छत्तीसगढ़

पानी, सोडा, इलायची, सुपारी के नाम पर शराब-तंबाकू का विज्ञापन

Nilmani Pal
5 Sep 2022 5:31 AM GMT
पानी, सोडा, इलायची, सुपारी के नाम पर शराब-तंबाकू का विज्ञापन
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भ्रामक विज्ञापनों पर सख्ती के दिशा निर्देशों पर अमल नहीं कर रहीं संबधित संस्थानें

राज्य में गुटखा प्रतिबंधित विज्ञापनों पर भी रोक

राज्य सरकार ने सिगरेट, तंबाकू, गुटखा जैसी नशे की सामग्रियों के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को नशे का प्रचार करने वाले विज्ञापनों की होर्डिंग्स हटाने के निर्देश दिए गए हैं। नगरीय प्रशासन संचालनालय द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 का कड़ाई से पालन करने तथा इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सभी निगम आयुक्तों, नगर पालिका के सीएमओ तथा नगर पंचायत के सीईओ को जारी पत्र में कहा गया है कि तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता लाने एवं कोटपा 2003 के प्रावधानों का पालन करने के लिए राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन सभी जिलों में किया जा रहा है। दरअसल देश के युवाओं को तंबाकू सेवन से बचाने के लिए 2003 में सदन में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद विज्ञापन पर रोक तथा व्यापार एवं वाणिज्य उत्पादों से संंबंधित अधिनियम कोटपा लागू किया गया है। यह एक राष्ट्रीय कानून है और देश के सभी राज्यों को इसका पालन करना है।

हर साल 12 लाख से ज्यादा मौतें

बताया गया है कि तंबाकू से होने वाली बीमारियों से हर साल 12 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इसी तरह एक सर्वेक्षण के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 39 प्रतिशत से ज्यादा लोग किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। शराब और नशीले पदार्थों के विज्ञापनों पर बैन करीब 2 दशक से भी पुराना है। लेकिन इसके बाद भी शराब कंपनियां कभी गज़लों की सीडी के नाम पर या कभी मिनरल वाटर के नाम पर अपना प्रचार करती रहती हैं। विज्ञापनकी भाषा में इसे सेरोगेट विज्ञापन कहते हैं। अब सरकार इस प्रकार के सेरोगेट विज्ञापन पर सख्ती के मूड में दिख रही है।

टेलीविजन और सोशल मीडिया मंचों पर किसी अन्य वस्तु के नाम पर नशीली पदार्थों मसलन शराब, पान मसाले आदि के विज्ञापनों के प्रसारण (सरोगेट विज्ञापन) से चिंतित सरकार ने उद्योग निकायों सीआईआई, फिक्की और एसोचौम तथा विज्ञापन एवं प्रसारण से संबंधित लोगों को ऐसे विज्ञापनों के संबंध में मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इसका अनुपालन सुनिश्चित नहीं होने पर सरकार, उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए द्वारा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

होंगे कड़ी सजा के प्रावधान

भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, सरोगेट विज्ञापन (छद्म तरीके से प्रतिबंधित उत्पादों के विज्ञापन) या उन वस्तुओं या सेवाओं के अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाते हैं जिनका प्रचार करने पर कानूनन रोक है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ''यह देखा गया है कि संबंधित संस्थाओं द्वारा इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है और प्रतिबंधित वस्तुओं का अब भी किसी अन्य वस्तु और सेवा के माध्यम से विज्ञापन किया जा रहा है।ÓÓ

कैसे कैसे हथकंडे अपना रही हैं कंपनियां

हाल ही में विश्वस्तर पर प्रसारित होने वाले खेल आयोजनों के दौरान इस तरह के सरोगेट विज्ञापनों के कई उदाहरण देखे गए थे। मंत्रालय ने कहा, ''यह भी देखा गया है कि संगीत सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड पेयजल की आड़ में कई मादक उत्पादों और पेय पदार्थों का विज्ञापन किया जा रहा है। जबकि चबाने वाले तंबाकू और गुटखे ने सौंफ और इलायची का आवरण ले रखा है।ÓÓ

सेलिब्रिटी भी शामिल हैं सेरोगेट विज्ञापनों में

इसके अलावा ऐसे कई प्रमुख ब्रांड, दिग्गज हस्तियों को अनुबंधित कर रहे हैं जो अन्य लोगों के साथ प्रभावित होने वाले युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया मंचों पर मादक पेय पदार्थों के सीधे विज्ञापन के कई उदाहरण भी देखे गए। इसको लेकर मंत्रालय ने भारतीय विज्ञापन संघ, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, पीएचडी चौंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, फेडरेशन ऑफ इंडियन चौंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, भारतीय उद्योग परिसंघ, एसोचौम, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स को निर्देश जारी किया है। इन संघों और उद्योग निकायों को भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने और भ्रामक विज्ञापन के लिए समर्थन, विशेष रूप से सरोगेट विज्ञापनों से संबंधित प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

सरकार ने विगत जून में विज्ञापनों के संबंध में एक निर्णायक कदम उठाया और इन पर प्रतिबंध लगा दिया। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह ने कहा कि विज्ञापनों में उपभोक्ताओं की गहरी दिलचस्पी होती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए प्रावधान मौजूद हैं। इन प्रावधानों को और अधिक सशक्त एवं स्पष्ट बनाने के लिए सरकार ने विज्ञापनों के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें छद्म विज्ञापनों पर रोक लगाना भी शामिल है।

नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जिन विज्ञापनों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन उत्पादों का प्रचार-प्रसार किया जाता है जिन पर कानूनी प्रतिबंध है तो ऐसे विज्ञापन छदम विज्ञापन माने जाएंगे। इसके अलावा प्रतिबंध ब्रांड, लोगो, ढांचे और प्रस्तुतीकरण से जुड़े विज्ञापन भी छद्म विज्ञान के दायरे में आएंगे। विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है मगर यह भी कहा है कि इन दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से करना होगा तभी जाकर भ्रामक विज्ञापनों पर पूरी तरह अंकुश लग पाएगा। विज्ञापन एजेंसी रीडिफ्यूजन के प्रबंध निदेशक संदीप गोयल कहते हैं कि नियम-कायदे होने के बावजूद छद्म विज्ञापनों पर अंकुश नहीं लग पाया था। द केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन , अधिनियम 1995 में सिगरेट, तंबाकू उत्पाद, शराब, अल्कोहल, मदिरा और मादक वस्तुओं के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर रोक है। मगर टेलीविजन पर अल्कोहल और तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के विज्ञापन दिख जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए नए दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से करना होगा।

Nilmani Pal

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