गलत तथ्यों और जानकारी के सहारे पर्यावरण स्वीकृति
बांध के पानी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग प्लांट वाले कर रहे
परियोजना का विस्तार पर्यावरण को नुकसान
कोरबा क्षेत्र में प्रदूषण का मामला गंभीर
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। कोरबा स्थित बाल्को परियोजना का विस्तार किया जाना है इसके लिए जनसुनवाई आज होगी लेकिन जनसुनवाई के पहले ही ग्रामीणों में विरोध के स्वर उठने लगे है ग्रामीणों के साथ छत्तीसगढ़ किसान सभा और अन्य किसान यूनियन और क्षेत्रीय नेता सक्रिय हो गये हैं। बाल्को परियोजना के विस्तार के लिए प्रस्तावित जन सुनवाई का विरोध करते हुए किसानों ने कहा है कि बाल्को की परियोजना से वेदांता कंपनी के मुनाफे तो बढ़ेंगे, लेकिन खेती-किसानी और रोजगार को नुकसान पहुंचेगा। देखा गया है कि किसी भी परियोजना के विस्तार के लिए किसानों की जमीन ले ली जाती है यह बोलकर कि जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों के एक सदस्य को नौकरी और शासन द्वारा तय दर पर मुआवजा दिया जायेगा लेकिन वास्तव में होता ये है कि आश्रितों को नौकरी तो जरूर दी जाती है लेकिन सबसे छोटे पद में उन्हें रखा जाता है एवं उच्च पदों पर बाहर के लोगों को रखा जाता है किसानों ने फर्जी आंकड़ों और गलत तथ्यों के सहारे पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने की बाल्को प्रबंधन की तिकड़मबाजी की भी निंदा की है। किसानों ने मांग की है कि शासन किसी भी कीमत पर उनकी जमीनों के अधिग्रहण प्लांट के विस्तार करने में बालको प्रबंधन की मदद न करे एवं किसानों की उपजाऊ जमीनों को किसान के पास ही रहने दें।
छत्तीसगढ़ में पावर प्लांट की बाढ़
छत्तीसगढ़ में एक समय पावर प्लांट का बाढ़ आ गया था, काफी तादात में एमओयू निष्पादित हुए थ,े लेकिन बहुत ही कम संख्या में पावर प्लांट चालू हुए अधिकतर प्लांट में आधा अधूरा काम होकर काम रोक दिया गया और कई प्लांट बंद होने के कगार पर है। जिन किसानों से जमीन अधिग्रहित की गई थी अब उनके सामने रोजी रोटी के लाले पड़ गए है ,जमीन भी नहीं बची और प्लांट भी बंद पड़े हैं
बांध का पानी उद्योगों के लिए, खेत सूखे
क्षेत्र के किसानों ने कहा है कि शासन द्वारा किसानों के लिए बांध बनाये जाते हैं लेकिन पानी का उपयोग उद्योगपति करते हैं. हसदेव बांगो परियोजना से किसानों को 2578 मिलियन घन मीटर पानी देकर 4.33 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचाई का वादा किया गया था, लेकिन पिछले दस सालों में औसतन 1.93 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए ही पानी दिया गया है। बाकी पानी को उद्योगों की ओर मोड़ दिया गया है। बाल्को के इस विस्तार परियोजना से सिंचाई के पानी में 6 एमसीएम की और कमी आएगी, जिससे 3500 एकड़ की खेती और इस पर निर्भर 7000 खेतिहर परिवार प्रभावित होंगे।
अर्थव्यस्था पर भी फर्क पड़ेगा
किसानों ने कहा कि इस भूमि पर 35 करोड़ रुपयों की उपज होती है, जबकि बाल्को के विस्तार परियोजना से केवल 1000 लोगों को अस्थाई किस्म का रोजगार मिलेगा, जिन्हें साल भर में मजदूरी में 10 करोड़ रुपयों से भी कम वितरित होगा। इस तरह से यह परियोजना प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदेह है। क ोरोनाकाल में भी भूपेश सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को डगमगाने नहीं दिया था और केंद्र सरकार में जमकर तारीफ भी हुई थी लेकिन उद्योगपति अर्थव्यवस्था में मदद करने के बजाय स्वहित में जुटे रहे।
पर्यावरण भी दूषित होगी
किसानो ने कहा है कि इन परियोजना के कारण वायु-जल की गुणवत्ता और पर्यावरण-पारिस्थितिकी में बदलाव न आने का बाल्को प्रबंधन का दावा थोथा है। वास्तविकता यह है कि कोरबा जिले के खराब पर्यावरण और इसके कारण उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बाल्को अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता। निजीकरण के बाद पर्यावरण के नियमों और विभाग के दिशा-निर्देशों की इस कंपनी ने कभी परवाह नहीं की है, जिसके कारण कोरबा में प्रदूषण का मामला और गंभीर हुआ है। इस परियोजना के विस्तार से कोरबा क्षेत्र में प्रदूषण और बढ़ेगी लोगो का जीना दूभर हो जायेगा । किसानों ने एकस्वर में मांग की है कि तत्काल प्रभाव से इस सुनवाई को रोका जाना चाहिए। पर्यावरण की जांच में लेट-लतिफी भी प्रदूषण बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है जिस पर अंकुश लगाना अनिवार्य हो। बालको के खऱाब रिकार्ड को देखते हुए और कोरबा क्षेत्र में बढ़ते प्रदुषण को ध्यान में रखते हुए शासन प्रशासन से अनुरोध है कि पर्यावरण सुनवाई को तत्काल रोका जाना चाहिए।
संजय पराते, छत्तीसगढ़ किसान सभा
किसी भी परियोजना के कारण वायु-जल और पर्यावरण में बदलाव न आने पाए, इस हेतु संबंधित परियोजना के प्रबंधन से शपथ पत्र लेना चाहिए कि हर हाल में कानून का पालन किया जायेगा, क्योंकि प्रदूषण मानव जीवन के साथ ही अन्य जीव जंतु और कृषि उत्पादन को भी प्रभावित करता है इसलिए प्रशासन को उद्योगों से पर्यावरण संरक्षण की सभी शर्तों का पालन अनिवार्य रूप से कराना चाहिए।
मोहम्मद फिरोज, पर्यावरण प्रेमी