![बैजनाथपारा: ढांक के तीन पात, तू-डाल-डाल, मैं-पात-पात बैजनाथपारा: ढांक के तीन पात, तू-डाल-डाल, मैं-पात-पात](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/12/09/4218482-untitled-22-copy.webp)
बैजनाथपारा के सडक़ पर अवैध कब्जा, गाडिय़ों का निकलना मुश्किल
रात 11 बजे बाद चाय- बिरियानी की पाबंदी एक दिन का जुमला साबित हुआ
बंजारी चौक से चिकनी मंदिर से कोतवाली चौक तक खुलेआम बिक रहा सूखा नशा
गोवा की तर्ज पर राजधानी में भी टोकनी में सूखा नशा बेचते दिखेंगे नसे के सौदागर
पुलिस का छोटों पर कहर बड़ी होटलों को छूट
जनता से रिश्ता की खबर के बाद एक्शन में आई पुलिस, फिर बैजनाथपारा का रास्ता ही भूल गई
रायपुर। राजधानी में एक नारा पूरी तरह असरकारक साबित हो रहा है । पुलिस औऱ रसूखदार नेताओ्ं के संरक्षण में सबका साथ सबका विकास नारा को सूखा नशा के सौदागरों ने अमल में ला दिया है । पूरे शहर में अवैध कब्जा कर दुकान को बढ़ा कर निगम अधिकारियों के संरक्षण में बाजार पर्ची कटवा कर बेखौफ सूखा नशा खुलेआम बेच रहे है। खबरदारों का कहना है कि वो दिन दूर नहीं जब गोवा की तरह चौक-चौराहे में टोकनी में रखकर लोग सूखे नशे की पुडिय़ा बेचते दिखेंगे। बैजनापारा, कोतवाली चौक से छोटापारा बंजारी चौक से चिकनी मंदिर तक नशे के सौदागरों का कब्जा है। जो अपने रसूख का इस्तेमाल कर पूरे शहर को नसे के गर्त में ढकेल रहे है।
वही कुछ दिनों तक जनता से रिश्ता की मुहिम को पुलिस प्रशासन ने संज्ञान में लेते हुए बैजनाथपारा में रात 11 बजे के बाद गश्त तेज कर दी थी जिससे वहां के रहवासियों को देर रात तक चलने वाले धमाचौकड़ी से राहत मिल गया था। लेकिन अब फिर वही हालात पैदा हो गए है। पुलिस के बड़े अधिकारी से लेकर सिपाही तक सभी के संज्ञान में होने के बाद भी फिर से लेट नाइट का माकेर्ट आबाद हो गया है। वहां के पुश्तैनी रहवासियों का कहना है कि पुलिस मात्र एक दिन रस्मअदायगी करने की तरह गश्त करने आई फिर उसके बाद तो दोबारा सिर्फ अपने कोटे के दो बजाय चार पैकेट लेने पहुंची उसकी बाद तो दोबारा बैजनाथपारा में लगातार घस्त करने का रास्ता ही भूल गई है। खबरदारों का तो यहां तक कहना है कि रात -बेरात हर रोज पुलिस वाले आते है पर गश्त करने नहीं वो तो सिविल ड्रेस में आकर बिना सायरन बजाते अपने हिस्से का माल लेकर निकल जाते है। कुछ दिन पहले पुलिस ने जनता से रिश्ता की खबर पर संज्ञान लेकर जो कार्रवाई हुआ था, वह सिर्फ कुछ दिन ही चला। फिर टाय-टाय फिस्स हो गया.। अब फिर बैजनाथपारा में रसूखदारों से खास लोगों ने कानून कायदे को ताक में रखकर फिर से रातों की रंगीनियत को पुलिस औऱ नेता मिलकर आबाद कर रहे है।
समय पर दुकान बंद करने की पाबंदी जुमला साबित हो रहा
हर हाल में रात 11 बजे के बाद दुकाने बंद कराने और जमघट लगाने वालों सख्त हिदायत जुमला साबित हो रहा है। गया । बैजनाथपारा में आए दिन होने वाले गुंडागर्दी से मुक्ति पर वहां व्यापारियों और रहवासियों ने सन-प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित देते हुए कहा कि ऐसा बैजनाथपारा में रोजाना हो। रहवािसयों ने पुलिस प्रशासन को साधुवाद दिया है.। अब पुलिस वालों को बैजनाथपारा में घुसते ही बार-बार सायरन नहीं बजाना पड़ता है, दुकानदार खुद-ब-खुद शटर गिराकर कानून कायदे का पालन कर रहे है।
रसूखदारों ने बढ़ाया कोटा
बैजनाथपारा के खबरदारों ने कहा कि एक दिन ही पुलिस वालों ने गश्त करने बैजनाथपारा पहुंचे उसके बाद से दूसरे दिन से फिर वही हालात निर्मित हो रहे है। लगता है रसूखदारों ने उनका कोटा बढ़ा दिया है।
