छत्तीसगढ़

सीएम प्रोटोकाल में फर्जीवाड़ा करने वाले फरार 4 आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

Nilmani Pal
8 Feb 2022 8:00 AM GMT
सीएम प्रोटोकाल में फर्जीवाड़ा करने वाले फरार 4 आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
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अम्बिकापुर। साल 2010 में वीआईपी व्यक्तियों को लक्जरी गाडियां उपलब्ध करानें एवं पेट्रोल डीजल के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा करने के मामले में फरार और आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अम्बिकापुर सरगुजा श्रीमती नीलिमा सिंह बघेल ने आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता डीके सोनी के आपत्ति के बाद खारिज कर दिया है।इस मामले में

ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन अपर कलेक्टर सहित 7 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। वही 12 वर्ष के बाद ईओडब्ल्यू ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 4 फरवरी 2022 को विशेष न्यायालय में पेश किया था,जंहा इनकी भी जमानत याचिका खारिज हो गई थी। इसी मामले में फरार 4 आरोपी विजय कुमार गुप्ता निवासी देवीगंज रोड संगम चौक,अजय कुमार मिश्रा सहायक शिक्षक,निवासी नमनाकला रिंग रोड,अखिल कुमार गुप्ता निवासी नमनाकला एवं दिलीप विश्वकर्मा अग्रसेन चौक अम्बिकापुर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से 5 फरवरी 2022 को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अम्बिकापुर यहां अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर की थी जिसमें अधिवक्ता डीके सोनी के आपत्ति के बाद इन चारों की भी जमानत याचिका न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई।

गौरतलब है कि करीब 12 वर्ष पहले अम्बिकापुर के आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता डीके सोनी नें सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी थी उसके तहत प्रोटोकाल विभाग में वीआइपी व्यक्तियों को दी जाने वाली वाहन सुविधा के नाम पर एक बडा फर्जीवाडा सामनें आया था।सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी सामने आई थी उसके मुताबिक वीआईपी को प्रोटोकाल विभाग द्वारा दी जानें वाली लक्जरी वाहनें के नंबर बाईक, पिकप व प्राईवेट कार के मिले थे और उन्हें किराए में लिए गये वाहनों का नम्बर बताकर भुगतान भी कर दिया गया था। सन 2010 के अक्टूबर माह में जब इस मामले की हकीकत सामनें आई तो अधिवक्ता डीके सोनी ने इस गडबडी की शिकायत राज्यपाल व मुख्यमंत्री से करते हुए उचित कार्यवाही की मांग की थी और प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस बात की जानकारी देते हुए अधिवक्ता डीके सोनी नें बताया था कि वर्ष 2007 से 2009 तक के दौरान प्रोटोकाल विभाग से वीआईपी को उपलब्ध कराए गये वाहनों के प्रकार ,उसकी सूची, किराया भुगतान व डीजल पेट्रोल खर्चे का विवरण आरटीआई के माध्यम से मांगा गया था और स्थानीय स्तर पर हीला हवाली के बाद राज्य सूचना आयुक्त के निर्देष के बाद प्रोटोकाल विभाग द्वारा 562 वाहनों की जानकारी दी गई थी। वही जांच पड़ताल के बाद 2012 में आर्थिक अपराध अन्वेक्षण ब्यूरो नें तत्कालीन अपर कलेक्टर बीके ध्रुव सहित सात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। इस मामले के उजागर होने के 12 साल बाद ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 6 लोगों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किया था। वही अधिवक्ता डीके सोनी के द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद विशेष न्यायालय ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया जिसके बाद दोनों आरोपियों को जेल दाखिल कराया गया है।

इस मामले में चार आरोपियों की गिरफ्तारी होनी अभी बाकी है, इन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर की थी जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है वहीं तत्कालीन अपर कलेक्टर बीके धुर्वे को आईएस अवॉर्ड दिए जाने की वजह से ईओडब्ल्यू ने आरोपी तत्कालीन अपर कलेक्टर के खिलाफ चालान पेश नहीं किया है। बीके धुर्वे के खिलाफ चालान पेश करने के लिए ईओडब्ल्यू ने अभियोजन की स्वीकृति हेतु सेंट्रल गवर्नमेंट से मंजूरी मांगी है। मंजूरी मिलते ही ईओडब्ल्यू बीके धुर्वे के खिलाफ भी विशेष न्यायालय में चालान पेश करेगी।

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