बिलासपुर bilaspur news। बिलासा बाई केवट एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग की सुविधा का इंतजार और लंबा होता जा रहा है। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने इस प्रोजेक्ट में लगातार हो रही देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। समिति के अनुसार, पहले एक साल तक यह बहस चलती रही कि किस तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, और अब जब दो महीने पहले आखिरकार डीवीओआर टेक्नोलॉजी को लगाने पर सहमति बनी, तब भी संबंधित टेंडर अब तक जारी नहीं हो पाया है। bilaspur
समिति ने जानकारी दी कि डीवीओआर उपकरणों की स्थापना के लिए टेंडर जारी होने के बाद, उन्हें खरीदने और इंस्टॉल करने में कम से कम सात महीने लगेंगे। इसके बाद ही नाइट लैंडिंग की सुविधा के लिए डीजीसीए का सर्वे हो सकेगा। इसका मतलब है कि यदि आज से काम शुरू हो भी जाए, तो अगले जुलाई तक ही नाइट लैंडिंग की सुविधा बिलासपुर एयरपोर्ट पर संभव हो पाएगी। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने यह आशंका भी जताई कि नई तकनीक के समर्थकों के कारण इस देरी को और भी बल मिल रहा है, जिससे एयरपोर्ट का विकास बाधित हो रहा है। समिति ने यह भी बताया कि डेढ़ करोड़ रुपये के विकास कार्यों, जैसे अराइवल हॉल का विस्तार और कन्वेयर बेल्ट की स्थापना, का काम भी ठेकेदारों के चयन के बावजूद अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के अधिकारी बिलासपुर एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर महानगरों के हवाईअड्डों जैसी कठोर जांच कर रहे हैं, जिससे ठेकेदारों को वर्क परमिट मिलने में भी दिक्कतें आ रही हैं। समिति ने कहा कि बिलासपुर एयरपोर्ट पर फिलहाल एक ही फ्लाइट आती है, ऐसे में वहां तेजी से काम किया जा सकता है। लेकिन अगर महानगरों के हवाईअड्डों जैसे सुरक्षा मानकों को यहां लागू किया गया, तो बिना एयरपोर्ट को बंद किए काम करना संभव नहीं होगा। समिति ने विमानन मंत्री और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास पर विशेष ध्यान देने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक राज्य के मुखिया सीधी निगरानी नहीं रखेंगे, तब तक एयरपोर्ट का विकास तेज गति से नहीं हो पाएगा।
इस बीच, हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति का महा धरना शनिवार को भी जारी रहा, जिसमें बद्री यादव, राकेश शर्मा, समीर अहमद, दीपक कश्यप, महेश दुबे, रविंद्र सिंह ठाकुर, सुदीप श्रीवास्तव आदि शामिल थे।