दिनभर चला रेड, मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी संपत्ति के मिले सबूत
छापे को लेकर बरती जा रही गोपनीयता
एंटी करप्शन ब्यूरो ने सीनियर आईपीएस जीपी सिंह के यहां छापे को लेकर खासी गोपनीयता बरती है। एसीबी टीम ने बैरनबाजार के आसपास एक सेफ हाउस में डेरा डाला है। सारी जांच दफ्तर के बजाय वहीं की जा रही है। कुछ लोगों से पूछताछ भी वहीं हुई है। छापे की पूरी कमांड इसी सेफ हाउस से की गई है और जब्त दस्तावेज वहीं लाए जा रहे हैं। वहीं आईटी एक्सपर्ट तैनात हैं जो लैपटॉप और मोबाइल के डिलीट डेटा रिकवर कर रहे हैं।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सीनियर ढ्ढक्कस् और ्रष्ठत्र रैंक के अफसर जीपी सिंह के खिलाफ स्नढ्ढक्र दर्ज कर ली गई है। ्रष्टक्च ने गुरुवार दिनभर रायपुर, राजनांदगांव, ओडि़शा के कुल 15 ठिकानों पर छापेमारी कर जांच की। फिर देर शाम जांच अधिकारियों ने बताया कि सिंह के सरकारी बंगले के अलावा अलग- अलग जगहों पर करोड़ों की अवैध संपत्ति, बड़े लेन-देन, शेल कंपनियों में निवेश करके मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं। इन तथ्यों के आधार पर अब अफसर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अफसरों ने बताया कि ढ्ढक्कस् सिंह की रायपुर के भिलाई राजनांदगांव और ओडि़शा में भी कई जगहों पर बेनामी संपत्तियों की पुष्टि हुई है। एफआईआर दर्ज होने के बाद अब एडीजी पर निलंबन की तलवार लटक रही है।
बाजू के बंगले से मिले ढेरों दस्तावेज : एडीजी जीपी सिंह के सरकारी बंगले के गेट पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम सुबह 45 मिनट तक खड़ी रही, लेकिन उन्हें भीतर प्रवेश नहीं मिला। टीम सुबह 6 बजे ही उनके बंगले पहुंच गई थी, लेकिन मेन गेट करीब पौने 7 बजे खुला। अफसरों का दावा है कि बगल वाले बंगले से एसीबी को म्यूचुअल फंड्स के कुछ फटे हुए दस्तावेज, डायरियां और काफी पेन ड्राइव मिली हैं। एसीबी की टीम भीतर नहीं जा सकी, तभी यह रणनीति तय कर ली गई थी कि बंगले के साथ-साथ आजू-बाजू वाले मकानों की जांच भी की जाएगी। इस वजह से घर में एंट्री करने के बाद टीम के सदस्यों ने बंगले में छानबीन करने के साथ ही बाजू वाले बंगले के बरामदे की जांच की। वहां के गार्डन में एक दर्जन से ज्यादा पेन ड्राइव मिली। यही नहीं, बंगले के डस्टबिन से भी डायरी के कुछ पन्ने और म्यूचुअल फंड के दस्तावेज बरामद किए गए, जो फटे हुए थे। अफसरों के अनुसार टीम जब पहुंची, तब बेल बजाने पर अर्दली ने तुरंत दरवाजा नहीं खोला। उसने बंद दरवाजे से ही सवाल-जवाब किए। अफसरों ने बताया कि एसीबी हैं और जांच के लिए आए हैं, तब भी अर्दली ने गेट नहीं खोला था।
ट्रेनिंग सेंटर के अफसरों का भी आईटी रिटर्न मिला, होगी जांच : एडीजी जीपी सिंह अभी चंदखुरी स्थित ट्रेनिंग अकादमी में डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। एसीबी को छापे के दौरान ट्रेनिंग सेंटर में पदस्थ कुछ अफसरों का आईटीआर मिला है। अफसरों का आईटीआर देखकर एसीबी की टीम भी चकित रह गई। अफसरों का कहना है कि जिन अफसरों का आईटीआर जब्त किया गया है, वे ज्यादातर सीनियर अफसर है। उनसे भी पूछताछ की जाएगी। इसके बाद एक टीम एडीजी के चंदखुरी स्थित ऑफिस भी पहुंची। वहां करीब तीन घंटे तक छानबीन की गई और कुछ दस्तावेज जब्त हुए हैं।
