छत्तीसगढ़

EPF लागू नहीं करने पर लोनिवि के सभी ईई व डीए को मिलेगा नोटिस

Nilmani Pal
19 March 2025 5:35 AM GMT
EPF लागू नहीं करने पर लोनिवि के सभी ईई व डीए को मिलेगा नोटिस
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कमर्चारी नेता सोमनाथ साहू ने 2016 में कोर्ट में याचिका लगाई जिस पर फैसला आय़ा कि ईपीएफ काटा जाए

लेकिन 17 से 2022 तक ईएनसी रहे के के पीपरी ने कोर्ट के आदेश का पालन किया

विभिन्न विभागों के आकिस्मक श्रमिकों को न्याय दिलाने सोमनाथ साहू ने लड़ी लंबी लड़ाई

फैसला पक्ष में आने के बाद भी आकिस्मक श्रमिकों को कोर्ट के फैसले के लाभ अब तक नहीं मिला

रायपुर। 2017 से 2022 तक कर्मचारी नेता सोमनाथ साहू ने प्रदेश में कार्यरत आकस्मिक श्रमिकों के वेतन से ईपीएफ की कटौती को लेकर 6 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी उसके बाद भी कोर्ट से फैसला श्रमिकों के पक्ष में आता है। लेकिन लोक निर्माण विभाग में 2017 से 2022 के मध्य ईएनसी विजय कुमार भरतपहरी ही पदस्थ थे। तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढाँढ ने 2016 में समस्त विभागों के आकस्मिक श्रमिकों के ईपीएफ कटौती के निर्देश दिया था। अवर सचिव सी तिर्की ने जून 2017 में अनुमति भी लोनिवि को प्रदान कर दी थी। बावजूद तत्कालीन ईएनसी भतपहरी ने ईपीएफ़ लागू नहीं किया। इस तानाशाही के खिलाफ सोमनाथ साहू ने कोर्ट में याचिकी लगाकर सैकड़ों कर्मचारियों के पक्ष में न्याय की गुहार लगाई। माननीय़ कोर्ट ने 2022 को श्रिमकों के पक्ष में फासला दिया।

मजबूरी में विभिन्न कर्मचारी सन्गठनों ने ईपीएफ़ कार्यालय में शिकायत की 2021 तक लोनिवि को 40 करोड़ राशि जमा करने का आदेश हुआ। यह आदेश 2022 में हुआ, तब तत्कालीन ईएनसी पिपरी पदस्थ हो गए थे, उनके कोशिश से सभी 60 संभाग कार्यालय का ईपीएफ़ कोड, 6 हजार कार्यरत आकस्मिक श्रमिकों का यूएएन नम्बर बना। पिपरी के निरन्तर पत्राचार से वित्त विभाग ने अब तक कुल 71 करोड़ की राशि भी बजट में प्रदान कर दिया है। इनके सेवानिवृति के पश्चात पुन: प्रभारी ईएनसी भतपहरी बनाये गए अब उन्होंने पुन: जून 2017 के बाद श्रमिकों के ईपीएफ़ पर रोक लगा दी है। रोक से 4 हजार श्रमिकों का ईपीएफ़ अंशदान 12 प्रतिशत जो 52 लाख मासिक, 6 करोड़ 30 लाख से अधिक वार्षिक होता है अब ईएनसी के दोष पूर्ण, ईपीएफ़ कानून के विरुद्ध आदेश से वित्त विभाग को स्वयं भविष्य में जमा करना होगा, जैसा 2017 से 2021 तक का 40 करोड़ में 20 करोड़ श्रमिक अंशदान अभी करना पड़ा है।

ईएनसी आदेश से सभी ई ई और डीए को इन 4 हजार श्रमिकों के ईपीएफ़ सबंन्ध में नोटिस मिलना तय है वही महालेखाकार कार्यालय से भी आडिट आपत्ति की कार्यवाही सभी ई ई व डीए पर होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ईएनसी भतपहरी ने ईपीएफ़ आदेश का अवेहलना करना अपनी कार्य शैली बना ली है। शासन को करोड़ो रु राजस्व क्षति पहुचाने के बाद पुन: पहुचाने वाले निर्णय पर ईएनसी आखिर सचेत क्यों नही हों रहे है। इस संबंध में ईएनसी से फोम पर जानकारी मांगी औऱ सवाल भी भेजे गए पर उन्हेंने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। वही डीए और ईई सुरेश गांधी और देवेश कुमार माहेश्वरी से फोन पर जानकारी चाही कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन कहां तक पहुंचा है। इस संबंध में उनका कोई जवाब नहीं मिला।

इस संबंध में मैं अधिकृत नहीं हूं।

सुरेश गांधी

डीए-पीडब्ल्यूडी

पीडब्ल्यूडी के ईएनसी डीए, ईई और ईपीएफ का काम देख रहे अधिकारी को फोन लगाया पर किसी भी अधिकारी ने फोन का जवाब नहीं दिया

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