प्रोटोकाल घोटाले मामले में आईएएस विजय कुमार धुर्वे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
अंबिकापुर। सरगुजा के बहुचर्चित प्रोटोकाल घोटाले में नामजद सेवानिवृत्त आइएएस विजय कुमार धुर्वे (वीके धुर्वे)की अग्रिम जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अंबिकापुर नीलिमा सिंह बघेल की अदालत ने खारिज कर दी है। प्रकरण में दो आरोपित बैजनाथ विश्वकर्मा व उमेशचंद श्रीवास्तव वर्तमान में जेल में निरुद्ध है। ये दोनों घोटाले के दौर में प्रोटोकाल शाखा में ही पदस्थ थे। मामले के चार आरोपित के खिलाफ फरारी में चालान पेश किया गया है। प्रकरण में कुल सात को नामजद किया गया है।
प्रोटोकाल घोटाला वर्ष 2012 में सामने आया था। अधिवक्ता व आरटीआइ एक्टिविस्ट डीके सोनी ने सूचना के अधिकार के तहत मामले का राजफाश किया था। एंटी करप्शन ब्यूरो ने प्रकरण दर्ज किया है। सेवानिवृत्त आइएएस वीके धुर्वे के अग्रिम जमानत में इस बात का उल्लेख किया गया था कि तथाकथित आरोपित घटना के समय प्रार्थी अपर कलेक्टर के पद पर जिला अंबिकापुर सरगुजा कार्यालय में कार्यरत था तथा 2021 में संयुक्त सचिव छत्तीसगढ़ शासन जेल एवं परिवहन विभाग मंत्रालय नया रायपुर के पद से 30 सितंबर 2021 को सेवानिवृत्त हुए है।
आवेदक के विरूद्ध आरोपित तथ्यों के संबंध में पूर्व में भी संघ लोक सेवा आयोग नई दिल्ली के द्वारा विभागीय जांच की कार्रवाई की गई थी। जमानत याचिका का विरोध एंटी करप्शन ब्यूरो और अतिरिक्त लोक अभियोजक द्वारा भी किया गया था। प्रकरण में सारे तथ्यों की सुनवाई के बाद अदालत ने सेवानिवृत्त आइएएस की जमानत याचिका निरस्त कर दी।
विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अंबिकापुर नीलिमा सिंह बघेल की अदालत ने कहा है कि सरगुजा जिले के प्रोटोकाल विभाग में अभियुक्त द्वारा अन्य सह अभियुक्तगण के साथ मिलकर अत्यधिक राशि की हेरा-फेरी, वाहनों का उपयोग आवश्यकता से अधिक दर्शाकर डीजल-पेट्रोल की राशि की हेराफेरी एवं फर्जी वाहनों का नंबर देकर शासन की राशि का घोटाला एवं फर्जीवाड़ा किया गया है जो कि आर्थिक अपराध होने से अत्यधिक गंभीर है। प्रकरण के समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अदालत ने विजय कुमार धुर्वे की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत को निरस्त कर दिया है।