बिलासपुर। अपने ही दो बच्चों की हत्या के दोषी अपीलकर्ता की फांसी की सजा को हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया है। अब अपीलकर्ता अपना बाकी जीवन जेल में रहकर गुजारेगा। अपराध की प्रकृति को देखते हुए भविष्य में फिर ऐसा अपराध न किया जाए, इसे देखते हुए अदालत ने यह निर्णय किया है। अपीलकर्ता डोलालाल को अपर सत्र न्यायाधीश सरायपाली ने मृत्युदंड दिया था। सजा की पुष्टि के लिए प्रकरण हाई कोर्ट भेजा गया। साथ ही डोलालाल की अपील पर भी सुनवाई हुई।
25 और 26 जनवरी 2017 को ग्राम कायतपाली, पुलिस थाना बसना अंतर्गत पूरन सिदार के खेत के पास, अपीलकर्ता ने अपने बेटे शुभम, उम्र लगभग आठ वर्ष और बेटी जैस्मीन उर्फ सोनिया, नौ साल की कुदाल (रापा) से सिर काटकर हत्या कर दी थी। कुदाल और आरोपी का शाल घटना स्थल से बरामद हुआ। आरोपित डोलालाल अपने गांव और घर से फरार पाया गया। स्वजनों से पूछताछ के बाद सरायपाली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। उसके कपड़ों पर खून के धब्बे पाए गए। प्रकरण की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय के. अग्रवाल व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने जेल अधीक्षक रायपुर की रिपोर्ट देखी। इसमें उसका आचरण संतोषजनक पाया गया। अपीलकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, हालांकि उसने अपराध किया है।