छत्तीसगढ़

61 बेटियों को नगरनार इस्पात संयंत्र में मिलेगी नौकरी, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने लिया ऐतिहासिक निर्णय

jantaserishta.com
14 July 2021 1:21 AM GMT
61 बेटियों को नगरनार इस्पात संयंत्र में मिलेगी नौकरी, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने लिया ऐतिहासिक निर्णय
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61 बेटियों को नगरनार इस्पात संयंत्र में मिलेगी नौकरी

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सुनवाई के बाद संपत्ति में समानता के अधिकार के आधार पर 12 वर्ष से इंतजार कर रहीं 61 बेटियों के एनएमडीसी के नगरनार स्थित इस्पात संयंत्र में नौकरी के लिए पात्र पाया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की उपस्थिति में मंगलवार को जगदलपुर में बस्तर जिले से संबंधित 98 प्रकरणों की सुनवाई कलेक्टोरेट स्थित प्रेरणा कक्ष में की गई।

इस सुनवाई के दौरान नगरनार इस्पात संयंत्र में समानता के अधिकार के आधार पर नौकरी की मांग करने वाली 71 महिलाओं के प्रकरण भी शामिल थे। प्रकरण की सुनवाई के दौरान आयोग के द्वारा नामित सदस्यों की लिखित रिपोर्ट की प्रति आयोग को प्रस्तुत किया गया। 25 दिसंबर 2006 को कट आॅफ डेट के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार मात्र 18 बेटियों को नौकरी के लिए पात्र पाया गया था, लेकिन महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने कहा कि कट आॅफ डेट का प्रावधान जमीन की खरीद फरोख्त पर नियंत्रण के लिए है तथा यह नियम वारिसान के प्राकृतिक अधिकार पर लागू नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि बेटियां जन्म से ही पिता के संपत्ति में अपना स्वामित्व धारण करती है और बेटे के समान ही बेटियों को भी संपत्ति में बराबरी का हक मिलना ही चाहिए। कलेक्टर श्री बंसल ने कहा कि हिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन हो चुका है।
इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय के हाल ही के निर्णय में पुत्र और पुत्री को समान अधिकार देने का निर्देश भी है। इन 71 मामले में से 10 मामलों में वन टाईम सेटलमेंट और नौकरी दिये जाने के निर्देश हैं। इस कारण इन 71 प्रकरण में से 10 प्रकरणों में वन टाईम सेटलमेंट की जांच कर 10 दिन के भीतर रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इन 10 मामलों में भी उचित निर्णय लिया जा सके। वहीं 61 महिलाओं को नौकरी के लिए पात्र पाए जाने पर इनकी नौकरी के लिए एनएमडीसी के हैदराबाद कार्यालय से आवश्यक कार्यवाही पूरी कराने के निर्देश जिला कलेक्टर बस्तर को दिए गए। सुनवाई के दौरान 20 प्रकरणों की सुनवाई पूरी कर मामले को निराकृत किया गया, जिसमें दहेज प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना, मानसिक प्रताड़ना से संबंधित प्रकरण शामिल थे।
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