माल खपाने वालों का गिरोह रसूखदार
कारोबार से नेतागिरी और फिर तस्करी या नकली उत्पाद बेचने का बड़ा घोलमेल सबको दिखाई देने के बाद भी कोई उन पर हाथ नहीं डालता। बड़े नेताओं तक पहुंच रखने वाले ही काले कारनामे को अंजाम दे रहे है। नक्कालों का एक बड़ा वर्ग पूरे देश में फैला हुआ है जो नकली उत्पाद को अलसी बताकर व्यापारियों को 6 महीने की क्रेडिट का लालच देकर फंसा रहा है। व्यापारी बिना पूंजी लगाए माल मिलने की लालच में उनके साथ जुड़ जा रहे है और नकली माल को धड़ल्ले से असली बताकर बेच रहे है। जिस तरह माफिया सिंडिकेट मार्केट में माल की सप्लाई देकर ब्रांडेड कंपनियों को नुकसान पहुंचाने के साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर डाल रहे है। नकली सामान खाने-पीने से लोग बीमार पडऩे के साथ कोरोना जैसी घातक वायरस वाली बीमारी से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता खो रहा है। जो धीरे-धीरे उपभोक्ता को जकड़ ककर पहले सर्दी,फिर खांसी, बुखार, हाथ-पैर, सिर में दर्द को बढ़ाकर पूरे देश को अज्ञात बीमारी के मुंह में झोंक दिया है।
नकली उत्पाद कोई भी हो वह मानव जीवन को तहस-नहस ही करेगा। नकली उत्पाद करने वाले गिरोह के लोग बड़ी चतुराई के साथ असली के साथ नकली माल को मिलाकर सप्लाई कर रहे है। जब उपभोक्ता को पता चलता है कि यह नकली माल है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। तब तक उसके शरीर में नकली उत्पाद बीमारियों को जन्म दे चुका होता है, जिसका इलाज लाइलाज हो चुका होता है।
इन दिनों ब्रांडेड कंपनियों के नकली कपड़े बेचने का मामला सामने आने के बाद पुलिस इन पर कार्रवाई करती नजर आ रही है। पुलिस के मुताबिक कुछ व्यापारी ब्रांडेड कंपनियों के फर्जी स्टीकर बनाकर नकली ब्रांड को महंगे कीमत में बेचते हैं। देवेंद्र नगर पुलिस ने एक ऐसे व्यापारी को गिरफ्तार किया है। जो ब्रांडेड कंपनी के नाम फर्जी लोगो लगाकर कपड़ा बेचा करज था। देवेंद्र नगर पुलिस ने नकली लोगो लगाकर ब्रांडेड कपड़े बेचने वाले संचालक शशांक तलरेजा को गिरफ्तार किया है।
ब्रांडेड कपड़ों की पहचान उनके टैग्स से की जाती है, लेकिन आजकल लोग वैसे के वैसे टैग लगाकर कपड़े बेचते हैं। लेकिन आप इनके टैग लगाने की जगह और उनके टैग देखकर इसकी पहचान कर सकते हैं। कई ब्रांड्स कपड़ों की लिनिंग में टैग लगाते है जो कि उनकी सही पहचान होती है। दरअसल कई बड़ी कंपनियां ऐसी हैं जिनके कपड़े हर दुकान पर नहीं मिलते, जबकि उनके आधिकारिक स्टोर्स पर ही मिलते हैं।
ब्रांडेड कपड़ों की फिटिंग अन्य कपड़ों के मुकाबले ज्यादा अच्छी होती है। जैसे ही आप ब्रांडेड कपड़े पहनते हैं तो आपको उसकी फिटिंग से ही पता चल जाता है। ब्रांड कभी भी 20 से 30 फीसद से ज्यादा की छूट नहीं देते हैं। इसलिए अगर कोई इंटरनेशनल ब्रांड पर भारी छूट देकर कपड़े बेच रहा है तो उसमें कोई ना कोई संदेह है।
ब्रांडेड कपड़े लेते समय ध्यान रखने वाली बात यह है कि ही उसकी लिनिंग बहुत अच्छी होती है यानि कपड़े के अंदर लगाया गया कपड़ा अच्छी क्वालिटी का होता है। जैसे कोट में लगाया गया अंदर का कपड़ा, जींस की जेब का कपड़ा आदि। ब्रांडेड कपड़ों में ये अच्छी क्वालिटी का होता है और उसमें ही टैग लगा होता है साथ ही इसकी सिलाई बहुत ही फाइन और मजबूत होती है।
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