छत्तीसगढ़

अटल आवास बेलभाठा का हाल बेहाल, कीचड़ और गड्ढे के बीच रहने गरीब परिवार मजबूर

Nilmani Pal
30 Nov 2024 9:24 AM GMT
अटल आवास बेलभाठा का हाल बेहाल, कीचड़ और गड्ढे के बीच रहने गरीब परिवार मजबूर
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अभनपुर। अटल आवास जैसी महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत बेलभाठा में 525 अटल आवास के मकान गरीबों के लिए वर्ष 2007 में भाजपा की सरकार के द्वारा बनाए गए थे । इन मकानों में अधिकांशतः गरीब लोग रहते हैं। यह कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड के द्वारा बनाई गई थी लेकिन केवल कॉलोनी बनाकर उसके बाद उसकी कोई खोज खबर नहीं की गई यहां के निवासी पीने के पानी और सड़क के लिए तरस रहे हैं । कॉलोनी में सीवर लाइन की स्थिति एकदम दयनीय है।

मकानों का घटिया निर्माण कर हाउसिंग बोर्ड ने पल्ला झाड़ लिया है और कुछ स्थानीय लोगों के हवाले कॉलोनी की देखरेख का जिम्मा दे दिया है । जिसके चलते ग्राम पंचायत गिरोला का क्षेत्र होते हुए भी कोई देख रेख का कार्य नहीं किया जा रहा है । बरसात के महीने में रास्ते से चलना मुश्किल है जगह-जगह गड्ढे हैं और पानी भरा हुआ है रोड रास्ता का पता नहीं है सूचना के अधिकार से हाउसिंग बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सड़क की मरम्मत में ₹1 भी 17 वर्षों में खर्च नहीं किए गए हैं यानी कि कहा जाए तो यह कॉलोनी लाबारिश की स्थिति में है ना तो ग्राम पंचायत देखरेख करती है और ना ही हाउसिंग बोर्ड । स्थानीय प्रशासन भी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है । जनप्रतिनिधि केवल वोट के समय हीं यहां आया करते है उसके बाद कभी किसी का दर्शन नहीं होता है । कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधि जाते हैं फोटो खिचाकर गर्व महसूस करते हैं उनके क्षेत्र में क्या बदहाली हैं उसकी सोच ही नहीं है कि जाकर लोगो की समस्याओं को देखे।

पानी सड़क सीवर लाइन की व्यवस्था में आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी और जिम्मेदार लोगों ने कोई भी कार्य नहीं किया है । लोग जाएं तो जाएं कहां शायद ही ऐसा कोई बेकार व्यवस्था वाली जगह इस पूरे छत्तीसगढ़ में होगी जो अटल आवास कॉलोनी बेलभाठा की है । लोगों ने उम्मीद किया है कि जनप्रतिनिधि और शासन इस पर ध्यान देगा और नागरिकों की मूल सुविधाओं के लिए यथा संभव कुछ प्रयास किए जाएंगे । शासन द्वारा पूरे छत्तीसगढ़ में जन समस्या निवारण पखवाड़ा मनाया गया है लोगो से आवेदन लेकर समस्या निवारण करने की बात की गई है । पर अटल आवास कॉलोनी बेलभाठा के लोग किस जगह आवेदन करे यह समझ नही आता है। मकान हाउसिंग बोर्ड ने बनाया तो क्षेत्र ग्राम पंचायत से अलग हो गया क्योंकि हाउसिंग बोर्ड ने निर्माण कार्य कराया यहां की जमीन भी हाउसिंग बोर्ड के नाम पर है । यह क्षेत्र नगर पालिका क्षेत्र में भी नहीं आता है अब आखिर इसकी देखरेख कौन करें । हाउसिंग बोर्ड ने 2 ,4 लोगों की समिति को इसकी देखरेख का जिम्मा दे दिया देखरेख का मतलब कुछ काम करना है , मूलभूत सुविधाओं को जनता को देना है उसके लिए पैसा चाहिए पैसा कहां से आएगा ? कौन देगा ? समिति के पास तो कोई आय का साधन ही नहीं है ऐसा समिति के लोगो का कहना है।

केवल नाम के लिए समिति को दिया गया है ताकि हाउसिंग बोर्ड का सिरदर्द खतम हो । समिति के लोग भी मोहबस इसको छोड़ना नहीं चाहते । जब कॉलोनी के निवासियों को तकलीफ है और समिति के पास पैसा नहीं है तो या तो ग्राम पंचायत को दे दें या नगर पालिका को दे दें और कोई नहीं लेता है तो हाउसिंग बोर्ड को यह जिम्मेदारी वापस कर दे कि हम इसकी कोई देखरेख नहीं कर सकते हैं । लेकिन मोहबस या लोभ बस नही छोड़ रहे । इसके पीछे क्या कारण है क्या कुछ कमाई हो रही है ? जांच का विषय है यहां बताना जरूरी हो गया है कि हर गरीब परिवार से 305 रुपए महीने समिति द्वारा वसूला जाता है पानी और मेंटेनेंस के लिए अब मेंटेनेंस क्या होता है यह ऊपर वर्णन किया जा चुका है तो इसका यह मतलब निकलता है कि जो ₹305 महीने वसूले जाते हैं उसमें आपस में लोग बंदर बांट कर रहे हैं जनता जाए भाड़ में।

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