छत्तीसगढ़

कांग्रेस में नई ईबारत की शुरूवात

Nilmani Pal
16 May 2022 5:39 AM GMT
कांग्रेस में नई ईबारत की शुरूवात
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कांग्रेस का नवसंकल्प शिविर

प्रदीप पंडित

देश की हुकूमत की चाबियों को उरसकर कमर में खोंस लेने की मानिंद नहीं है खोई हुई प्रतिष्ठा और सरकार में वापसी की संभावनाओं की तलाश। वह भी ऐसे में जब ज्यादातर कांग्रेसियों के कलफदार कपड़े पराजय की धूल से सने हैं और वे आपसी खींचतान, कोहनीबाजी के चलते हांफ रहे हैं। सिर्फ इस सोच का नाम कि एक दिन भाजपा की हुकूमत की यह चिलचिलाहट अपने आप किसी ठंडे साहिल में डूब जाएगी, ख्वाब ही हो सकता है। हकीकत में तब्दील होता नहीं दिखता राजस्थान में चिंतन शिविर हो रहा है। उदयपुर से सचिन पायलट की पोस्टर रातों-रात हटा दिए जाते हैं क्या यह मतलब है इसका सिवाय इसके कि काग्रेस की चाहत में दुबलाने वालों की कमी नहीं है। कमी कहीं है तो कांग्रेसियों में जो झुके हुए कंधों लटकते बाजुओं और थकी हुई दलीलों के बीच कांग्रेस को दबोचे रखना चाहते हैं और नए लोगों को आने नहीं देना चाहते वरना क्या कारण है कि प्रदेश में कांग्रेस को लौटाने की कवायद करने वाले सचिन के पोस्टर हटा दिए गए।

चिंतन और सदैव बुनियादी अवधारणा को समय के केंद्र में रखकर किया जाता है, ताकि उसमें समयानुसार परिवर्तन किया जा सके। बताते हैं कि कांग्रेस ने नव संकल्प शिविर के लिए अलग-अलग समूह बनाए हैं। इसकी अगुवाई और अध्यक्षता स्थापित काग्रेस नेता करेंगे। समूह में सभी अपने भाव व्यक्त करेंगे। इसमें अपेक्षाएं भी होंगी और जो हो रहा है उसे जस का तस बताया जाएगा। स्थापित नेता उन विचारों और अपेक्षाओं को आलाकमान तक पहुंचाएगा। मुद्दा यह कि क्या उभरी हुई जन भावनाएं अपनी निश्चल चुनर में कविकल कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच जाएगी। इस शक की वजह यह है कि स्थापित कहलाते नेताओं की वजह से ही अपने स्वर्णिम इतिहास और जन-बोलो के बावजूद आज इस दूरदिन को प्राप्त हो गई है। यदि ये नेता पूर्ण ईमानदारी के साथ जनमन को आलाकमान के सामने उजागर करते हैं तो उसमें उनकी छवि ही खराब होगी जिसकी निजी व्याख्या करने वाले यह लोग कदाचित सच नहीं बता पाएंगे।

इसकी एक वजह यह भी है कि सोनिया गांधी ने सीताराम केसरी के बाद जिस तरह से 22 अकबर रोड पर संवाद की प्रक्रिया शुरू की थी इन्हीं नेताओं ने उसे बंद करवा दिया। बिना यह समझे कि यह इकलौती कांग्रेस ने संसद में और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ओबीसी और एससी, एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की मांग का समर्थन किया है। इसी के साथ पार्टी ने कार्यसमिति के सामने अल्पसंख्यक को मिलाकर 50 फीसदी आरक्षण की मांग रख दी है। इससे निश्चित ही कांग्रेस अपने लिए जरूरी जमीन तलाश कर पाएगी। एक नई सामाजिक ईबारत लिखने के लिए तैयार दिख रही है। नव-संकल्प शिविर की यह आवश्यक उपलब्धि होगी। यह और बात है कि फिलहाल सबकुछ वांछित नहीं हुआ। मगर आशातीत सफलता के वंदनवार जमकर सजाए गए।

(संपादक -जनता से रिश्ता, नई दिल्ली)

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