छत्तीसगढ़

रायपुर शहर में एक और निजी अस्पताल की मनमानी और दादागिरी, बांठिया अस्पताल की कार्रवाई के बाद भी सबक नहीं लिया, मरीज़ों से लूट जारी

jantaserishta.com
6 May 2021 6:11 PM GMT
रायपुर शहर में एक और निजी अस्पताल की मनमानी और दादागिरी, बांठिया अस्पताल की कार्रवाई के बाद भी सबक नहीं लिया, मरीज़ों से लूट जारी
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रायपुर। राजधानी के टैगोर नगर स्थित जीवन अनमोल अस्पताल में रिपोर्टिंग के लिए गए पत्रकारों से अस्पताल प्रबंधन ने झूमा-झटकी की। मीडियकर्मियों के कैमरे छीन लिए गए। ये पूरा मामला जीवन अनमोल अस्पताल का है। जिसके संचालक डॉ. भीष्म शदाणी है, और इन डॉक्टर साहब के फार्मसी (मेडिकल) के बाउंसर द्वारा मीडियाकर्मियों के मोबाइल छीन लिए गए। इस अस्पताल में पूरी तरह से कालाबाज़ारी का खेल चल रहा है। इस अस्पताल में कई मरीज़ों को पहले बहला-फुसलाकर भर्ती करा लिया जाता है। उसके बाद अस्पताल प्रबंधन का असली खेल शुरू होता है। इसी मामले में रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों से अस्पताल प्रबंधन के स्टाफ ने झूमा-झटकी भी की।

जनता से रिश्ता को मरीज़ के परिजनों के शिकायत पर जब टीम वहा अस्पताल प्रबंधन से सही जानकारी और उनका पक्ष सुनने गई तो अस्पताल के संचालक डॉक्टर वहा से भाग गए। और ये खबर मरीज़ के परिजनों द्वारा बताये गए आधार ही लिखी जा रही है। जनता से रिश्ता इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है। लेकिन सच्चाई जान्ने के लिए लोक तंत्र का चौथा स्तंभ की जिम्मेदारी निभाते हुए निजी अस्पतालों में हो रही लूट को देखते हुए नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता और सच्चाई जानकर उस पर कार्रवाई कराने हेतु अवगत कराने का कार्य भी मीडिया के जिम्मेदारी होती है इसके पहले भी बांठिया अस्पताल की कारगुजारियां और मरीज़ों के साथ बदतमीजी, अवैध वसूली, दवाइयों की अनाब शनाब मूल्य लगाकर उगाही की गई जिसकों जनता से रिश्ता समाचार पत्र में प्रमुखता से स्थान दिया। जिसके उपरांत जिला प्रशासन ने इस अस्पताल पर कार्रवाई करते हुए 14 दिनों के लिए लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।

झूठा इलाज का बहाना बताकर लूट रहे परिजनों को

अस्पताल के बाहर अस्पताल में भर्ती मरीज़ों के परिजनों ने बताया कि उनको एक मुश्त रकम बताकर अस्पताल में मरीज़ को भर्ती करवा लिया गया। जिसके बाद मरीज़ के परिजनों से एकाएक पैसों की मांग बढ़ती गई और बिल बना दिया 3 दिन का 90 हज़ार। ये सारे खेल तो अस्पताल प्रबंधन खेल रहा है और दोष मरीज़ के परिजनों पर मढ़ता जा रहा है।

इंजेक्शन हुआ 40 हज़ार का

सर्वप्रथम मरीज़ के परिजनों ने पत्रकार को बताया कि उनके मरीज़ को इलाज के लिए इंजेक्शन की जरूरत थी तो अस्पताल द्वारा 40 हज़ार लिया गया। उसके बाद उसे इंजेक्शन लगी या नहीं वो तो भगवान ही जाने। अस्पताल प्रबंधन ने पत्रकारों इस बात पर कुछ और ही कहानी सुनाई। इस वाक्या में अस्पताल प्रबंधन के रिसेप्सशन स्टाफ और फार्मेसी स्टाफ ने मिलकर बताया कि इंजेक्शन की कीमत 40 हज़ार नहीं बल्कि 42 हज़ार और 48 हज़ार होती है, और ये इंजेक्शन रायपुर सीएममो मीरा बघेल से अनुमति लिए बिना नहीं मिलता। अब अस्पताल प्रबंधन अपनी ही बातों में फंस गया क्योकि इन्होंने मीरा बघेल के नाम का उपयोग चलते वीडियो में किया और ये सब कालाबाज़ारी करने वाले अस्पताल ऐसे ही ईमानदार अधिकारियों का नाम लेकर लोगों को गुमराह करते है।

मीरा बघेल सीएमओ रायपुर का बयान

मामले में मीरा बघेल ने अस्पताल के खिलाफ बयान दिया है उन्होंने ने कहा है कि 40 हज़ार का इंजेक्शन होता है लेकिन जीवन अनमोल अस्पताल को नहीं दिया गया है। अगर अस्पताल इन मामलों में मेरा नाम उपयोग कर रहा है तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

भर्ती करने से पहले 60 हज़ार जमा करना पड़ता है

मरीज़ के परिजनों द्वारा ऑन वीडियो कैमरा ये बयान दिया गया है कि मरीज़ को भर्ती करने से पहले 60 हज़ार जमा कराने को बोला जाता है। उसके बाद इस अस्पताल के लूट का सिलसिला शुरू होने लगता है।



निजी अस्पतालों की मनमानी चरम पर

कोरोनाकाल में निजी अस्पतालों की मनमानी के कई मामले सामने आए है, जिसमें बेड और रेमडेसिविर की कालाबाजारी मुख्य है। निजी अस्पतालों पर बेड की कालाबाजारी का आरोप भी लग रहा है। निजी अस्पताल प्रबंधन मरीजों को भर्ती के समय तो बहुत बड़े-बड़े सुविधा देने के वादे करते है, जब मरीज भर्ती हो जाता है तो मनमाने सर्विस चार्ज जोड़ते है। वहीं आईसीयू और वेंटिलेटर में मरीज को रखना पड़ा तो दोगुना-तीन गुना चार्ज बढ़ाकर इलाज किया जाता है।

एक मरीज़ जिसका नाम संजय जग्यासी था जिसकी कोरोना से संजीवनी अस्पताल में मृत्यु हो गई। उसकी रेडीमेट कपडे की दुकान आरोही गर्ल्स शॉप पंडरी कपडा मार्किट में था। उसके दोस्तों और रिश्तेदारों ने भी जनता से रिश्ता को व्हाटसएप में मैसेज भेजकर स्पष्ट रूप से लिखा है कि मरीज़ के सीरियस होने पर और नहीं बचने की उम्मीद पर आखिरी समय पर मरीज़ को गंभीर स्थिति में दूसरे अस्पताल भेज दिया जाता है जहां पहले से ही गंभीर मरीज़ की अस्पताल पहुंचते ही मौत हो जाती है।

जनता से रिश्ता पूरी सच्चाई के साथ जानकारी एकत्रित करने के उद्देश्य से अस्पताल प्रबंधन से लगातार कोशिश करते रहे लेकिन दुर्भाग्यवश अस्पताल प्रबंधन ने अपनी ओर से सफाई पेश करने लिए सामने नहीं आया।

बांठिया अस्पताल के बाद दूसरा कालाबाज़ारी करने वाला अस्पताल बन गया है जीवन अनमोल अस्पताल।

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