ईओडब्ल्यू में हुई है शिकायत, सीईओ सहित अफसरोंके खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति का मामला
संचालकों से अधिकारियों की सांठगांठ, सरकारी धन का कर रहे बंदरबांट
अधिकारी एक डुअल पंप की स्थापना में आने वाले खर्च की जानकारी भी छुपा रहे
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। क्रेडा में पिछले 15 वर्षो में भारी अनियमितता चल रही है। पिछले दिनों डुअल पंप टेंडर में 300 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ था। खुलासे क्रेडा में हड़कंप भी रहा और संबंधित जिम्मेदार टेंडर से जुड़े डाटा कंम्प्यूटर से हटाने सक्रिय हो गए थे। इसके बाद लगातार जनता से रिश्ता को क्रेडा के अन्य टेंडरों में हुए घोटाले को लेकर शिकायतें मिल रही हैं। अधिकारियों की कुछ चुने हुए सौर उर्जा प्रतिष्ठानों से सांठगांठ कर उनसे ही 80 फीसदी से ज्यादा कार्य निष्पादन कराया जा रहा है। इससे ये संस्थानें लाभ तो कमा ही रही हैं, क्रेडा के अधिकारी भी लाल हो रहे हैं। क्रेडा में सालों से एक ही सीईओ जिम्मेदारी संभाल हुए हैं, उनसे मिलीभगत और सांठगांठ के जरिए ही कुछ चुुनिंदा सौर उर्जा प्रतिष्ठानें स्वयं और अपनी छाया प्रतिष्ठानों के माध्यम से सरकार का खजाना लूट रहीं हैं और उनसे क्रेडा के उच्चाधिकारी से लेकर तमाम जिम्मेदार भी उपकृत हो रहे हैं। जनता से रिश्ता ने सूचना के अधिकार के तहत क्रेडा के जनसूचना अधिकारी से नक्सल प्रभावित इलाकों में कितने सोलर ड्यूल पंप लगे और एक पंप स्थापित करने में आने वाले खर्च की जानकारी मांगी थी लेकिन क्रेडा के जनसूचना अधिकारी अभिषेक शुक्ला ने नक्सल प्रभावित जिलों में विभिन्न विन्यास के कुल 7660 नग सोलर ड्यूल पंपों की स्थापना होने की जानकारी देते हुए अलग-अलग विन्यास के सोलर ड्यूल पम्पों की दरे विभिन्न निविदाओं के तहत भिन्न-भिन्न प्राप्त होने का हवाला देकर एक पम्प स्थापित करने में आने वाले खर्च की गणना किया जाना अव्यवहारिक बताकर जानकारी देना असंभव बताया है। आरटीआई के तहत जानकारी न देकर भी क्रेडा द्वारा अनियमितताओं पर परदा डाला जा रहा है।
जनता से रिश्ता को सार्वजनिक और सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए निविदा मानकों के उल्लंघन में क्रेडा निविदाओं के तहत आवंटन और घटिया गुणवत्ता के वितरण के तहत सौर प्रणाली प्रतिष्ठान के आवंटन और निष्पादन में कदाचार को लेकर शिकायत मिली है। शिकायत पत्र प्रेषित करने वाले ने अपना नाम जाहिर नही करते हुए बताया है कि अखबार को यह पत्र प्रेषित करने से पहले उसने यह पत्र छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, अपर मुख्य सचिव उर्जा, सचिव ऊर्जा विभाग, सहित गृह मंत्रालय भारत सरकार को भी भेजा है। इसके अलावा अफसरों के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति के मामले में ईओडव्ल्यू-एसीबी में भी शिकायत दर्ज हुई है, जिस पर जांच लंबित है। पत्र में लिखा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी का गठन 25 मई 2001 को ऊर्जा के गैर-पारंपरिक और नवीकरणीय स्रोतों के विकास और संवर्धन के लिए किया गया। क्रेडा का उद्देश्य राज्य में विभिन्न नई और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि क्रेडा जैसी किसी भी तरह की इकाई में काम का आवंटन और निष्पादन के लिए हालाकि टेंडर प्रक्रिया और अच्छी तरह से निर्धारित मानदंड और विनियम है, जिन्हें आमतौर पर सार्वजनिक धन और सार्वजनिक हित के सर्वोत्तम उपयोग को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन क्रेडा में आश्चर्यजनक रूप से कुछ व्यवसायिक संस्थाओं ने प्रवेश किया है जिसमें पीठासीन अधिकारियों की मिलीभगत ने लगभग सभी कामों को या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुछ डमी इकाई के माध्यम से खराब गुणवत्ता के साथ निष्पादित किया और सार्वजनिक धन का वंदरबांट किया। पत्र में कुछ संस्थाओं और उसके संचालकों का उल्लेख किया गया है जिनकी क्रेडा के सीईओ के साथ सीधा मिलीभगत होने की बात कही गई है। इस संस्थाओं का उल्लेख करते हुए पत्र में लिखा गया है कि बहुत ही अपारंपरिक और लगभग असंभव प्रतित होता है कि कैसे ये तीनों संस्थाएं पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में 80 प्रतिशत तक सौर ऊर्जा प्रतिष्ठानों का निष्पादन कर रही हैं, जो कि सबसे कम वितरण के साथ अलग-अलग निविदाओं के तहत होती हैं और इन पर न तो कोई जांच होती है और न ही कोई संतुलन, होता है तो सिर्फ सवालिया निशान। ये तीन संस्था ही सीईओ के सीधे संपर्क में रहते हुए सभी निविदाएं प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