गोल्ड खरीदी के दस्तावेज मिले : एसीबी के छापे के दौरान पुलिस को गोल्ड खरीदी के कुछ दस्तावेज मिले हैं। उनका परीक्षण किया जा रहा है। अफसरों को शक है कि बड़ी रकम गोल्ड में तब्दील कर दी गई होगी। बैरनबाजार के जिस कबाड़ी को एसीबी ने घेरा है, उससे पूछताछ का एक मुद्दा यह भी है। उसे प्रारंभिक पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया। शुक्रवार को उसे फिर बुलाया जाएगा। आयकर विभाग को सालभर पहले जिस जीपी सिंह की बेहिसाब बेनामी संपत्ति का क्लू मिला था, विभाग कई तरह की जांच के बाद अब तक यह संशय दूर नहीं कर पाया है कि उक्त जीपी सिंह यही आईपीएस हैं या कोई और। आयकर सूत्रों ने बताया कि पिछले साल दिल्ली से मिले इनपुट के आधार पर रायपुर कमिश्नर की टीम ने प्रीतपाल के यहां सर्वे में जीपी सिंह के नाम से वीआईपी रोड पर होटल और कई जमीन के दस्तावेज हासिल किए थे। इसके बाद आईपीएस जीपी सिंह के यहां भी टीम पहुंचने की सूचना है। इस बीच, जांच के दौरान जीपी सिंह नाम का एक व्यक्ति सामने आया और उसने दावा किया कि सारी बेनामी प्रापर्टी उसकी है। इसके बाद से आयकर विभाग प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को लेकर पूछताछ और पंजीयन दफ्तर में पड़ताल कर रही है। चूंकि नाम एक हैं, इसलिए उस कार्रवाई के अब तक कोई नतीजे नहीं निकले हैं। अफसरों के मुताबिक प्रापर्टी किस जीपी सिंह की है, विभाग यह साबित करने के लिए सबूत जुटा रहा है। चूंकि मामला बेनामी संपत्ति का है, इसलिए आयकर अब भी इसकी जांच में जुटा है।
कंप्यूटर ऑपरेटर से पूछताछ : एडीजी के कंप्यूटर ऑपरेटर मनीभूषण के घर छापेमारी के दौरान अफसरों ने लंबी पूछताछ की। एसीबी को पता चला है कि मनीभूषण ही उनका कंप्यूटर सिस्टम ऑपरेट करता था। उनके सारे दस्तावेज वही टाइप करता था। उसके घर से भी कुछ पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क मिली है। राजनांदगांव में एडीजी के सीए के अलावा उनके करीबी रिश्तेदार के घर भी छानबीन की गई है।
छापे को लेकर बरती जा रही गोपनीयता
एंटी करप्शन ब्यूरो ने सीनियर आईपीएस जीपी सिंह के यहां छापे को लेकर खासी गोपनीयता बरती है। एसीबी टीम ने बैरनबाजार के आसपास एक सेफ हाउस में डेरा डाला है। सारी जांच दफ्तर के बजाय वहीं की जा रही है। कुछ लोगों से पूछताछ भी वहीं हुई है। छापे की पूरी कमांड इसी सेफ हाउस से की गई है और जब्त दस्तावेज वहीं लाए जा रहे हैं। वहीं आईटी एक्सपर्ट तैनात हैं जो लैपटॉप और मोबाइल के डिलीट डेटा रिकवर कर रहे हैं। एसीबी ने जीपी सिंह कनेक्शन में बैरनबाजार के एक कबाड़ी और उससे जुड़े व्यक्ति के यहां छापा मारकर तलाशी भी ली है। दोनों से ही देर शाम तक पूछताछ उसी जगह पर चली। बताते हैं कि दोनों जीपी के राजदार हैं तथा उन्हें काफी चीजों की जानकारी है।
आयकर विभाग ने पिछले साल वीआईपी रोड पर प्रीतपाल सिंह के फार्महाउस तथा एक बिल्डर के कुछ ठिकानों पर सर्वे किया था। सूत्रों के अनुसार उसी जांच में जीपी सिंह नाम से निवेश के कुछ कागजात मिले थे, लेकिन यह जांच आगे नहीं बढ़ी। एसीबी अफसरों को इसकी जानकारी थी, इसलिए जीपी सिंह के साथ गुरुवार को प्रीतपाल के यहां भी छापा मारा गया।
10 जून को प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी (पीई) दर्ज
एसीबी ने आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ 10 जून को प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी (पीई) दर्ज कर ली थी। माना जा रहा है कि इसी विंग में काफी दिन तक चीफ रहने की वजह से जीपी को इसकी भनक लग गई थी। इसीलिए कहा जा रहा है कि एसीबी को छापे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। लैपटॉप का अधिकांश डेटा डिलीट है और दस्तावेज भी गायब हैं।