छत्तीसगढ़

ब्रह्मा बाबा की 54वीं स्मृति दिवस को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया

Nilmani Pal
18 Jan 2023 10:51 AM GMT
ब्रह्मा बाबा की 54वीं स्मृति दिवस को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया
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भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा की 54वी स्मृति दिवस सो समर्थी दिवस को भिलाई सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया. भिलाई सेवा केंद्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने पिताश्री ब्रह्मा बाबा के संस्मरण सुनाते हुए कहा की ब्रह्मा बाबा ने शांति की शक्ति द्वारा स्व के स्वभाव संस्कार का परिवर्तन कर नई दुनिया की स्थापना का श्रेष्ठ कार्य प्रारम्भ किया जैसे साइंस के चमत्कार देखते हैं ऐसे शांति की शक्ति का चमत्कार अनुभव कर दूसरों को भी कराना है. शांति की शक्ति सबसे महान शक्ति है दुनिया को आज शांति की शक्ति की आवश्यकता है|

साइलेंस पॉवर से जितना हो सके स्वयं को सुधारना है जितना हृदय शुद्ध होगा उतना औरों को भी शुद्ध बनाएंगे, राजयोग से ही हृदय शुद्ध होता है. आवाज से परे अनुभव करना है साइलेंस इज गोल्ड, शांति की शक्ति ही विश्वकल्याण की स्थिति है| विघ्नों से डरना नहीं है ईश्वर अर्पण कर ट्रस्टी बनकर रहना है. आज के विशेष वरदानी दिवस पर सच्चाई से अपनी जांच कर देह अभिमान की खामी निकालते जाओ.

पिता श्री ब्रह्मा बाबा कहते थे की हमारा जीवन मोस्ट वैल्युएबल हीरे तुल्य है,अभिमान वाला वैल्युएबल नहीं बल्कि स्वमान श्रेष्ठ स्थिति वाला वैल्युएबल। ब्रह्मा बाबा कहते थे की व्यर्थ संकल्पों से भारीपन और थकावट होती है इसलिए समर्थ बन समर्थ संकल्पों की रचना करनी है. हर मनुष्य आत्मा व प्रकृति के प्रति शुभ भावना रखना ही विश्व कल्याणकारी बनना है मन की एकाग्रता पर अटेंशन देना है.

आशा दीदी ने बताया की वरदानी मास वरदानी दिन वरदानी जीवन है हमारी, अंतिम श्वास, अंतिम दिन का पता नहीं इसलिए पिताश्री ब्रह्मा बाप समान जीवन के अंतिम समय तक विश्वकल्याण का कार्य करना है जैसे ब्रह्मा बाबा ने जीवन के अंतिम क्षणों तक सेवा की. पिताश्री ब्रह्मा बाबा के अंतिम महावाक्य थे निराकारी, निर्विकारी, निरअंहकारी। संस्था प्रमुख होते हुए भी पिता श्री ब्रह्मा बाबा हर छोटा-बड़ा कार्य करके सबको शिक्षा देते थे.

पिताश्री ब्रह्मा बाबा कहते थे की जो चीज जितनी साधारण होती है वह उतनी ज्यादा सत्य के करीब होती है. कोई भी कार्य छोटा बड़ा नहीं होता श्रेष्ठ स्थिति श्रेष्ठ स्मृति है तो छोटा कार्य भी महान हो जाता है. जिन माताओं बहनों को समाज में नारी नरक का द्वार कहकर अपमानित किया ब्रह्मा बाबा ने उनका ट्रस्ट बनाकर इतने विशाल बेहद कार्य के निमित्त निर्भय शिवशक्ति बनाया। ब्रह्मा बाबा जितने सम्मान के साथ बड़ों से मिलते थे उतने ही आदर के साथ छोटों को परमात्म स्नेह की अंचली देते।

परमात्म शिक्षाओं का साकार माध्यम बन पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने विश्व कल्याण का बीज बोया जो आज समूचे विश्व को शांति की शीतल छाया प्रदान कर रहा है. पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मुख्य शिक्षाओं को वीडियो एवं चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया. ज्ञात हो की पिताश्री ब्रह्मा बाबा की 54वी स्मृति दिवस को भिलाई,दुर्ग छत्तीसगढ़ सहित समूचे विश्व के सभी सेवाकेंद्रो में विश्व शान्ति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है | जिसमे सभी ब्रह्मा वत्स अमृतवेले ब्रह्ममुहूर्त से ही मौन में रह संगठित रूप से राजयोग मेडिटेशन द्वारा विश्व में शांति के प्रकम्पन प्रवाहित किये।

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