राजधानी अस्पताल हादसा: पुलिस ने आरोपियों को दिया बचने का अवसर
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में पिछले महीने हुए अग्निकांड और मौतों के लिए जिम्मेदार और घटना के बाद से फरार चल रहे दो डॉक्टरों को अग्रिम जमानत मिल गई है। एडिशनल एसपी ने इस खबर की तस्दीक की है। कुछ दिन पहले जनता से रिश्ता ने इस बात की आशंका जताई थी कि पुलिस फरार डाक्टरों को गिरफ्तार न कर अग्रिम जमानत मिलने का मौका दे रही है। उल्लेखनीय है कि राजधानी हास्पिटल के कोविड वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमित सात मरीजों की मौत हो गई थी। हादसे की जांच के बाद पुलिस ने अस्पताल के चार डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादन हत्या का अपराध दर्ज किया था। पुलिस दो आरोपी डाक्टरों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया था, लेकिन दो डॉक्टर संजय जादवानी और विनोद लालवानी फरार हो गए थे। पुलिस उनका लोकेशन शहर से बताकर हवा में हाथ-पैर मारती रही और उसे हवा भी नहीं लगी और दोनों आरोपियों ने अग्रिम जमानत ले ली। दरअसल राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रसूखदार आरोपी डॉक्टरों को बचाने की बराबर कोशिश होती रही। पुलिस ने मामले में दो डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी खत्म समझ ली थी और फरार चल रहे डाक्टरों गिरफ्तारी को लेकर तत्पर नहीं दिखाई दे रही थी। लगता है पुलिस भी यह चाह रही थी कि गिरफ्तार डॉक्टरों को जमानत मिल जाए तब दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार किया जाए ताकि दो डॉक्टरों को मिली जमानत के आधार पर उन्हें भी जमानत मिल जाए और उन्हें जेल जाने की नौबत न आए। लेकिन दोनों गिरफ्तार डॉक्टरों को जमानत मिलने के साथ ही फरार चल रहे डॉक्टरों को भी अग्रिम जमानत मिल गई।
गिरफ्तारी से बचते रहे फरार डॉक्टर
राजधानी अस्पताल अग्निकांड के बाद बनी जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल प्रबंधन से पूछे 28 बिंदुओं के सवालों का जवाब तो दे दिया, लेकिन किसी भी सवाल के एवज में कोई दस्तावेजी सुबूत जमा नहीं किए। अस्पताल प्रबंधन ने यह हवाला देकर बचने की कोशिश किया कि घटना के बाद से सीलबंद अस्पताल में ही सारे दस्तावेज है। सूत्रों ने बताया कि रसूखदार डाक्टरों ने आखिर तक बचने की कोशिश की। जांच टीम को न केवल गुमराह किया बल्कि ऊपरी दबाव भी बनाया। लेकिन जब प्रशासन पर ही सवाल खड़े होने लगे, तब अपने आप को बचाने के लिए जिम्मेदारों ने लापरवाही बरतने वाले डाक्टरों पर शिंकजा कसा, लेकिन दो डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर जांच ठहर गई। इस मौके का फरार डॉक्टरों ने मौका उठाया और जुगाड़ सेे अग्रिम जमानत करावा ली। ऐसी भी चर्चा है कि फरार चल रहे डॉ. संजय जादवानी और डॉ. विनोद लालवानी शहर में ही थे लेकिन पुलिस ने उनका लोकेशन बाहर बताकर उन्हें गिरफ्तारी से बचाए रखा।
जिला प्रशासन-हेल्थ विभाग की जांच भी अटकी
जिला प्रशासन की जांच अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ और फायर सेफ्टी की जांच तक ही सीमित है, जांच टीम अब तक अस्पताल की कमियों और लापरवाही को लेकर किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। इस मामले में पुलिस अब तक फरार चल रहे दो डॉक्टर को पकड़ नहीं पाई है। जबकि दोनों के राजधानी में ही होने की सूचना है। जानकारी के अनुसार गिरफ्तार दो डॉक्टर अपनी जमानत के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। चूंकि दोनों फरार डॉक्टर रसूखदार और ऊंची पहुंच वाले हैं ऐसे में उन्हें बचाने की हर कोशिश हो रही है। लगता है पुलिस भी यह चाह रही है कि गिरफ्तार डॉक्टरों को जमानत मिल जाए तब दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार किया जाए ताकि दो डॉक्टरों को मिली जमानत के आधार पर उन्हें भी जमानत मिल जाए और उन्हें जेल जाने की नौबत न आए। उल्लेखनीय है कि इस हादसे में सबसे अहम फायर सेफ्टी विभाग और एफएसएल की जांच रिपोर्ट के आधार पर अभियोजन की राय लेने के बाद अस्पताल का संचालन कर रहे चार डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरातन हत्या का केस दर्ज किया गया है।
पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इम मामलों में पुलिस की भूमिका से कई सवाल उठ रहे हैं। महामारी के दौर में लोगों की जान से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त और कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा हर कोई कर रहा था लेकिन अस्पताल में आगजनी और मौतों के लिए जिम्मेदार डाक्टरों को गिरफ्तार नहीं कर उन्हें अग्रिम जमानत मिलने का अवसर देना दर्शाता है कि पुलिस मामले को अत्यंत हल्के में ले रही है। इसके पीछे कारण चाहे आरोपियों के रसूख और राजनीतिक पहुंच हो, लेकिन हादसे में जिनकी जान गई वे क्या न्याय के हकदार नहीं हैं। अक्सर बड़े हादसों के लिए जिम्मेदार अपनी रसूख और राजनीतिक पहुंच के दम पर पुलिस और कानून से बच जाते हैं। पुलिस जहां राजनीतिक दबाव में उचित कार्रवाई नहीं करती वहीं सबूतों के अभाव में कानून भी ऐसे लोगों पर शिकंजा नहीं कस पाता।
कांकेर के कोविड अस्पताल में लगी आग, बड़ा हादसा टला
कांकेर जिले के अन्तागढ़ कोविड अस्पताल में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। आग बढ़ती देख उपचाररत संक्रमित मरीजों के बीच अफरातफरी मच गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। आग लगने का कारण अस्पताल के बाहर लगे ट्रांसफर में आग लगना बताया जा रहा है। अस्पताल के अंदर शार्ट सर्किट होने से बोर्ड पंखे वायर में आग लग गई। हालाकि वहाँ मौजूद अस्पताल कर्मी और मरीजों ने तत्काल आग पर काबू पा लिया। मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी जे एल उईके ने बताया कि कुल 38 कोरोना मरीजों का इलाज यहां चल रहा है सभी सुरक्षित है। सीएमओ ने बाताया कि मरीजों के लिए वाहन भानुप्रतापपुर के कोविड हॉस्पिटल और दुर्गुकोंडल कोविड हॉस्पिटल ले जाने ले लिए भेजा गया था, पर सभी ने अंतागढ़ में ही इलाज कराने की बात कहते हुए जाने से इनकार कर दिया। प्रशासन और बिजली विभाग की मदद से आग पर काबू पा लिया है नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।
पुलिस को हवा भी नहीं लगी, फरार डॉक्टरों ने अग्रिम जमानत करा ली।
-लखन पटले, एएसपी सिटी