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कराए गए ताजा सरकारी आंकड़ों को ही देखें तो प्रदेश्ा के 168 गांवों और बसाहटों के भूजल में बीमारी का कारण बनने वाले आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे तत्व घुले हुए हैं। शुद्ध पेयजल के लिए इन गांवों के लोगों को अभी भी बहुत भटकना पड़ रहा है। विशेषज्ञ प्राथमिकता के आधार पर इन गांवों तक नल से जल की योजना पहुंचाए जाने की बात करते हैं परंतु कड़वी सच्चाई है कि जल जीवन मिशन योजना के तहत प्रदेश को केंद्र सरकार से मिली राशि का 50 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर पा रहा है। ग्रामीण और आदिवासी बहुल क्षेत्रों के साथ-साथ शहरों में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
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