वेतन विसंगति दूर कराने सहायक शिक्षकों ने किया धरना प्रदर्शन
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक / समग्र शिक्षक फेडरेशन के तत्वावधान में प्रदेश संगठन के आह्वान पर 6 फरवरी से पूरे छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षकों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है .प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर प्रदेश के एक लाख नौ हजार सहायक शिक्षक और प्रधान पाठक अपने अपने ब्लाकों में धरना प्रदर्शन दे रहे हैं .इसी कड़ी में राजनंदगांव ब्लॉक में कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन स्थल में सहायक शिक्षकों और प्रधान पाठकों ने धरना प्रदर्शन कर सरकार के विरुद्ध हल्ला बोला. इस अवसर पर प्रांत अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने उपस्थिति देकर साथियों का उत्साहवर्धन किया और मीडिया को संबोधित करते हुए मनीष मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब विपक्ष में थे तो कहा था कि वर्ग 1 और 2 के साथ न्याय हुआ है और वर्ग 3 के साथ धोखा किया गया है .आज उनकी सरकार को 4 साल से ज्यादा हो गया है और सहायक शिक्षकों से उन्होंने जो वादा किया था कि यदि हमारी सरकार आती है तो हम शीघ्र ही सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर कर देंगे यह एक छलावा साबित हो रहा है इस कारण प्रदेश के एक लाख नौ हजार सहायक शिक्षक और प्रधान पाठक
स्कूल बंद कर हड़ताल में आने को मजबूर है .सभा को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष रमेश कुमार साहू ने कहा कि धरना प्रदर्शन करना हमारा शौक नहीं है मजबूरी है .सरकार हम को मजबूर कर रही है कि वे धरना प्रदर्शन करें यदि सरकार हमारी एक सूत्रीय मांग प्रथम नियुक्ति तिथि से गणना कर वेतन विसंगति दूर कर दे दो हम अपना हड़ताल समाप्त कर देंगे क्योंकि बच्चों के भविष्य की चिंता हम सभी सहायक शिक्षकों को है.राजनांदगाव ब्लॉक अध्यक्ष रोशनलाल साहू ने कहा कि सहायक शिक्षकों को मजबूर न करो वेतन विसंगति दूर करो .हम नहीं चाहते कि छात्रों का अहित हो लेकिन सरकार हठधर्मिता पर तुली हुई है इस कारण हम लोग हड़ताल कर रहे हैं .जिला संयोजक ओमप्रकाश साहू ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने सहायक शिक्षकों से वादा किया था कि हमारी सरकार आएगी तो शीघ्र ही वेतन विसंगति दूर कर देंगे और आज 4 साल हो गए हैं लेकिन सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति दूर करने ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हैं इस कारण पूरे एक लाख नौ हजार सहायक शिक्षक और प्रधान पाठक प्रदेश की भांति राजनांदगांव ब्लाक में भी धरना प्रदर्शन करने मजबूर है.