शराब घोटाले में आज कोर्ट में होगी पेशी: ईओडब्ल्यू फिर मांगेगी रिमांड
मनी ट्रेल की डायरी छुपाई क्यों जा रही है जबकि इस डायरी में सभी सबूत और आधार मौजूद है
रायपुर (जसेरि)। राज्य के चर्चित आबकारी गड़बड़ी केस में गिरफ्तार कारोबारी अनवर ढेबर से पूछताछ में ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का पसीना छूट रहा है। वे ईओडब्ल्यू के अधिकतर सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं। पूछताछ के दौरान उनका एक जवाब होता है कि उन्हें जानकारी नहीं है या वे ईडी को पहले ही सबकुछ बता चुके हैं। लगातार तीन दिन की पूछताछ के बाद भी ईओडब्ल्यू को अब तक कोई नहीं जानकारी नहीं मिली है। उनके साथ ही गिरफ्तार बीएसपी के पूर्व कर्मचारी अरविंद सिंह भी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। दोनों को आमने-सामने बिठाकर भी पूछताछ की गई है। रिमांड खत्म होने की वजह से दोनों को सोमवार को विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। ईओडब्ल्यू पूछताछ के लिए फिर से रिमांड मांग सकती है। इधर दूसरी ओर ईओडब्ल्यू ने कई आबकारी उपायुक्त और जिला अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया है। इन सभी के नाम एफआईआर में है। अभी तक आधा दर्जन जिला अधिकारी और उपायुक्तों के बयान हो चुके हैं। इन सभी से पिछली सरकार में सक्रिय सिंडीकेट के बारे में जानकारी ली गई है। उनसे पूछा गया कि किस तरह से शराब का परिवहन होता है? होलोग्राम कैसे बनाया? उसे बोतल में कैसे लगाया जाता था? ओवररेट का पैसा कैसे ऊपर वालों तक कैसे गया? कौन-कौन सिंडीकेट में शामिल था? किसकी क्या भूमिका थी? पैसों का कलेक्शन कैसे होता था? इस तरह के दो दर्जन सवाल किए गए। बयान देने पहुंचने वाले
अफसरों में महिला अधिकारी भी शामिल थे।
गौरतलब है कि ईओडब्ल्यू ने पूर्व मंत्री समेत 71 लोगों के खिलाफ आबकारी मामले में केस दर्ज किया है। इसमें 30 से ज्यादा आबकारी अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार ईडी द्वारा दर्ज आबकारी केस में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है कि इसमें मनी लांड्रिंग नहीं है, कोई विधेय अपराध नहीं है और न कोई प्रोसीड ऑफ क्राइम है। इस पर ईडी अपना जवाब देगी। इसमें मूल केस खत्म हो सकता है।
पूर्व आबकारी मंत्री लखमा से भी होगी पूछताछ : ईओडब्ल्यू एफआईआर में जिन लोगों के नाम हैं उन्हें पूछताछ के लिए बुला रही है। पहले चरण में अधिकारियों को बुलाया जा रहा है। इसके बाद शराब कारोबारी और आखिर में नेताओं को बुलाया जाएगा। पूर्व मंत्री कवासी लखमा को भी पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी की जा रही है। क्योंकि अधिकांश दस्तावेज में उनके ही हस्ताक्षर हैं।
टूटेजा पिता-पुत्र के खिलाफ रद्द हो सकता है एफआईआर : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश के खिलाफ धन शोधन मामले को रद्द कर सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि अपराध से धन अर्जित नहीं किया गया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा, ‘‘हमने ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूची रिपोर्ट) और मामले में दर्ज प्राथमिकी को पढ़ा। हमने पाया कि कोई अपराध नहीं किया गया और अपराध से धन अर्जित नहीं किया गया, इसलिए कोई धन शोधन नहीं हुआ। हम इस शिकायत को रद्द करेंगे।
राजू ने कहा कि जांच एजेंसी के पास पर्याप्त सामग्री है और यदि न्यायालय ईसीआईआर को रद्द करने को इच्छुक है तो ईडी को एक नयी शिकायत दर्ज करने और मामले को आगे बढ़ाने की छूट दी जाए। उन्होंने न्यायालय ने अनुरोध किया, ‘‘न्यायालय ने इस विषय में कई आदेश पारित किये हैं, जैसे कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाए। इन आदेशों को निरस्त किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह मौजूदा शिकायत को रद्द करेगी और यह बयान दर्ज करेगी कि एजेंसी कानून के अनुसार एक नयी शिकायत दर्ज करना चाहती है। पिता-पुत्र की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि मामले में अन्य सह-आरोपी हैं और उनके खिलाफ भी शिकायत रद्द की जानी चाहिए। पीठ ने अधिवक्ता से कहा कि क्या मौजूदा शिकायत में नामजद, अन्य सह-आरोपियों को राहत दी जा सकती है। यदि नहीं, तो उन्हें अपने कानूनी उपाय करने होंगे।
अदालत ने जब राजू से यह सवाल किया कि क्या सह-आरोपी मौजूदा शिकायत में नामजद किये गए हैं, सरकार के विधि अधिकारी ने जवाब देने के लिए वक्त मांगा। इसके बाद, पीठ ने विषय की अगली सुनवाई आठ अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दी। पीएमएलए अदालत में दाखिल ईडी के आरोपपत्र में धन शोधन रोधी एजेंसी ने कहा कि पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा छत्तीसगढ़ में शराब की अवैध आपूर्ति में शामिल गिरोह के ‘‘सरगना’’ हैं। राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शीर्ष अदालत में आरोप लगाया था कि जांच एजेंसी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। उसने आरोप लगाया था कि राज्य के अधिकारियों को जांच एजेंसी परेशान कर रही है और उनसे अपनी संपत्तियों का विवरण देने को कह रही है।
राम गोपाल टूटेजा मनी ट्रेल की डायरी अब अहम हो गई इसी मनी ट्रेल डायरी के बग़ैर श्वष्ठ को बड़ी रक़म के घोटाले की अपनी चार्जशीट को साबित करने में परेशानी आई हैं। अब यही मनी ट्रेल डायरी में ईओडब्ल्यू को भी सभी अपराधों को साबित करने के लिए पर्याप्त मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिलेंगे। और भरपूर मदद मिलेगी। पक्के सबूत भी जिसमें भूपेश बघेल के सरकार के द्वारा बड़े घपले घोटाले का हज़ारों करोड़ रुपया का धनोपार्जन किया गया है और सभी बड़े नेताओं को रक़म का वितरण करने का विवरण तारीख़ के सहित दर्ज है अब सवाल यह है कि मनी टैल ये डायरी किसके इशारे पर छुपाएँ या दबाई जा रही हैं चर्चा का विषय यह भी है कि बड़े पैमाने में सेटिंग आरोपियों द्वारा की गई हैं। इसी मनी ट्रेल डायरी के आधार पर बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं ने तत्कालीन भूपेश सरकार को ATM सरकार माना था। और समय समय पर बीजेपी के सभी नेताओं ने भूपेश सरकार को कांग्रेस आलाकमान का एटीएम करार दिया था।