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रायगढ़। विश्व श्रवण दिवस 3 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन लोगों को बहरेपन की बढ़ रही समस्याओं के प्रति जागरूक करता है। जिला अस्पताल राष्ट्रीय बधिरता सप्ताह का आयोजन कर रहा है जिसमें विशेष शिविर जिला चिकत्सालय के नाक,कान, गला रोग विभाग लगा रहा है। श्रवण दिवस के अवसर पर कौहाकुंडा में उम्मीद संस्था के बच्चे जागरूकता रैली निकालेंगे। ये ऐसे बच्चे हैं जो किसी न किसी तरह से सुनने की समस्या से ग्रसित थे और इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं और यही लोगों को प्रेरित करेंगे। इसी तरह सुबह 9 बजे जिला चिकित्सालय परिसर से मेडिकल कॉलेज के छात्र जागरूकता रैली निकालेंगे। राष्ट्रीय बधिरता सप्ताह के मद्देनजर जिला चिकित्सालय द्वारा जिले के सभी सीएसचसी, पीएचसी और सिविल अस्पताल के स्टाफ को कान व बधिरता से संबंधित बीमारियों और इसके इलाज के बारे में विशेष सेमिनार के द्वारा ट्रेनिंग दी गई है। साथ ही उद्योगों के समीप गांव में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाया जाएगा जिससे लोगों को कान से संबंधी बीमारियों से जागरूक और बचाया जा सके।
सिविल सर्जन डॉ. रामनारायण मंडावी ने बताया कि श्रवण दिवस को मनाने का मुख्य मकसद लोगों को बहरेपन की समस्या के कारण और निवारण के प्रति जागरूक करना है। इस दरम्यान लोगों को यह भी बताया जाता है कि लोग कैसे अपने कान की सुरक्षा और सेहत पर ध्यान देना चाहिए। हम साल भर लोगों का इलाज तो करते ही हैं पर राष्ट्रीय बधिरता सप्ताह के दौरान हम कान के मरीजों पर ज्यादा फोकस करते हैं।“ मेडिकल कॉलेज के कान-नाक-गला रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिनेश कुमार पटेल कहते हैं तेजी से बढ़ते बहरेपन की समस्या से लोगों को जागरूक करने के लिए साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘विश्व श्रवण दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। प्रारंभ में इसे ‘इंटरनेशनल ईयर केयर’ के नाम से मनाने की घोषणा की थी। साल 2016 में इसे ‘वर्ल्ड हियरिंग डे’ यानी विश्व श्रवण दिवस का नाम मिला। इस अवसर के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन एक थीम तैयार करता है साथ ही शैक्षिक सामग्री तैयार करता है, जो विभिन्न भाषाओं में लोगों को उपलब्ध कराये जाते हैं, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके। इस बार की थीम है ईयर एंड हियरिंग केयर फॉर ऑल, लेट्स मेक रियालिटी यानी आइये कान और सुनने की देखभाल को हकीकत बनाएं।“
नियमित रूप से कराएँ कान की जांच: डॉ. आरएन मंडावी
सिविल सर्जन और प्रसिद्ध कान नाक गला रोग विशेषज्ञ डॉ. रामनारायण मंडावी कहते हैं “कान की देखभाल के लिए लोगों में जागरूकता की कमी है और वह इसे सामान्य तरीके से लेते हैं। 30 साल की उम्र के बाद लोगों को लोगों को अपनी कान की नियमित जांच करानी चाहिए ताकि कान से संबंधित किसी भी समस्या को पहले से जानकर उससे बचा जा सके या फिर उसका इलाज शुरू किया जा सके। इसी तरह शिशुवती महिलाएं अपने बच्चों को सुलाकर कर दूध पिलाती हैं जिससे कारण बच्चों का कान बहने लगता है। बच्चों को हमेशा गोद में लेकर 45 डिग्री में बैठाकर ही दूध पिलाना चाहिए। इसी तरह बाईक चलाते समय हेलमेट पहनने से कान के पर्दे सुरक्षित रहते हैं क्योंकि 50 किलोमीटर की रफ्तार से आ रही हवा सीधे कान को नुकसान पहुंचाती है। किसी भी हालत में कान में लोग कोई नुकीली चीज, पेन, ईयर बड, गरम तेल और हाइड्रोजन परऑक्साइड न डालें। जानकारी के अभाव में लोग ऐसा करते हैं पर वास्तव में ये कान के पर्दे के नुकसान पहुंचाते हैं। सुनने की क्षमता 90 से 120 डेसिबल तक होती है इससे तेज की आवाजों से बचें।“
अपने कान की हिफाजत करें: डॉ. पटेल
मेडिकल कॉलेज के डॉ. दिनेश कुमार पटेल बताते हैं “लोग अपने कान संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूक हो इसलिए हम 3 मार्च को श्रवण दिवस को सप्ताह में मनाते हैं। कान की समस्या से ग्रसित हर 10 में 8 लोगों का इलाज आसानी से संभव है और एहतियात बरतें तो इनमें से 5 लोग ठीक हो जाते हैं। कान में दर्द, खुजली या फिर मवाद, आवाज सुनाई दे पर समझ न आए, चक्कर या फिर कान भरा लगा लगे, कान में सनसनाहट जैसी आवाज आए या फिर आपका बच्चा उम्र के हिसा से कम बोलता है तो आप स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए शिविर या फिर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क कर सकते हैं। जानकारी ही आपको गंभीर बीमारियों से बचाती है। अपने कान की हिफाजत करें।“
श्रवण समस्या के प्रमुख कारण
-बढ़ती उम्र बहरेपन का आम कारण हो सकता है। अक्सर बढ़ती उम्र के साथ कान की नसें कमजोर होने से भी व्यक्ति विशेष बहरेपन का शिकार हो सकता है।
-बढ़ती उम्र के अलावा ध्वनि प्रदूषण भी बहरेपन का दूसरा बड़ा कारण होता है। निरंतर बढ़ते ट्रैफिक का शोर कानों पर बुरा प्रभाव डालता है। युवाओं में ईयरफोन से फास्ट म्यूजिक सुनने अथवा ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल पर गाने सुनने से भी कानों पर बुरा असर पड़ता है।
-चोट लगने से भी श्रवणीय क्षमता प्रभावित हो सकती है। यदि दुर्घटना के दौरान शारीरिक चोट या झटका कान के करीब होता है तो यह चोट बहरेपन का कारण बन सकता है।
-अकसर कान के संक्रमण से कान की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे कान की नहर बंद हो जाती है, परिणाम स्वरूप ध्वनि तरंगें कान के भीतर तक नहीं पहुंच पाती।कभी-कभी कान में तरल पदार्थ का संग्रह भी श्रवणीय क्षमता को कम करता है।
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Shantanu Roy
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