छत्तीसगढ़

आत्मानंद हिंदी मिडियम हायर सेकंडरी स्कूल में जीवविज्ञान शिक्षक विहीन- शासन के आदेशों की खुली धज्जियां

Shantanu Roy
17 Aug 2025 11:12 PM IST
आत्मानंद हिंदी मिडियम हायर सेकंडरी स्कूल में जीवविज्ञान शिक्षक विहीन- शासन के आदेशों की खुली धज्जियां
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Chhura. छुरा। छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षकों के संलग्नीकरण (अटैचमेंट) पर रोक लगाने के स्पष्ट आदेश जारी किए थे। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी और मौजूदा भाजपा शासन में भी यही नीति दोहराई गई— कि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए विद्यालयीन शिक्षकों को दफ्तरों में बैठाने पर पूरी तरह पाबंदी है। लेकिन हकीकत यह है कि गरियाबंद जिले में शासन के इन आदेशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालय में गुरुजी स्थायी बाबू बनकर जमे बैठे हैं, और स्कूल खाली पड़े हैं।

तीन साल से दफ्तर में अटके गुरुजी जानकारी के अनुसार बुद्धविलास सिंह- मूल पदस्थापना छुरा गजानंद हायर सेकंडरी स्कूल (जीवविज्ञान विषय) में है। मगर वे वर्षों से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, गरियाबंद में पदस्थ हैं। विल्सन पी. थॉमस – मूल पदस्थापना पूर्व माध्यमिक शाला लादाबाहरा है, लेकिन वे भी कार्यालय में ही नियमित हाज़िरी दे रहे हैं। दोनों का वेतन विद्यालय से कटता है, लेकिन सेवा कार्यालय में दी जा रही है। यह न सिर्फ शिक्षा विभाग के नियमों का उल्लंघन है बल्कि शासन के संलग्नीकरण समाप्ति आदेश (2019 और 2022) की सीधी अवमानना है।

स्कूलों में पढ़ाई चौपट
आत्मानंद हिंदी मिडियम हायर सेकंडरी स्कूल छुरा में जीवविज्ञान विषय का शिक्षक मौजूद नहीं है। वहीं ग्रामीण अंचल की पूर्व माध्यमिक शाला लादाबाहरा भी शिक्षकविहीन स्थिति में है। विज्ञान जैसे गंभीर विषय में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो रही है। कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है— बिना जीवविज्ञान शिक्षक के प्रयोगशाला कार्य और विषयगत तैयारी संभव नहीं है।

अभिभावकों का आक्रोश
स्थानीय अभिभावकों का कहना है, “अगर वेतन स्कूल से मिल रहा है तो गुरुजी को पढ़ाना भी स्कूल में चाहिए। हमें बाबू नहीं, गुरुजी चाहिए। हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है।” लोगों ने यह भी कहा कि यह शासन के आदेश की खुली अवहेलना है और अगर हालात नहीं सुधरे तो आंदोलन करना उनकी मजबूरी होगी।

शासन और कानून क्या कहते हैं?
शिक्षा विभाग की नियमावली और शासन के आदेश साफ कहते हैं। सेवा नियमावली: किसी भी शिक्षक को स्थायी रूप से कार्यालय में पदस्थ नहीं किया जा सकता। संविलियन शिक्षक नियम: हर विषय का शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य होना चाहिए।

शासन आदेश 2019 और 2022:
किसी भी परिस्थिति में विद्यालयीन शिक्षक को कार्यालयों में संलग्न न किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। इसके बावजूद गरियाबंद जिला शिक्षा कार्यालय ने इन आदेशों को कागज़ का टुकड़ा बना दिया है। अपर कलेक्टर एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, गरियाबंद नवीन भगत ने इस मामले में कहा है। “बुद्धविलास सिंह शासन के आदेश पर प्रतिनियुक्ति पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ हैं।” यानी साफ है कि यह “ऊपर से आदेश” कहकर शिक्षकों को कार्यालय में टिकाए रखा जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब शासन के आदेश खुद अटैचमेंट पर रोक लगाने के हैं, तो यह प्रतिनियुक्ति किस आधार पर की गई?

बड़ा सवाल
क्या जिला शिक्षा अधिकारी का दफ्तर शासन से ऊपर है?
क्या बच्चों की पढ़ाई सरकारी आदेशों की कीमत पर बर्बाद की जा सकती है?
क्या शिक्षकों को बाबू बनाने की इस व्यवस्था के पीछे कोई प्रशासनिक या राजनीतिक दबाव है?

विरोध की आहट
छुरा और आसपास के गांवों में आक्रोश गहराता जा रहा है। अभिभावकों और छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही शिक्षक स्कूल नहीं लौटे तो वे तालाबंदी, चक्काजाम, हड़ताल और आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। एक अभिभावक ने कहा “हमारे बच्चे पढ़ाई के लिए तरस रहे हैं। यह सीधे-सीधे उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। हम अब चुप नहीं बैठेंगे।” शिक्षा का स्तर गिरने की एक बड़ी वजह संलग्नीकरण ही है। जिन शिक्षकों की जिम्मेदारी बच्चों के भविष्य को संवारने की है, वे कार्यालयों में फाइलों में उलझे बैठे हैं। दूसरी ओर, गरीब ग्रामीण बच्चे शिक्षकविहीन कक्षाओं में ठगे जा रहे हैं।
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