बैजनाथपारा में चल रहे अवैध अघोषित नाइट मार्केट के खिलाफ जनता से रिश्ता की मुहिम को वहां के रहवासियों औऱ दुकानदारों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि जनता से रिश्ता पूरी शिद्दत के साथ हमारी परेशानी को प्रशासन के संज्ञान में ला रहा है जिसके लिए हम सभी बैजनाथपारा के नागरिक साधुवाद ज्ञापित करते हैं। बैजनाथपारा के व्यापारियों और रहवासियों का कहना है कि हम लोग भी रातभर चलने वाले धमाचौकड़ी से परेशान है। गुंडे बदमाशों के साथ पुलिस को भी नजराना पेश करना पड़ता है। जिन लोगों ने अपने घर के सामने दुकान खुलवाया है उन्हें तो रोज कमाई का हिस्सा तो देते ही हैं, ऊपर से गुंडे बदमाश एक की जगह दो-दो पैकेट पार्सल की डिमांड करते है। साथ ही कमाई के हिस्से से रंगदारी टैक्स भी देना पड़ता है। रातभर दुकान खोलने के बाद यदि 5-10 हजार नहीं कमाया तो रात भर जगने का क्या लाभ। इसलिए जो ढर्रा चल रहा है उस पर हम लोग भी चल रहे है। पुलिस वाले मालवीय रोड से रात 11 बजते ही सायरन बजाते हुए पहुंच जाते है जिसका मतलब है कि उनके आने से पहले शटर गिरा दो और दो पैकेट उनके फरमाइशी बिरियानी लेकर खड़े हो जाओ्ं जैसे ही वो बैजनाथपारा को पार करे वैसे ही फिर शटर उठाकर दुकान पूरी तरह सजा लेते है क्योंकि पुलिस वाले अब दोबारा आएंगे नहीं। क्योंकि उनका मनचाहा पार्सल मिल चुका होता है और रात भर दुकान खोलकर कमाई करते रहो। यहां पर रात में सायरन टैक्स के साथ गुंडे बदमाशों को भी रंगदारी टैक्स देना पड़ता है। गुंडे बदमाश किसी भी होटल में जबरदस्ती घुसकर बैठकर जाते है औऱ वही शराब, गांजा, चरस पीने लगते है , मना करने पर लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाते है, साथ ही उनके फरमाइशी बिरियानी मुफ्त में परोसनी पड़ती है। यह सिलसिला चलते अब कई साल हो गए है। दुकानदारों को अब आदत सी हो गई है, रातभर दुकान खोलों और पुलिस औऱ गुंडे बदमाशों को मुफ्त की बिरियानी देकर अपने दुकान और अपनी सुरक्षा का बंदोबस्त कर लो। हम भी चाहते है 11 बजे दुकान बंद हो यहां पर होटल-दुकान चलाने वाले कारोबारियों औऱ रहवासियों का कहना है कि हम भी चाहते है सब कुछ समयानुसार चले पर यहां तो रात भर दुकान खोलने का सिस्टम लागू हो गया है। यदि हम 11 बजे दुकान बंद करने की बात करते है या सुझाव देते है तो दुश्मनी जैसा व्यवहार करने लगते है। इसलिए जब तक बैजनाथपारा में जब तक कारोबार करना है तो रसूखदार और नाड़ा पायजामा छाप नेताओ्ं के हिसाब से ही चलने दो उसमें ही भलाई है। गंदगी से रहवासी परेशान रात भर चलने वाले नाइट मार्केट की गंदगी से बैजनाथपारा के मूल निवासी हलाकान है। सुबह जब उठते है तो उनके घरों के सामने जूठी प्लेट, नाली के आसपास बिरियानी बिखरा पड़ा रहता है। दुकान दार रात में ग्राहकों को जो मटेरियल परोसते है वो आधा खाकर आधा वही छोड़ कर चले जाते है। मटन चिकन के अपशिष्ट पदार्थ रहवासियों के घरों के सामने फेंक दिया जाता है। इस गंदगी के संबंध में नगर निगम औऱ पुलिस में कई बार रहवासियों ने लिखित औऱ मौैखिक शिकायत कर चुके है पर घरों के सामने से गंदगी की सफाई आज तक शुरू नहीं हुई है। जबकि नगर निगम दावा करती है कि रात में भी सडक़ों की सफाई की जाती है। बैजनाथपारा में रात को सफाई कर्मी आते होंगे पर रसूखदार दुकानदार उन्हें ग्राहकी के समय साफ करने से मना कर देते है सफाई कर्मी में रस्मअदायगी वाली सफाई कर फोटो खींच कर अपने ठेकेदार को भेज देता है, औऱ जाते समय होटल वालों से एक दो पैकेट बिरियानी लेकर चलता बनता है।
बैजनाथपारा बना असामाजिक तत्वों का अड्डा
शहर भर से नामचीन गुंडे -बदमाश बैजनाथपारा पहुंच जाते है, सारे अपराधियों का बैजनाथपारा सुरक्षित ठिकाना बन गया है। पुलिस वाले भी बैजनाथपारा में गुंडे बदमाशो को बैठे देख कर निकल जाते है। बैजनाथपारा में जितने भी होटल है जहां बैठक व्यवस्था है वहां गुंडे बदमाश बैठे देख सकते है। शरीफ लोग इसलिए यहां आकर कुछ खाने से कतराते है। सभी होटलों में रात दो बजे तक गुंडे बदमाशों की आवाजाही मची रहती है। न चाहते हुए भी होचले वाले उन्हें जाने के लिए नहीं कहते। दुकानदार अच्छी तरह जानते है कि यदि उन्हें यहां से उठने के लिए कहेंगे तो तू-तू-मैं-मैं की नौबत आ जाएगी इसलिए रात के दो बजने का इंतजार करते है।