रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि कोई भी व्यक्ति आकर्षक और प्रभावी व्यक्तित्व का मालिक सुंदर पहनावे से नहीं, अपितु सुंदर जीवन-शैली से होता है। अगर हमारे जीवन में अच्छे गुण हैं तो हम सदा दूसरों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहेंगे। याद रखिए, गोरा रंग दो दिन अच्छा लगता है, ज्यादा धन दो माह अच्छा लगता है, पर अच्छा व्यवहार और स्वभाव जीवन भर अच्छा लगता है। प्रभावी व्यक्तित्व हमारे भीतर छिपा है। इसे बाहर से लाना नहीं है अपितु अपने भीतर से उजागर करना है। याद रखिये, दुनिया के हर पत्थर में एक बेमिसाल प्रतिमा छिपी रहती है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति पर बातों का प्रभाव कम पड़ता है, आपके सद्गुण, सद्व्यवहार और श्रेष्ठ चरित्र का प्रभाव अधिक पड़ता है। अगर आपका चेहरा आकर्षक नहीं है तो चिंता मत कीजिए। अपने व्यवहार को आकर्षक बनाइये और लोगों के दिलों में राज कीजिए।
संत प्रवर शनिवार को श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में नवपद ओली पर आयोजित विशेष प्रवचन माला के आठवें दिन नवकार मंत्र में सम्यक चारित्र पद का रहस्य विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि
नवपदऔली का आठवां पद है चारित्र जो हमें चारित्रवान बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिष्ठा को लम्बे अरसे तक बनाए रखने के लिए हाथ की सच्चाई और बात की सच्चाई सदा बनाए रखिए। दिये हुए वचन और लिये हुए संकल्प को हर हाल में निभाने का प्रयास कीजिए।
उन्होंने कहा कि सहनशीलता बढ़ाइए। छोटी-छोटी बातों में हताश मत होइये। चिड़-चिड़ापन आपके रिश्तों में खटास घोलेगा। मुस्कुराइए और सबसे प्रेमचारा बढ़ाइए। छोटी-मोटी बातों को लेकर तकरार मत कीजिए। आप सही हैं तब भी बहस मत कीजिए। राई का पहाड़ बनाने से केवल रंजिश ही बढ़ती है।
उन्होंने कहा कि चेहरे के सौंदर्य पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय अपने जीवन को सुन्दर बनाने का प्रयास कीजिए। जीवन की सुन्दरता कुरूप चेहरे को भी ढक देती है। जीवन में दूसरों को झुकाने की नहीं, स्वयं झुकने की भावना रखिए। आम ज्यों-ज्यों पकता है त्यों-त्यों डाली झुकती है। अकड़ी डालियों पर तो खट्टी कैरी ही लगा करती है। याद रखिए, हर बात सोचने की तो होती है, पर बोलने की नहीं होती। जो सोचा है वह मत बोलिए अपितु बोलने से पहले यह भी सोच लीजिए कि क्या बोला जाए और कितना बोला जाए। प्रवचन में संतप्रवर ने श्रीपाल रास से जुड़े घटनाक्रम का भी विवेचन किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को ओम रीं श्रीं श्री नमो चारितस्स मंत्र का सामूहिक जाप करवाया। इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय सागर जी ने निर्मल चरित्र की प्राप्ति के लिए सम्यक चारित्र पद का ध्यान करवाया।