जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में गुटखा की बिक्री पर सालों से प्रतिबंध है। बावजुद इसकी खुलेआम बिक्री हो रही है। सख्ती नहीं होने के कारण प्रदेश में न सिर्फ गुटखे का उत्पादन हो रहा है साथ ही खुलेआम कारोबार भी हो रहा है। इसका फाएदा दो नंबर के कारोबारी उठा रहे हैं। वहीं एक नंबर पर धंधा करने वाले कारोबारी लाभ लेने से वंचित हैं। राज्य सरकार ने अब गुटखे के विज्ञापन पर रोक लगा दी है और होर्डिंग्स से विज्ञापन हटाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सवाल उठता है जब प्रतिबंध के बाद भी गुटखे की बिक्री रोकी नहीं जा सकी है तो विज्ञापन रोकने के मायने क्या है? होर्डिंग्स के अलावा भी मीडिया व मनोरंजन चैनलों के माध्यम से विज्ञापन तो प्रसारित होते ही रहेंगे।
प्रदेश में पान मसाला, गुटखा आदि पर प्रतिबंध है इसके बाद भी प्रदेश के सभी जिलों में पान मसाला, गुटखा की बिक्री खुलेआम हो रही है। कोई देखने वाला नहीं है। गुटखा माफियाओं ने सिस्टम को हाईजैक कर लिया है। हर माह गुटखा के अवैध करोबार के संचालन के लिए गुटखा कारोबारियों से पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों तक गुटखा कंपनियों का चढ़ावा पहुंचता है। यही वजह है कि गुटखा बेचने वालों और कंपनी के लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। गुटखा के कारोबार में करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी की जा रही है। अवैध रुप से बिना बैच नंबर के जर्दायुक्त पान मसाला बाजार में बेचे जा रहे हैं। दिखावे के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी छापा मार रहे हैं वो भी पहले से ऐलान करके। रोक के बाद भी राजधानी में इतनी मात्रा में गुटखा कहां से पहुंच रहा है, विभाग इसकी पड़ताल नहीं करता।
राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहा: प्रदेश सरकार ने भले ही तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन पड़ोसी राज्यों में निर्मित गुटखे राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहे हैं और वह भी दोगुने-तिगुने दामों पर। शहर में बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है। किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है। बताया जा रहा है कि राजधानी में जर्दा गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियां संचालित हैं, जहां जर्दा गुटखा सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश के कुछ शहरों में इसका निर्माण भी किया जाता है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा की सप्लाई हो रही है। प्रदेश में एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है। इनमें ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। साथ ही वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है तक अंकित नहीं है। चोरी छिपे थोक व्यापारी खरीदते हैं और ऊंचे दामों में फुटकर दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं। गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका को बढ़ाता है इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट एसोफैगस मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है।
नशे की वजह से बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी आज नशे की वजह से सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी और बच्चे बर्बाद हो रहे हैं। तंबाकू की वजह से जहां एक और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आने वाली पीढ़ी भी इससे प्रभावित हो रही है। कानून का पालन न होने के कारण अवैध कारोबार चल रहा है। कर्मचारियों की कमी, ट्रेनिंग का अभाव और भ्रष्टाचार है। यही वजह है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है।
