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रायपुर। जंगल सफारी में 17 चोसिंगो की मौत के मामले में वहां के डॉक्टर की लापरवाही, डायरेक्टर जंगल सफारी के मना करने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारी से छुट्टी ले कर छुट्टी पर जाने का और बैक डेट में कागज बनाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि डॉक्टर का एक नया मामला सामने आया है। दरअसल रायपुर वन मंडल ने विधायक कॉलोनी शिव शक्ति मंदिर के पास फुंडहर रायपुर से 16 जनवरी 2024 को एक लंगूर को रेस्क्यू किया था और लंगूर को अवैध रूप से रखने के मामले में 17 जनवरी को अपराध क्रमांक 6287/21 दर्ज किया था। लंगूर को जंगल सफारी रायपुर में रखा गया था।
बिना अनुमति छोड़ दिया लंगूर को
30 जनवरी को जंगल सफारी के डॉक्टर ने लंगूर को जंगल सफारी के पास ही तेंदुआ गांव के पास मैदान में गुपचुप तरीके से छोड़ दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जंगल सफारी के डायरेक्टर को भी यह पता नहीं चला कि लंगूर को छोड़ दिया गया है। चर्चा अनुसार इस डॉक्टर को वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है।
केंद्रीय जू प्राधिकरण के नियमों की उड़ाई धज्जियां
जिन वन प्राणियों को अपराध के तहत जप्त किया जाता है, केंद्रीय जू प्राधिकरण के नियमों के तहत उन्हें कोर्ट के आदेश के बाद ही छोड़ जा सकता है, परंतु बिना कोर्ट की अनुमति के लंगूर को छोड़ दिया गया। जानकारों का कहना है कि ऐसे में अब अपराधी बच जाएंगे क्योंकि सबूत ही नहीं बचा। इस प्रकरण में रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन मंत्री से लिखित में शिकायत कर पूरे प्रकरण की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की है तथा यह सुनिश्चित करने की मांग की है की जांच के दौरान कोई भी वरिष्ठ अधिकारी हस्तक्षेप ना करे। सिंघवी का कहना है कि लंगूर को तेंदुआ गांव के आसपास छोड़ने से दूसरी समस्या यह पैदा होगी कि लंगूर अब गांव वालों के घरों के आसपास घूमेगा, जिससे गांव वालों की परेशानी बढ़ेगी। कोर्ट की अनुमति के पश्चात और उचित स्थान के अध्ययन करने के उपरांत उचित वन व रहवास में लंगूर को पुनर्स्थापित किया जाना लंगूर के हित में होता।
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