छत्तीसगढ़

स्त्री कभी हारती नहीं उसे हराया जाता है समाज क्या कहेगा यह कहकर उसे डराया जाता है

Nilmani Pal
24 Dec 2021 5:23 AM GMT
स्त्री कभी हारती नहीं उसे हराया जाता है समाज क्या कहेगा यह कहकर उसे डराया जाता है
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।

जाकिर घुरसेना-कैलाश यादव

महिलाओं की शादी की उम्र को लेकर देश भर में घमासान मचा हुआ है। संसद में सत्ता पक्ष ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने वाला विधेयक लोकसभा में पेश किया, जिस पर विपक्ष के भारी विरोध के बीच संसदीय पैनल को भेज दिया। आल इंडिया मुस्लिम बोर्ड ने इसे केंद्र सरकार का व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करार दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि महिलाएं 18 की उम्र में पूरी तरह सामाजिक -शैक्षणिक स्तर पर परिपक्व हो जाती है। इस पर किसी तरह का सरकारी दबाव महिलाएं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगी। सरकार को महिलाओं को नौकरी देने की 50 की जगह सौ प्रतिशत गारंटी देनी चाहिए जिससे पढ़ाई के बाद आत्मनिर्भर हो सके। शादी वो कब करेगी, उसके विवेक पर छोड़ देना चाहिए,18 साल विवाह का उम्र सभी वर्ग के लिए स्वीकार्र्य है, इस पर केंद्र सरकार को माथापच्ची नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह निर्णय सीधे तौर पर सामाजिक स्तर से जुड़ा है। बदलते वक्त के साथ सरकार को और महिलाओं को आर्थिक रूप से समक्ष बनाने के विषय पर बिल लाना चाहिए। इसी पर किसी ने ठीक ही कहा है कि स्त्री कभी हारती नहीं उसे हराया जाता है, समाज क्या कहेगा यह कहकर उसे डराया जाता है।

प्रियंका के बाद मोदी ने खेला महिला कार्ड

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है, राजनीतिक दलों का लोक लुभावन पिटारा खुलते जा रहा है। कांग्रेस की यूपी चुनाव प्रभारी और महासचिव प्रियंकागाधी वाड्रा ने चुनाव मैदान में कदम रखते ही महिलाओं को 50 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा की। अब पीएम मोदी ने महिला कार्ड खेलते हुए रोजगार में महिलाओं 50 प्रतिशत भागीदार बनाने की घोषणा की हैै,वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी काली माता बनकर भाजपा को बंगाल में घुसने नहीं दे रही है। हाल ही में संपन्न नगरीय निकाय चुनाव में एकतरफा जीत हासिल कर पूरे बंगाल को ममतामयी कर दी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि नेताओं की असली परीक्षा चुनाव के समय ही होती है। जनता को रिझाने के लिए तरह-तरह के लुभावने घोषणा कर समर्थन हासिल करने प्रोपोगंडा करते है। चुनाव खत्म होते ही रंग दिखाने लगते है।

भूपेश सरकार के मंत्रियों में फेरबदल, सौगात या दंड

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तीन साल पूरे होने के जश्न में डूबे मंत्रियों को 440 वोल्ट का झटका लगा है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली उड़ान भरने से पहले पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद प्रभारी मंत्रियों के परफारमेंस के आधार पर जिस तरह के परिणाम आएंगे उसकी समीक्षा की जाएगी, मंत्रिमंडल में भी फेरबदल हो सकता है, सीएम के इस बयान से मंत्रियों के होशफाख्ता हो गए है। जनता में खुसुर-फुसर है कि एक न एक सबका दिन आता है,मंत्री पद का दंभ भरने वालों को जनता की अदालत खड़े होना ही पड़ता है। मंत्री पद इसलिए दिए जाता है कि यह पद लोक सेवा का है, क्षेत्र की जनता ने जो जिम्मेदारी सौंपी है उसे शपथ के अनुसार बिना राग व्देष के निभाना पड़ता है। कुछ मंत्रियों ने तो इसे भूपेश सरकार का आजीवन पट्टा समझ लिया था, जनता के काम काज की जगह नाते रिश्तेदारों को उपकृत करने में जुट गए थे। अब मंत्रियों के परफारमेंस की समीक्षा स्वयं सीएम भूपेश बघेल करेंगे। अब देखना होगा कि किसे मिलती है सौगात और किसे मिलता है दंड।

