मैं को त्याग कर हम की भावना लाना ही दर्शता है सकारात्मक सोच को : प्रतीक खरे
रायपुर। सकारात्मक सोच के लिए परानुभूति का होना आवश्यक है,मैं को त्याग कर हम की भावना लाना ही सकारात्मक सोच को दर्शता है, उक्त बातें आज आंजनेय यूनिवर्सिटी रायपुर में हुए व्याख्यान के दौरान छत्तीसगढ़ बाल अधिकार आयोग के सचिव श्री प्रतीक खरे ने कही. उन्होंने कहा कि आज हमारे चारो ओर एक नकारात्मक वातावरण का छद्म माहौल बन चुका है, जिसके कारण व्यक्ति निराश है. अब हमें मिलकर सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी, और इसकी पूरी श्रृंखला तैयार करनी होगी. श्री खरे ने बताया कि यदि सभी एक समान हो जाए तो निर्णय की स्थिति नहीं हो पाएगी. मनुष्य को खुद को समझने की जरूरत है, हर व्यक्ति अलग है, अलग सोच रखता है, उसकी स्वीकार्यता ही उसे सकारात्मक बनती है.
कार्यक्रम के अवसर पर माननीय कुलपति डॉ. टी. रामा राव ने कहा कि आज शिक्षकीय कार्य थ्री सिक्सटी डिग्री (360) हो चुकी है, जहां अध्यापन के साथ ही शोध, संगोष्ठी जैसे रचनात्मक कार्यों में लगा रहना होता है, वहीँ इनकी सफलता भी सकारात्मक सोच से ही हासिल की जा सकती है. अंत में कुलपति ने प्रतीक चिन्ह एवं साल, श्रीफल देकर मुख्य अतिथि का सम्मान किया. कार्यक्रम का संचालन फिल्जा हसन एवं आभार प्रदर्शन शिक्षा संकाय की प्राध्यापक बर्नाली राय ने किया. इस दौरान आंजनेय यूनिवर्सिटी के महानिदेशक डॉ. बी.सी. जैन, मानवीय संकाय की संकायाध्यक्ष डॉ. रुपाली चौधरी, कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रांजली गनी सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, कर्मचारीगण बड़ी संख्या में मौजूद रहे.