छत्तीसगढ़
रायपुर में यौमे आशूरा पर निकला मातमी जुलूस, देखें VIDEO...
Shantanu Roy
6 July 2025 5:04 PM GMT

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छग
Raipur. रायपुर। राजधानी रायपुर में शनिवार को यौमे आशूरा के अवसर पर हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए हुसैनी मातमदारों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मोमिनपारा स्थित हैदरी मस्जिद से पारंपरिक मातमी जुलूस निकाला गया, जिसमें काले वस्त्रों में शामिल हजारों लोगों ने मातम कर इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया। बरसते पानी के बीच निकले इस जुलूस में श्रद्धालुओं की आस्था की गहराई साफ झलक रही थी। ताज़ियों और अलमे मुबारक (हुसैनी ध्वज) से सजे इस जुलूस ने शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए करबला तालाब तक का सफर तय किया। जगह-जगह आम जनता और समितियों की ओर से पुलाव, शरबत, सबील, चाय, फल और तबर्रूक का वितरण किया गया।
करबला की कुर्बानी को किया याद
जुलूस से पूर्व हैदरी मस्जिद मोमिनपारा में यौमे आशूरा की विशेष नमाज़ अदा की गई और पेश इमाम मौलाना असगर मेहदी साहब द्वारा करबला की घटना पर आधारित आमाल संपन्न कराए गए। जुलूस जब आज़ाद चौक पहुंचा, तो मौलाना असगर मेहदी ने हज़रत इमाम हुसैन की शहादत पर मार्मिक तक़रीर करते हुए कहा "हज़रत इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत को बचाने के लिए यज़ीद जैसे अत्याचारी के सामने झुकने के बजाय करबला की रेत में अपने 72 साथियों सहित शहादत दी। ये बलिदान हमें अन्याय और अधर्म के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।"
जुलूस में ताज़ियों की रौनक और नौहाख्वानों का मातम
जुलूस में कलात्मक ताज़ियों की भव्यता देखते ही बनती थी, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उमड़ पड़े। अंजुमन अकबरिया, अंजुमन इमामिया और हुसैनी ग्रुप के नौहाख्वानों ने नौहे पेश कर माहौल को ग़मगीन बना दिया। जुलूस मोमिनपारा, हांडीपारा, आज़ाद चौक, आमापारा, विवेकानंद आश्रम, GE रोड होते हुए देर रात करबला तालाब पहुंचा, जहां समापन के पश्चात "शाम-ए-ग़रीबां" की मजलिस का आयोजन हुआ। इसमें मौलाना मोहम्मद आलिम साहब (मुज़फ्फरनगर) ने करबला की घटनाओं पर रोशनी डाली।
प्रशासन रहा मुस्तैद
पूरे कार्यक्रम के दौरान जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए थे। मातमी जुलूस का नेतृत्व हैदरी मस्जिद ट्रस्ट के मुतवल्ली हैदर अली ने किया। जुलूस को सफल बनाने में मातमदारों, ट्रस्ट के पदाधिकारियों, कार्यकारिणी सदस्यों, अंजुमनों और स्थानीय गणमान्य नागरिकों का विशेष सहयोग रहा।
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Shantanu Roy
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