छत्तीसगढ़

जनजातीय क्राफ्ट मेला से छत्तीसगढ़ के कलाकारों-शिल्पकारों को मिलेगा लाभ

Nilmani Pal
15 Nov 2021 11:05 AM GMT
जनजातीय क्राफ्ट मेला से छत्तीसगढ़ के कलाकारों-शिल्पकारों को मिलेगा लाभ
x

रायपुर। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय टेकाम ने आज वीर जननायक बिरसा मुंडा की जयंती पर रायपुर के हाट बाजार पंडरी में राज्य स्तरीय तीन दिवसीय जनजातीय क्राफ्ट मेला का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि इस मेला के आयोजन से प्रदेश भर के कलाकारों और शिल्पकारों को लाभ मिलेगा। छत्तीसगढ़ की पहचान देश-विदेशों में पहुंचेगी और प्रदेश को नई पहचान मिलेगी। आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण नवा रायपुर द्वारा भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से जनजातीय क्राफ्ट मेला का आयोजन 15 से 17 नवम्बर तक किया जा रहा है। मंत्री डॉ. टेकाम ने मेला उद्घाटन के अवसर पर विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन कर कलाकारों और शिल्पकारों का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने स्टॉलों से उपयोग की सामाग्री भी खरीदी। मेला में 35 से अधिक स्टॉलों पर शिल्पकारों के उत्पादों का प्रदर्शन और उनके विक्रय की व्यवस्था रखी गई है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने वीर जननायक बिरसा मुंडा की जयंती पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में लोक कला एवं संस्कृति रची-बसी है। प्रदेश सरकार ने आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से देश-विदेशों तक पहुंचाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि देश इस बार स्वतंत्रता दिवस का आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत की आजादी के 75 साल होने पर पूरे 75 हफ्ते तक उत्सव मनाया जाएगा। इस उत्सव के कार्यक्रम एक साल पहले से हो रहे है और 15 अगस्त 2022 तक यह महोत्सव मनाया जाएगा। डॉ. टेकाम ने कहा कि जनजातीय क्राफ्ट मेला के आयोजन का उद्देश्य जनजातीय शिल्प एवं कला कौशल को संरक्षित रखना, इनका संवर्धन करना और जनजातीय कौशल को सामान्य जनों के बीच प्रचारित-प्रसारित करना है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि मेला में जनजातीय लोक कलाकारों-शिल्पकारों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने के साथ-साथ उनके विक्रय करने का अवसर मिलेगा। विभिन्न सांस्कृतिक दलों का प्रतिदिन यहां मंच पर प्रदर्शन होगा, जिसमें अपने सांस्कृतिक विचारों का आदान-प्रदान करने का भी अवसर भी प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि मेला में प्रदेश के बस्तर से लेकर सरगुजा के कलाकार-ल्पकारशि अपने उत्पादों और कला का प्रदर्शन करेंगे। बिलासपुर, गरियाबंद, राजनांदगांव, जगदलपुर, नारायणपुर, अम्बिकापुर, जशपुर, दुर्ग, गरियाबंद, धमतरी आदि जिलों के कलाकार, शिल्पकार, नृतक दल शामिल होंगे। मेला में जूट, काष्ठ कला, लोह कला, बांस शिल्प, ढोकरा आर्ट, भित्ती चित्र, गोदना आदि के स्टॉल में प्रदर्शन किया जाएगा। मेले में आने वाले लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी, स्थानीय जन सामान्य भी आदिवासी संस्कृति, परम्परा से परिचित हो सकेंगे। विभिन्न जनजातियों के लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

Next Story