रायपुर। शिक्षक, केवल विभिन्न विषयों का ज्ञान ही नहीं देते बल्कि एक अच्छे नागरिक बनने के गुण भी अपने विद्यार्थियों में विकसित करते हैं। शिक्षक विद्यार्थी के अन्दर छुपी प्रतिभा की पहचान कर उन्हें निखारते हैैं और जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। चरित्र निर्माण करने के साथ ही नैतिकता का बीजारोपण करते हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान-2020 समारोह में संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया। राज्यपाल ने सभी सम्मानित होने वाले शिक्षकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने कोरोना काल में दिवंगत शिक्षकों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्य शिक्षक सम्मान स्मृति पुरस्कार 2020 हेतु चयनित 3 शिक्षकों और राज्य शिक्षक पुरस्कार 2019 के लिए चयनित 47 शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते हैं। वे जलते हुए दीपक की तरह स्वयं जलकर, हमारी जिंदगियों में उजाला भरते हैं। वे न केवल हमें ज्ञान की रोशनी देते हैं बल्कि सच्चाई के मार्ग पर चलने का हौसला भी देते हैं, क्योंकि शिक्षक अपना पूरा जीवन, इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब हम पर कोई भी विपदा आई है, शिक्षकों ने कभी हिम्मत नहीं हारी। पिछले डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा हैं, परंतु शिक्षकों ने इस नए मोर्चे पर भी ऑनलाइन शिक्षण के जरिए पूरी काबिलियत और मेहनत के साथ शिक्षा के मुहिम को जारी रखा। चाहे मोहल्ला क्लासरूम हो या पढ़ई तुंहर द्वार, ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से प्रदेश के शिक्षकों ने पूरे उत्साह और समर्पण के साथ शिक्षण की निरंतरता में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने दी।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों का समग्र विकास करना और बच्चों को व्यावहारिक जानकारी तथा विभिन्न कौशल से युक्त करना है ताकि वे पढ़ाई खत्म करने के बाद आत्मनिर्भर बन सके। इस नीति में समावेशी शिक्षा पर भी जोर दिया गया है, जिसमें विशेषकर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा पृथक से 'जेंडर इन्क्लूजन फंड' भी बनाया जाएगा, जिससे बालिकाओं को भी निर्बाध रूप से शिक्षा मिलती रहे।
राज्यपाल ने बदलते परिवेश में शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनके समक्ष अभी कई चुनौतियां है। प्राथमिक स्तर में बच्चों का प्रवेश दर 90 फीसदी है जो हायर सेकण्डरी स्तर आते तक कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चे पढ़ाई बीच में ना छोड़े इसके लिए शिक्षक, अभिनव उपाय अपनाएं और शिक्षण पद्धति आकर्षक बनाए। साथ ही यह भी प्रयास करें कि शिक्षा गुणवत्ता पूर्वक व रोजगार परक हो।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि समाज में शिक्षक समुदाय को हमेशा उच्च स्थान दिया गया है। हमारे 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' में अपनी परम्पराओं का सम्मान और शिक्षा का सर्वोच्च स्थान है। शिक्षा लोक कल्याण का सबसे बड़ा माध्यम बने यही हमारा प्रयास है। अध्यापन का पेशा अनादि काल से मौजूद है। पुराने समय में शिक्षण की गुरूकुल प्रथा थी, जहां कई वर्षाें तक छात्रों को शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाता था। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न स्वर्गीय डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान शिक्षक हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रथम शिक्षा हमें अपने घर से मिलती है, अनुभव और गलतियां हमारे सबसे बड़े शिक्षक हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कैसे परिस्थितियों को संभालना है। महान शिक्षक भारत रत्न डॉ.राधाकृष्णन जी का मानना था कि शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों कोे जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें। भारत की वर्तमान शिक्षा पद्धति विविध विषयों और प्रौद्योगिकियों के बारे में हमारे ज्ञान के विस्तार को बढ़ाती हैं। यह हमें हमारी संस्कृति और नैतिकता के बारे में जानने में मदद करती हैं। मुख्यमंत्री ने कोरोना महामारी के विषम काल में शिक्षा की बागडोर थामे रखने के लिए शिक्षक साथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने फ्रन्ट लाइन वारियर का भी काम किया है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य शिक्षक सम्मान पुरस्कार समारोह में सम्मानित सभी शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन शिक्षक दिवस में करने की परिपाटी रही है, लेकिन विगत वर्ष भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के असामयिक निधन तथा कोरोना महामारी के कारण यह आयोजन नही हो पाया था। अभी प्रदेश में कोरोना का प्रभाव कम है और आगामी शिक्षक दिवस आने में अभी वक्त है। अतः इस बीच अपनी परम्परा को बनाए रखने के लिए यह आयोजन किया गया।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने शिक्षक सम्मान के अवसर पर देश के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि एक बालक के जन्म से लेकर उसके सम्पूर्ण जीवन काल में गुरू का उच्च स्थान है। गुरू हमें आने वाली कठिनाईयों से बचने और लड़ने की तैयारी कराते हैं। वर्तमान कोरोना कालखंड में जिस तरह से शिक्षकों ने अपनी भूमिका निभाई है वह ऐतिहासिक है। शिक्षकों ने ऑफलाइन और ऑनलाइन पढ़ाई, मोहल्ला क्लास, पढ़ाई तंुहर दुआर जैसे नवाचार के माध्यम से लाखों बच्चों में अध्ययन-अध्यापन की अलख जगाए रखी। आज के दौर में मूल्य आधारित शिक्षा हमारी आवश्यकता बन गई है। डॉ.टेकाम ने शिक्षकों से आव्हान किया कि सभी छात्र-छात्राओं को ऐसी शिक्षा प्रदान करें, जिससे उनमें जीवन मूल्यों का विकास हो सके।