छत्तीसगढ़

बाजार में बिक रही प्रतिबंधित जहरीली मांगुर, प्रशासन मौन

Nilmani Pal
21 Jun 2022 5:03 AM GMT
बाजार में बिक रही प्रतिबंधित जहरीली मांगुर, प्रशासन मौन
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  1. पाबंदी के बाद भी बेच रहे कैंसर वाहक थाई मांगुर
  2. मछली बाजार में देशी मोंगरी, हाईब्रिड या बायलर मांगुर बता कर बेच रहे
  3. मत्स्य विभाग-निगम की अनदेखी से चोरी-छिपे हो रहा पालन
  4. कम खर्च में बेहतर पालन होने से चोरी छिपे हो रहा कारोबार
  5. माना, छेरीखेड़ी, खुटेरी, लालपुर, और मंदिर हसौद के आस-पास के गांव में अवेध रुप से कर रहे पालन
  6. सड़े हुए मांस खाने से मछलियों के शरीर की वृद्धि होता है तेजी से
  7. मछलियों के अंदर घातक आरसेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड अधिक जिससे बीमारी का खतरा
  8. प्रतिबंध लगने के बाद तालाबों में मांगुर के बीज नष्ट किए गए और तालाबों को तोड़ा गया लेकिन पिछले चार सालों से अधिकारियों की मिलभगत के चलते कारवाई पर ब्रेक

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर । राजधानी के मोहल्लों के बाजारों में हर रविवार को या जिस दिन वहां बाजार लगता है थोक में मांगुर की खरीदी बिक्री हो रही है जिस पर प्रशासन का ध्यान ही नहीं है। राजधानी में मांगुर माफियाओं गिरोह बहुत तगड़ा है। जिसके रैकेट को तोडऩे में स्वास्थ्य अमला और प्रशासन ने कोई कदम नहीं उटा रही जिससे मांगुर माफियों को हौसले बुलंद है।

थाईलैंड में विकसित इस मांसाहारी मछली को देश में मछली पालक के बीज को बाग्लादेश से मंगवाते हैं और मुनाफे के फेर में लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह किसी भी पानी (दूषित पानी) में तेजी से बढ़ती है जहां अन्य मछलियां पानी में ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, लेकिन यह जीवित रहती है।

थाई मांगुर मछली को साल 2000 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि यह मछली पानी के अंदर पाये जाने वाले लाभदायक शैवालो तथा लाभदायक प्रजातियों की छोटी मछलियों को खा जाती थी। थाई मांगुर मछली मांसाहारी मछली है और यह मांस को बड़े चाव से खाती है। जिसकी वजह से सड़े हुए मांस खाने से मछलियों के शरीर की वृद्धि एवं विकास बहुत तेजी से होता है। यह मछलियां तीन माह में दो से 10 किलोग्राम वजन की हो जाती हैं। इन मछलियों के अंदर घातक हेवी मेटल्स जिसमें आरसेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड अधिक पाया जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। इसलिए भारत सरकार द्वारा इस मछली को खाने,इसके पालन ओर परिवहन को अवैध घोषित किया गया है।

मांगुर खाने से कैंसर का खतरा, इसलिए है प्रतिबंधित

थाई मांगुर छोटी किसी भी जलीय प्राणी को निवाला बना लेती हैं। कोलकाता एवं बांग्लादेश में मांगुर को बूचडख़ाने का मलबा खिलाकर जल्द बड़ा किया जाता है। चिकित्सकों के अनुसार थाई मांगुर खाने से कैंसर की आशंका बढ़ती है। इस कारण भारत सरकार ने थाई मांगुर प्रतिबंधित कर रखा है।

2020 से है प्रतिबंधित

राष्ट्रीय हरित क्रांति न्यायाधिकरण के अनुसार, थाई मांगुर मछली पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। राष्ट्रीय हरित क्रांति न्यायाधिकरण ने इस मछली को प्रतिबंधित कर, मत्स्य विभाग के अधिकारियों को इस मछली को नष्ट कराने के निर्देश दिए थे। निर्देश में यह भी कहा गया था कि मछलियों और मत्स्य बीज को नष्ट करने में खर्च होने वाली धनराशि उस व्यक्ति से ली जाए जो मछली पालन कर रहा है। यह मछली 1998 में सबसे पहले केरल में प्रतिबंधित की गई थी। इसके बाद 2020 में भारत सरकार ने देशभर में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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