छत्तीसगढ़

बलरामपुर : विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन

Nilmani Pal
10 Dec 2021 5:04 PM GMT
बलरामपुर : विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन
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बलरामपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी की अध्यक्षता में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर जिला जेल रामानुजगंज में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सिराजुद्दीन कुरैशी द्वारा बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह समय आप लोगों के लिए अत्यंत कठिन समय है कि आप लोग अपने परिवार एवं बाल बच्चों से दूर है। उर्दू का एक कहावत लम्हों ने खताऐं की और सदियों ने सजाएँ पाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भावावेश में किया गया अपराध हो या सुनियोजित ढंग से किया गया अपराध हो, अपराध तो अपराध होता है। कुछ लम्हों की खताओं से हम ही नहीं बल्कि हमारा पूरा परिवार तितर-बितर हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारा यह सोच रहता है कि हम किसी केस को केवल डिस्पोजल के रूप में न देखे बल्कि आपकी जिंदगी के बारे में भी सोच कर फैसला करें। जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधारात्मक सिद्धांत का वर्णन करते हुए कहा कि जेल को बंदीगृह न समझकर सुधार गृह समझा जाये।

उन्होने विश्व मानवाधिकार दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि जो अधिकार मानव को जन्मजात प्राप्त होते हैं उसे मानव अधिकार कहते हैं। किंतु हमारे देश की विडंबना है कि आजादी के 75 वर्ष के बाद भी मानवाधिकार के हनन के मामले देखे जाते हैं। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि हमारे अंदर शिक्षा की कमी है और हम अपने अधिकारों से परिचित नहीं है। हमें अपने अधिकारों को जानना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने उपस्थित बंदियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने के लिए कहा। केस का त्वरित निराकरण भी आपका अधिकार है, इसलिए हम सभी न्यायिक अधिकारी इस बात को अमल कर अपनी कार्यवाही करते हैं। अंत में न्यायाधीश श्री कुरैशी ने उपस्थित बंदियों के समस्याओं को सुना और उनका त्वरित निराकरण हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने जेल अधीक्षक से बंदियों के लिए लाईब्रेरी एवं धार्मिक साहित्यिक किताबें भी उपलब्ध कराने को कहा। इसी क्रम में द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मधुसूदन चंद्रकार ने भी उपस्थित बंदियों को मूल अधिकार और मूल कर्तव्य के बारे में बताते हुए कहा कि संविधान में कुल 06 मूल अधिकार हैं इससे दोगुना मूल कर्तव्य है। मूल कर्तव्य को दोगुना इसलिए रखा गया है क्योंकि यदि हम अपने मूल कर्तव्यों का पालन करेंगे तो हमारे अधिकार अपने-आप सुरक्षित हो जाएंगे। संविधान में प्रदत्त अधिकारों से अधिक मूल कर्तव्य के पालन की आवश्यकता है। उन्होंने कबीरदास के एक दोहे के माध्यम से कहा कि हमें दूसरों को किताबी ज्ञान देने से पहले अपने आप को सुधारना होगा। अतः हमें न्याय और अन्याय में भेद करना चाहिए। इस अवसर पर जिला जेल रामानुजगंज के जेल अधीक्षक श्री मरकाम जी. श्री अवधेश गुप्ता, अधिवक्ता जेल कर्मचारी, पीएलव्ही के सदस्य तथा बंदीगण उपस्थित थे।

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