छत्तीसगढ़

अतिरिक्त आमदनी के लिए अपनाया मछली पालन, पढ़िए किसान की सफलता की कहानी

HARRY
27 Aug 2021 6:27 AM GMT
अतिरिक्त आमदनी के लिए अपनाया मछली पालन, पढ़िए किसान की सफलता की कहानी
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बीजापुर जिले के दूरस्थ उसूर ब्लॉक अंतर्गत दुगईगुड़ा निवासी राधास्वामी अपने खेती-किसानी के साथ अतिरिक्त आय के लिए मछलीपालन करने की ठानी है और इसी वर्ष मई महीने में अपने एक हेक्टेयर कृषि भूमि में तालाब बनवाया है। इस तालाब में अभी करीब 12 हजार फिंगरलिंक मछली बीज डाले हैं, जिससे आगामी फरवरी-मार्च माह में मछली का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है। अभी हाल ही में राधास्वामी से भेंट होने पर उन्होने बताया कि घर-परिवार को खुशहाल बनाने के लिए वे खेती-किसानी के साथ ही कृषि के आनुशांगिक धंधे को अपनाने की सोच रहे थे। इस बीच फरवरी 2021 में मछलीपालन विभाग के निरीक्षक श्री चिन्तूर ने उन्हे मछलीपालन हेतु स्वयं की भूमि में तालाब निर्माण हेतु सहायता के बारे में जानकारी दी और आवेदन पत्र प्रतिपूरित कर जमा करवाया। इसके बाद मार्च 2021 में तालाब निर्माण की स्वीकृति के साथ ही मत्स्यपालन विभाग द्वारा 4 लाख 20 हजार रूपए की सहायता उपलब्ध करायी गयी। उक्त राशि से अपने एक हेक्टेयर कृषि भूमि में तालाब निर्माण शुरू कर मई महीने में पूरा किया। इस साल शुरूआत के बावजूद तालाब में बारिश से उम्मीद के मुताबिक पानी भरने के फलस्वरूप मछलीपालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में मछलीपालन आरंभ किया है। राधास्वामी बताते हैं कि 5 हजार फिंगरलिंक मछली बीज विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा वे स्वयं 7 हजार फिंगरलिंक मछली बीज बाजार से खरीदकर तालाब में डाले हैं। मछलियों को चारा के रूप में खल्ली, चुन्नी और धान की भूसी दे रहे हैं।

वहीं सड़े गोबर के लड्डू बनाकर भी तालाब में डाल रहे हैं जो मछलियों का अच्छा आहार है। इसके साथ ही मछलियों के बढ़वार हेतु समय-समय पर तालाब में जाल भी चलाते हैं। राधास्वामी ने बताया कि उसके मंझले बेटे संतोष मोड़ियम के नाम पर 3 एकड़ का वनाधिकार पट्टा है, जिसमें से आधे एकड़ में मनरेगा से डबरी निर्मित किये हैं इस डबरी में भी मछली बीज डाले हैं। राधास्वामी अपने 9 एकड़ कृषि भूमि में महेश्वरी, बम्लेश्वरी और छत्तीसगढ़ सुगंधित धान की बोनी किये हैं। इसके साथ ही एक एकड़ रकबा में लघु धान्य फसल कोदो की बुआई किये हैं। वहीं आधे एकड़ घर-बाड़ी में सोलर सिंचाई पंप के द्वारा साग-सब्जी की खेती करते हैं, जिससे रबी एवं ग्रीष्मकाल के दौरान 40 से 50 हजार रूपए का सब्जी विक्रय करते हैं। राधास्वामी बताते हैं कि इस वर्ष करीब 100 क्विंटल मोटा धान लेम्पस सोसायटी में बेचे थे, जिसका भुगतान बैंक खाते में किया गया। वहीं राजीव गांधी किसान न्याय योजनान्तर्गत आदान सहायता के रूप में दो किश्त का भुगतान भी किया गया है। राधास्वामी को अपने खेती-किसानी और मछलीपालन गतिविधि के लिए पत्नी नागी मोड़ियम एवं मंझले बेटे संतोष का पूरा सहयोग मिलता है। जिससे वे अपने बड़े बेटे भूपेन्द्र को जगदलपुर कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई करवा रहे हैं। वहीं दो छोटे बेटे दिलीप 10वीं में भैरमगढ़ तथा राहुल नवोदय विद्यालय बीजापुर में 9वीं की पढ़ाई कर रहे हैं। राधास्वामी अब मछलीपालन के जरिये अतिरिक्त आमदनी होने पर बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केन्द्रीत करने का संकल्प व्यक्त करते हुए मछलीपालन हेतु तालाब निर्माण की सहायता प्रदान करने सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं।

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