तकनीकी शिक्षा विभाग के दो दर्जन भ्रष्ट अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई
जांच में दोषी सिद्ध होने के बाद भी उच्चाधिकारी दे रहे संरक्षण
रायपुर। राज्य शासन के तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग दो दर्जन अधिकारियों-कर्मचारियों पर महालेखाकार, लोक आयोग व विभागीय जांच में कई अनियमितता सिद्ध हुई है, बावजूद इन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। इस पर आटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता अव्दुल वाहिद ने पत्र लिखकर तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने पत्र में बताया है कि प्रशिक्षण अधिकारी वर्ग-3 की 723 लोगों की भर्ती में गड़बड़ी के मामले में लोक आयोग ने अपने आदेश प्रकरण क्रमांक-77-2014, आदेश दिनांक 29.03.2019 में डेढ़ दर्जन से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी बताया था जिन पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई है। जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषी पाया गया उनमें श्रीमती मीना गनवीर सहायक संचालक, रंजना कटकवार अतिरिक्त संचालक, एसएस भगत संयुक्त संचालक, एमएफ अंसारी उप संचालक, बीएस नेताम उप संचालक सेवानिवृत्त, चिन्मय चौधरी सहायक संचालक, एसएल प्रेमी प्राचार्य वर्ग-2 सेवानिवृत्त, बीपी साहू प्राचार्य वर्ग-2, पीएन सिन्हा प्रभारी संयुक्त संचालक, पीआर ध्रुव प्रशिक्षण अधीक्षक, एचयू सिद्दीकी, अख्तर अब्बास, सरोज कुमार वर्मा, इन्द्र गोपाल साहू, डीके तिवारी, एसके दुबे, शिवचरण हिरवानी, श्रीमति नीना मैथ्यू, केआर कश्यप सभी प्रशिक्षण अधिकारी शामिल हैं।
इसी तरह विधानसभा चुनाव 2018 में चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले में तत्कालिन कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने हरि सिंह राणा अधीक्षक बेमेतरा को दोषी मानते हुए निलंबन आदेश पारित किया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। महालेखाकार ने अपने आडिट रिपोर्ट में अधीक्षक लोहारा नंदल धुमकेती को आर्थिक अनियमितता का दोषी पाया था और शासन को जांच प्रतिवेदन क्रमांक 66/2019 के माध्यम से अवगत कराया था जिस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह प्रशिक्षण अधिकारी देवभोग ओपी विश्वकर्मा के खिलाफ शिकायत के आधार पर विभाग के निर्देश पर संयुक्त संचालक(प्रशिक्षण) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था रायपुर क्षेत्र के द्वारा जांच रिपोर्ट क्रमांक-330 दिनांक 11.05.2022 के अनुसार शिकायत सही पाए जाने की पुष्टि करते हुए दोषी पाए जाने की प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है जिस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। श्री वाहिद ने अनियमितता के इन मामलों में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मंत्री को यह भी अवगत कराया कि कई शिकायतों के बाद भी विभाग के उच्च अधिकारी कार्रवाई करने को लेकर गंभीर नहीं हैं और परोक्ष रूप से भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों को संरक्षण दे रहे हैं। इन्होंने यह भी बताया कि इन अधिकारियों में से कई एक ही स्थान पर पांच-पांच, छह-छह साल से जमे हुए हैं जबकि सामान्य कर्मचारियों को हर तीन साल में स्थानांतरित करने का प्रावधान है।