पत्र में कुछ निविदाओं का उल्लेख किया गया है जिनमें निविदा मानदंडों के पूर्ण उल्लंघन और अनियिमतता होना बताया गया है।
सर्वेक्षण, डिजाइन, आपूर्ति, स्थापना के लिए निविदा संख्या 7000/CREDA/SPV-PUMPS/SSY-IV/2019 दिनांक 30-09-2019 के साथ-साथ Corrigendum-I-7628 दिनांक 13-08-2019 के संबंध में सौर फटोवोल्टिक सिंचाई पंपों का उल्लेख है। जिसमें वितरित कार्य की गुणवत्ता बहुत कम है और निविदा मानदंडों के पूर्ण उल्लंघन में है। सौर फोटोवोल्टिक सिंचाई पंपों के लिए जिन पंपों को टेंडर 7000/क्रेडा/एसपीवी-पम्पस/एसएसवाई/2019 दिनांक: 30-07-2019 के साथ कारिजेन्डम--7628 दिनांक 13-08-2019 को लगाया है अवर गुणवत्ता और क्रेडा प्राधिकरण पूरी तरह एक ही के लिए अंधा मोड़ है। सौर पैनल के कक्ष जो अधिकांश सिस्टम इंटीग्रेटर्स द्वारा स्थापित किए गए हैं घटिया हैं और चीन में बने हुए है लेकिन आज तक कोई मानक संचालन प्रक्रिया इसे जांचने के लिए क्रेडा ने नहीं रखी है, क्रेडा के अधिकारी पात्र बोलीदाताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए झूठे बयानों पर आंख मूंद कर भरोसा कर रहे है। क्रेडा के टेंडरों ने विशेष रूप आवश्यक नागरिक कार्यो की ड्राइंग और आवश्यक प्रतिष्ठानों के लिए माड्यूल माउंटिंग संरचनाएं प्रदान की हैं लेकिन लगभग सभी इंस्टालेशन में माड्यूल बढ़ते ढ़ाचे का वजन टेंडर विनिर्देशन से कम है और अधिक विशेष रूप से वजन और क्रेंद्रीय बीम की मोटाई है, जिस पर स्थापना को आराम दिया जाता है टेंडर मानक से परे है। केन्द्रीय बीम और माड्यूल उरला स्थित एक एक इस्पात संयंत्र से खरीदे गए हैं जिसे एंजेसी ने 3000000 लाख रुपए जारी किया है जो यह स्थापित करती है कि सिस्टम इंटीग्रेटर्स मुख्य रुप से गलत तरीके से उच्च राशि का भुगतान कर रहे हैं। जिससे पता चलता है कि उन्होंने क्रेडा से पहले एक झूठी गुणवत्ता रिपोर्ट प्रस्तुत करने लिए एक अच्छी गुणवत्ता की संरचनाएं खरीद हैं और फिर चित्रित गुणवत्ता की कीमत में अंतर की धुन पर संतुलन का दावा किया है। एजेंसियों द्वारा कार्य प्रगति को लेकर भी सरकार को झूठी जानकारी दी जाती है जबकि आवंटित कार्य का 60 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ है।
इसी तरह टेंडर डाकूमेंट नंबर 18982/ /CREDA/HOR/RE-III/SAUBHAGYA/SPV-HLS/इ बिड/2017 दिनांक 20/11/2017 के संबंध में डिजाइन
आपूर्ति, स्थापना कमीशन के लिए सौर फोटोवोल्टिक होम लाइटिंग सिंस्टम के लिए जारी निविदा के अनुपालन में कार्य आवंटन और निष्पादन में कम अनुभवी संस्था को गलत तरीके से शामिल कर उपकृत किया जाना बताया गया है।
टेंडर डाकूमेंट नंबर 12855/CREDA/Solar Mast/-2019 के संबध में दिनांक 24-10-2019 के संदर्भ में कहा गया है कि विनियमन है कि किसी भी परियोजना में किसी भी निविदा के तहत किसी भी व्यक्ति और उसकी फर्म या कंपनी के नाम पर केवल एक ही एस्क्रो खाता हो सकता है लेकिन हैरानी की बात यह कि जिस एजेंसी को उक्त निविदा आवंटित हुई उसके संचालक के साधारण नाम के कारउ उनके नाम पर कई एस्क्रो खाते हैं जो वास्तव में उन सभी सफल बोलीदाताओं की ओर से काम को अंजाम दे रहे हैं जो केवल फर्म संचालक की ओर से संदिग्ध संस्थाओं के रूप में काम कर रहे हैं। भले ही हम इस बात से सहमत हों कि अनुबंध पर्याप्त हो सकते हैं स्थितियों से निपटने के लिए केवल एक एस्क्रो खाता खोला जा सकता है लेकिन उपकृत होने वाले तीन फर्म के संचालकों के नाम पर कई एस्क्रो खाते है जो स्पष्ट रूप से स्थापित है कि गैरकानूनी रूप से अपने प्रवाह और भ्रष्ट प्रथाओं को कबर करने के लिए वित्तीय प्रवाह को विभाजित कर रहे हैं। अगर इन फर्मो और कंपनियों के खातों की जांच पड़ताल की जाती है तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।