सरकार के लिए चुनौती : अब देखने वाली बात है कि प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से प्रदेश में गुटखा और तंबाकू युक्त उत्पादों के विक्रय पर रोक लगाने सरकार क्या कदम उठाती है साथ ही संबंधित विभाग इसे रोकने किस तरह के कार्रवाई करता है क्योंकि बार-बार विभागों के दावों के बावजूद आज तक गुटका तंबाकू युक्त उत्पाद की बिक्री नहीं रोकी जा सकती है यह काम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। कोटपा एक्ट के तहत नहीं हो रही कार्रवाई 18 मई 2003 को केंद्र सरकार द्वारा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा एक्ट) लागू किया गया है। अधिनियम के तहत विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनिमय पर स्पष्ट प्रावधान है। अधिनियम में सिगरेट, जर्दायुक्त गुटका, सुंघकर नशा करने वाले पदार्थ आदि सभी का उल्लेख है। जिसके विक्रय के लिए आवश्यक नियम, अधिनियम में उल्लेखित है। एक्ट में नाबालिगों को तंबाकूयुक्त पदार्थ देना दंडनीय है। जिस पर जुर्माने का प्रावधान है।
गली-गली, सड़क-सड़क हर दुकानों में जर्दायुक्त गुटखा बिक रहा : तंबाकू गुटखा पाउच की बिक्री पर प्रतिबंध लगने के भी शहर में इसकी जगह जगह धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। गुटखा पाउच की बिक्री पर लगे प्रतिबंध की थोक विक्रेताओं के द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही है। गुटखा पाउच की बिक्री पर पूर्ण रोक लगने के वावजूद शासकीय अमला भी इसकी रोकथाम में रूची नहीं ले रहे हैं। शासन के द्वारा इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद यहां के थोक विक्रेता मनमाना दाम वसूल कर इसकी बिक्री कर रहे हैं। यहां पर तंबाकू गुटका पाउच की चिल्हर बिक्री करने वाले दुकानदारों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद इसके थोक भाव में दो से तीन गुना तक वृध्दि हो चुकी है। इसी वजह पान ठेला और अन्य दुकानों में चिल्हर विक्रेताओं को भारी भरकम दाम वसूल कर गुटका पाउच की बिक्री करनी पड़ रही है। इधर गुटका के शौकीनों का कहना है कि इसकी बिक्री पर प्रतिबंध की महज औपचारिकता की गई है।
गुटखा के होर्डिंग्स-पोस्टर पर प्रतिबंध लगाने से अवैध व्यापार पर नकेल कसने की कवायद
गुटखा किंग हुए कमाई से लाल, छोटे व्यापारी हो रहे कंगाल
प्रदेश में सरकार ने सार्वजनिक स्थलों में गुटखा के होर्डिंग्स और पोस्टर लगाने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय लिया है। जिसे जनता जनार्दन स्वागतयोग्य बता रहा है। वहीं गुटखा कालाबाजारियों की तो लाटरी ही निकल पड़ी है। गुटखा का कारोबार ऐसा कारोबार है जिस पर जितना सख्त प्रतिबंध लगता है उतने ही उसकी मांग बढऩे लगती है। गुटखा का कारोबार पूरी तरह कालाबाजारी के माना जाता अधीन है। जिसमें छोटे कारोबारियों को फायदा के बजाय नुकसान ही हुआ है। सरकार की मंशा है कि गुटखा के प्रचार-प्रसार को रोकने से बिक्री प्रभावित होगी और मार्केट से गुटखा गायब हो जाएगा। बड़े कारोबारी तो इस मौके की तलाश में ही रहते है। गुटखा पर कैसे प्रतिबंध लगे और वो अपना स्टॉक किया माल खपा सके । बड़े गुटखा किंगों ने गुटखा बाजार को पूरी तरह जकड़ रखा है। जिसके कारण गुटखा कारोबार में बड़ी पूंजी लगाने वाले प्रतिबंध के नाम पर कालाबाजारी करते है। छोटे और फुटकर व्यापारी तो गुटखा की कालाबाजारी पूंजी भी नहीं फंसा सकता इशका सीधा फायदा कालाबाजारी उठाते है। महंगे दाम में गुटखा सप्लाई कर छोटे व्यापारियों को लूट लेते है। छोटा व्यापारी चाह कर भी गुटखा को दो गुने-तीन गुने दाम पर नहीं बेच सकता, जबकि बड़ा कारोबारी फुटकर व्यापारियों को दो-गुने-तीन-गुने दाम पर आसानी से बेच देता है। सरकार को गुटखा के होर्डिंग्स-पोस्टर लगाने से मिलनेे वाले राजस्व से नुकसान हो सकता है लेकिन गुटखा मार्केट में कालाबाजारी करने वालों को कभी नुकसान नहीं होता वो अपनी पूरी मार्जिन कमाई के साथ आसानी से निकल लेते है।
सरकार ने गुटखा के प्रचार-प्रसार होर्डिंग्स नहीं लगाने के फैसला लिया है जिससे सालाना करोड़ों रूपए की नुकसान हो सकता है। लेकिन इसका फायदा कालाबाजारी उठाने से बाज नहीं आएंगेे। इसलिए सरकार को होर्डिंग्स के बजाय पूरी तरह गुटखा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लेना चाहिए, जिससे आम जनता के स्वास्थ्य में हो रहे संक्रमण को रोकने का कारगर उपाय साबित हो सकता है।