रायपुर। महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री शिव महापुराण कथा व रुद्राभिषेक के दौरान खमतराई के बम्हदाई पारा में चल रहे कथा के दौरान महासेवा संघ के स्कूली बच्चों ने काशी से पहुंचे वैदिक धर्मा आचार्यों के साथ मिलकर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया गया। शिव-पार्वती विवाह में घराती और बराती बने बम्हदाई पारा वासी। कथावाचक पं. खिलेंद्र कुमार दुबे ने इस दौरान श्रद्धालुओं को बताया कि दान दोगे तभी शिव आपसे प्रसन्न होंगे, ठीक उसी प्रकार जो कोई भी दुबी चढ़ाएगा उसकी हर मनोकामना भगवान शिव पूरी करते हैं।
महासेवा संघ के अनुज शुक्ला, अमित शुक्ला, नीलेश तिवारी व आयुष मिश्रा ने बताया कि खमतराई के दोना पत्तल फेक्टरी बम्हदाई पारा में चल रहे श्री शिव महापुराण कथा व रुद्राभिषेक कार्यक्रम में रोजाना ही सैकड़ों की भीड़ जुट रही है क्योंकि इसका मुख्य कारण स्कूल में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की मेहनत है जो पढ़ाई करने के साथ - साथ ही इसकी तैयारी में जुटे थे। स्कूली बच्चों ने ही महासेवा संघ समिति का गठन किया और इसी के बैनर तले यह आयोजन हो रहा है।
काशी से पधारे वैदिक धर्मा आचार्य ब्राह्मण पंडित निलेश तिवारी, पंडित चंद्रश्वर शुक्ला और पंडित अम्म्रीश गर्ग रोजाना सुबह से ही भगवान शिव के रुद्र्राभिषेक कार्य में जुट जाते है और त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥ सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु। पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥ का जाप करते रहते है। पंडित निलेश तिवारी ने बताया कि सुबह रोजाना ही शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है लेकिन आज महाशिवरात्रि के अवसर पर दूध, दही, मिश्री, घी तथा शहद के मिश्रण से तैयार पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया गया और ऐसी मान्यता है कि इससे दीर्घायु प्राप्त होती है।
कथावाचक पं. खिलेंद्र कुमार दुबे ने श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं को बताया कि कुछ लोग बालते है पांच दीपक जलाओ, 10 दीपक, 108 दीपक जलाओ, मोमबत्ती, अगरबत्ती जलाओ लेकिन गुणनिधि ने कोई भी दीपक नहीं जलाया था और मंदिर के पास पड़े गमसे को जलाकर भगवान के पास गलती से सात बार घूमा दिया और इस तरह व दूत बन गया और बाद में दम नाम का राजा बन गया और जगह-जगह मंदिर बनवाना शुरु कर दिया। दम ने एक ही उपाय किया था वह था मंदिर में दीपक जलाकर। अगर हम दीपक जलाऐं तो प्रकाश ही फैलेगा अंधकार नहीं। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि पितरों के लिए एक और भगवान के लिए दो बत्ती जलाएं। दीपक में सबसे श्रेष्ठ दीपक होता है घी का दीपक, तिल का तेल से भी दीपक जलाया जाता है। मंदिर बनवाना, माला चढ़ाना और दीपक जलाना भी एक भक्ति है। दम राजा ने मृत्यु के बाद जब जन्म लिया तो वह कुबेर राजा बन गया। भगवान के पांच परिक्रमा करके राजा कुबेर ने पास में रखे जल को हाथ से उठाया और भगवान शिव को प्राण किया लेकिन जल भगवान को नहीं चढ़ाया फिर भी भगवान ने उसे स्वीकार कर लिया। इसका तात्पर्य यह है कि शिवलिंग में पानी चढ़ाते समय पानी पूरा गिरा न हो और लिंग से गिरा हो वहीं के पानी को हाथ में लेकर प्रणाम करना है यह एक समस्या गंगाजल चढ़ाने के बराबर है। जो कोई भी दुबी चढ़ता है भगवान शिव उसकी हर मनोकामना पूरी जरुर करते हैं।
उन्होंने कहा कि दान देने से कभी धन घटता नहीं है, दान देने से लोग बढ़ते है। दान दोगें तभी शिव आपसे प्रसन्न होगे, क्योंकि शिव को आप कुछ दोगे तभी वह तुम्हें डबल करके देगा। किसी भी चीज में सफलता पाने के लिए आत्मा को समर्पित करना जरुरी है। संत का हृदय बहुत ही कोमल होता है, जो दूसरों के दुख को दुख और आनंद को अपना सुख मानता है। शिव जी की प्रथम उपासक स्त्री संध्या है जिन्होंने ऊ नम:शिव ऊ का जाप करने में लग गई और भगवान शिव उसके सामने प्रकट हो गए और वरदान मांगने के लिए कहीं। तब उन्होंने कहा कि जन्म लेते ही लड़कियां वासना में लिप्त न हो, भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया इसलिए सात से आठ की बच्चियों में वासना नहीं आती है। मति अगर खराब होगी तो दुर्गति होना निश्चित है।