छत्तीसगढ़

प्यार और जंग में ही नहीं राजनीति में भी सब जायज

Admin2
13 Nov 2020 5:51 AM GMT
प्यार और जंग में ही नहीं राजनीति में भी सब जायज
x

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

तीन नवंबर को हुए उपचुनाव मतदान का परिणाम 10 नवंबर को आया, भूपेश बघेल ने अपने विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया. उनको सब पैंतरे मालूम है, से उन्होंने पैंतरे पर पैंतरे दिखाते मरवाही को भी अपने बेड़े में शामिल कर लिया । दाऊ जी अच्छी तरह से जानते है कि बिना विकास के घोड़े दौड़ाए चुनावी रेस में जीता नहीं जा सकता, इसलिए उन्होंने कम समय मे ंही मरवाही क्षेत्र में विकास की गंगा बहाकर मरवाही सीट अपनी झोली में डाल लिया है।

कमाई के नए रास्ते में ब्रेकर

कहते है जहां चाह वहां राह, लोग शार्टकमाई के चक्कर में ज्यादा रहने लग ंगए है, हाल ही में ऐसी शार्टकट कमाई के लिए वेबपोर्टलों की बाढ़ सी आ गई थी, छुटभैया नेता टाइप लोगों के लिए यह वरदान साबित हो गया था, जिसे देखो वेबपोर्टल बनाकर पत्रकार बन बैठे है। और उगाही में मस्त हैं। बहरहाल इस पर अब सुप्रीम कोर्ट का चाबुक चल गया है। जिससे सभी इधर-उधर भागते नजर आ रहे है।

साथ दो तो बेल, वरना जेल

वर्ष 2018 की बात है मध्यप्रदेस के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया था,उसमें नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा भी शामिल थे। शिवराज सिंह के आशीर्वाद से बाबा फर्श से अर्श में आ गए थे, लेकिन अभी हाल में 28 सीटों में हुए उपचुनाव में बाबा ने शिवराज सरकार के खिलाफ लोकतंत्र बचाव यात्रा निकाल दी थी फिर क्या बाबा की कम्प्यूटर की लाइट डिसकनेक्ट कर दिया गया और सीधे बाबा को जेल का रास्ता दिखा दिया गया। उनके आश्रम को भी तोड़ दिया गया, वहां से बंदूक, कृपाण, रायफल और न जाने क्या-क्या अवैध सामग्री जब्त भी किया गया। जनता में खुसुर -फुसुर है कि जब बाबा आपका सपोर्ट कर रहे तब राज्य मंत्री की तरह थे, और आपके विरोध में क्या आए उनको संत्री के बराबर नहीं समझा। ये तो फारूख अब्दुल्ला वाली बात हो गई भाजपा का विरोध करो तो देशद्रोही और भाजपा का समर्थन करो तो देश प्रेमी, ये कैसे माप का पैमाना है भाई।

नीतिश बाबू का आखिरी चुनाव

नीतिश बाबू राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं, बिहार का माहौल भांपने में उन्हें तनिक देर नहीं लगी। सो उन्होंने ऐसा ब्रम्हास्त्र छोड़ा कि विरोधी चारों खाने चित्त हो गए । नीतिश बाबू फिर से बिहार के मुखिया बन गए नीतिश बाबू ने बिहार की जनता से कहा यह उनका आखिरी चुपनाव है, और बिहार की जनता नीतिश बाबू के प्रति सहानुभूति जताते हुए उनकी नैया पार करा दी और उन्होंने साबित कर दिया कि प्यार और जंग में ही सब जायज नहीं राजनीति में भी सब जायज है।

अन्नदाता सब पर भारी

छत्तीसगढ़ में पिछला चुनाव किसानों के बलबूते पर जीते थे, इसलिए आज वे किसानों के बारे में ही सोचते हंै और करते हैं। दाऊ जी जहां भी जाते हैं, किसानों की भलाई की ही बात करते है। ठीक भी है किसी ने सही कहा है जिस देश का किसान खुश तो वहां के व्यापारी,युवा और पूरी जनता खुश होगी।

लोकर्पण कब

इस माह रायपुर राजधानी सहित छत्तीसगढ़ को काफी सौगात मिला, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ताबड़तोड़ लोकार्पण और शिलान्यास कर जनता जनार्दन का दिल खुश कर दिया। जनता में खुसुर- फुसुर है कि नेताओं का दिल कब खुश कब होगा। नेता छटपटा रहे हैं और कह रहे हैं कि छतीसगढ़ में काफी तादात में निगम, मंडल, आयोग और बोर्ड बनकर तैयार है इसका लोकार्पण कब होगा।

मरवाही जीतते ही उद्योगपतियों की बरवाही

जनता में खुसुर-फुसुर हो रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरी तरह उद्योगपतियों पर फिदा हो गए हंै। उद्योगपति जो सुझाव दे रहे उसे सहर्ष स्वीकार कर दनादन फैसला ले रहे है। जिससे उद्योगपतियों में कोरोनाकाल में लडऩे का हौसला मिल रहा हैं। वहीं घाघ छुटभैया नेता जो नेतागिरी के साथ धंधापानी भी चलाते है, उनका अलग की मेनेजमेंट चल रहा है। मंत्रियों के बंगले के चक्कर काटकर मंत्रियों के करीबी बनकर उद्योगपति बनने जा रहे है। चौक-चौराहे, चाय ठेले में चाय की गरम-गरम चुस्कियों के साथ यह चर्चा है कि राजनीति और कारोबार एक सिक्के दो पहलु है। राजनेता ही व्यापारी होता और व्यापीरी ही राजनेता होता है जो नफा-नुकसान के हिसाब से सरकार को फैसले लेने की सलाह देता है। सरकार किसी की भी हो जिसकी सत्ता होती व्यापारी उसी के हो जाते है। उद्योग कैसे भी संकट के दौर से गुजर रहा हो उनके दोनों हाथ घी में और सिर कढ़ाई पर ही रहता है। अपने फायदे के लिए ये व्यापारी सरकार के लिए लायजनिंग का भी काम करते है। बंद और मरे पड़े उद्योग को बेचने के लिए लायजनिंग शुरू होते ही नए खरीदार से मिले कमीशन के दीए अब कारोबार जगत रोशन होने वाला है। सरकार की उदार औद्योगिक नीति के चलते उद्योगपतियों में विश्वास जागा है।

अंत में जनता का एक सवाल

भाठागांव बस स्टैंड से धमतरी रोड बस कैसे जाएगी, बस स्टैंड से रिंग रोड न. -1 पर आने के लिए एप्रोच रोड तो बन गया है धमतरी जाने वाली बसें कहां से टर्न लेगी, यदि रिंग रोड से सर्विस रोड पर बस जाएगी तो सर्विस रोड इतनी चौड़ी नहीं है कि बस निकल सके। और न ही सर्विस रोड पर बस का चलना उचित है, यदि रिंग रोड पर बस मिल जाने से वो संतोषी नगर, पचपेड़ी नाका, ओबर ब्रिज से जाएगी, तो धमतरी-जगदलपुर जाने के लिए किधर से मुड़ेगी।

Next Story
© All Rights Reserved @ 2023 Janta Se Rishta