छत्तीसगढ़

कोविड काल में सावधानी बरतते हुए बेहतर भविष्य कि की जा सकती है कल्पना- रानी स्व सहायता समूह

Admin2
27 May 2021 4:51 PM GMT
कोविड काल में सावधानी बरतते हुए बेहतर भविष्य कि की जा सकती है कल्पना- रानी स्व सहायता समूह
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जशपुर। कोविड काल की कठिनाइयों का सामना करती हुई स्व सहायता समूह की महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी है, वे सभी कोविड नियमों का पालन करते हुए गोठानो में आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए अपने रोजगार के साधनो को संजो रही है। कांसाबेल विकासखंड के बगिया गोठान में कार्यरत रानी स्व सहायता समूह की महिला सदस्यों ने लगभग आधे एकड़ में अदरक की खेती शुरू की है। महिलाओ द्वारा मास्क उपयोग, सहित अन्य कोविड-19 सभी गाईड लाइन का पालन भी किया जा रहा है। अदरक की खेती के लिए महिलाओ की अब तक लागत राशि लगभग 17 हजार रुपये है एवं करीब 25 से 30 क्विंटल अदरक के उत्पादन का लक्ष्य अनुमानित है। जिससे लगभग 2 लाख रुपये तक मुनाफा होने की उम्मीद है।

कलेक्टर श्री महादेव कावरे एवं जनपद सीईओ कांसाबेल श्री एल.एन. सिदार द्वारा भी बिहान कार्यक्रम से जुड़ी इन महिलाओ को आवश्यतानुसार सहायता प्रदान की जाती है। उन्हें आत्म निर्भर बनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण एवं आवश्यक सामग्रियां भी उपलब्ध कराया जाता है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के विकासखंड कार्यक्रम प्रबन्धक श्री कमलेश श्रीवास ने बताया की एनआरएलएम के समुदाय आधारित संवहनीय कृषि कार्यक्रम के तहत तकनिकी सहायता एवं प्रशिक्षण महिला सदस्यों को दी जा रही रही है। महिला सदस्यों ने साबित किया है मुसीबतों के सामने हार न मानकर डटे रहना ही जिंदगी है।साथ ही कोविड काल में सावधानी रखते हुए भी बेहतर भविष्य की कल्पना की जा सकती है।

एनआरएलएम के यंग प्रोफेशनल एवं कृषि विशेषज्ञ श्री बलराम सोनवानी ने बताया की विकास खण्ड के अन्य गोठान जैसे बटईकेला, कोटनपानी , पतरापाली एवं चोंगरीबाहर में भी महिला समूह द्वारा अदरख एवं हल्दी की खेती करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि महिलाओ द्वारा आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देते हुए खेती हेतु जैविक खाद, जैविक कीटनाशक का प्रयोग किया जा रहा है। जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक के प्रयोग से खेत की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होगी, मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व की प्राप्ति होगी। यह फसलों के उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक है। साथ ही समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा भी तकनीकी सहायता ली जा रही है। महिलाओ द्वारा इस प्रयोग के सफल होने पर आगे चलकर बड़े पैमाने पर जैविक खेती करने का लक्ष्य किया जा रहा है।

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