श्रीधरन का दोतरफा राग

मेट्रोमेन के नाम से देश विदेश में प्रसिद्ध ईश्रीधरन ने पार्टी को सलाह दी है कि हिंदुत्व की राजनीति छोडऩी चाहिए और सभी वर्गो के हित में काम करना चाहिए, मेट्रोमेन ने एक बात और कही है कि मोदी की राग अलापते हुए भाजपा को मोदी की राह पर चलने की सलाह दी है। भाजपा का उदय ही हिंदुत्व की बुनियाद पर हुआ है, रहा सवाल सभी वर्गों के हितों को लेकर चलने की तो 72 साल देश को आजादी मिले हो गए केंद्र में कांग्रेस के बाद जनतापार्टी की सरकार बनी फिर कांग्रेस की सरकार अब 2014 से केंद्र में भाजपा की सरकार है। हिंदुत्व का एजेंडा तो कांग्रेस के पास भी था, लेकिन सभी पार्टियों ने सत्ता पर काबिज होते ही तुष्टिकरण हावी हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि श्रीधरन को यह भी खुलकर कहना चाहिए कि केंद्र में कोई भी सरकार हो देश की जनता के साथ समभाव व्यवहार करना चाहिए। किसी के प्रति कम या ज्यादा निष्ठा व्यक्तिगत रूप से हो न की सरकारी स्तर पर। श्रीधरन भाजपा की प्रत्यक्ष राजनीति से संन्यास ले रहे है, जबकि वे भाजपा से जुड़े रहेंगे और समय -समय पर भाजपा नेतृत्व को बोतले रहेंगे इसी बात पर शाय.र ने ठीक ही कहा है बोलते रहना क्योंकि तुम्हारी बातों से लफ्जों का यह बहता दरिया अच्छा लगता है।

ओपी चौधरी को सीएम की चुप्पी तोडऩे का इंतजार

छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक खनन के मामले को लेकर राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख््यमंत्रियों के बीच उभरे मतभेद को लेकर भाजपाई खेमा खुश नजर आ रहा है। भाजपा के प्रदेश मंत्री ओपी चौैधरी ने दो मुख्यमंत्रियों और अडानी ग्रुप के इस मामले में खुद कूद गए है। उन्होंने सवाल उठाया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कब मुंह खोलेंगे? ओपी चौधरी ने पूछा कि अशोक गेहलोत के कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिकायत पर मुख्यमंत्री बघेल क्यों चुप्पी साधे हुए है। जनता में खुसुर-फुसर है कि छत्तीसगढ़ में सूपा तो सूपा अब चलनी भी बोलने लगी है। अगर ओपी चौधरी राजनीतिक कद बढ़ाना चाहते है तो भाजपा की लाइन लेंथ के हिसाब से बालिंग करें,ये दोनों की लड़ाई भाजपा के दत्तक अड़ानी ग्रुप के कारण हो रही है जिसको आपकी सरकार ने देश की कोल माइंस सौंप दी है। भूपेश बघेल आदिवासियों के हित में निर्णय लेते हैं, जबकि आदिवासी कोल माइंस को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं। इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोल माइंस में खनन की मंजूरी नहीं दी है। अब तो चौधरी जी समझ गए होंगे न राजनीति में कुछ भी संभव है, कुछ दिन भूपेश गुरुकुल में दीक्षा लें।

Nilmani Pal

Nilmani Pal

    Next Story