छत्तीसगढ़

5 दिवसीय माता मावली मेले का हुआ समापन

Nilmani Pal
20 Feb 2023 8:17 AM GMT
5 दिवसीय माता मावली मेले का हुआ समापन
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नारायणपुर। जिला मुख्यालय में विगत 5 दिनों से चल रहे ऐतिहासिक मावली मंडई का समापन गत रात्रि हो गया। इस दौरान समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सांसद दीपक बैज एवं विधायक नारायणपुर एवं हस्त शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप उपस्थित थे। समारोह मे मुख्य आतिथ्य की आसंदी से अपने संबोधन में सासंद बैज ने कहा कि मावली मंडई क्षेत्रीय लोक संस्कृति एवं परंपरागत आस्था का प्रतीक है जो सैकड़ो सालो से इसक निर्वहन करते चली आ रही है। इस मेले में देवी देवताओं के संगम के अलावा उनके परंपरागत आराधना इस मेले को विशिश्ट बना देता है इस प्रकार स्थानीय जनों को एकता के सूत्र में बांधने में मेंले की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके साथ ही उन्होने आगे कहा कि इसी संस्कृति एवं लोक कला को संरक्षण देने एवं उसे विलुप्त होने से बचाने के लिए राज्य शासन द्वारा विशेश प्रयास किये गये हैै। इनमें देव गुड़ी एवं गोटूल जैसे आदिम परंपराओ के केन्द्र का पुनरूथान कर उसे पुनः स्थापित किया जा रहा हैै। इसके अलावा विगत 4 सालों में नारायणपुर जिले में विकास के नये अध्याय शुरू हुआ है। फिर चाहे वह दुर्गम क्षेत्र में सड़क मार्गो का विकास हो या अबुझमाड़ क्षेत्र में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के केन्द्रों में बढ़ोत्तरी हो जहां उल्लेखनीय रूप से कृशकों द्वारा धान विपणन किया गया या फिर मुख्यालय के बंधुआ तालाब का सौदर्यीकरण हो या फिर छोटेडोंगर में आत्मानंद स्कूल, महाविद्यालय, आईटीआई केन्द्र खोलने की बात हो इसके अलावा रावघाट रेल परियोजना के तहत् जिले तक रेल का परिचालन भी शीघ्र किया जा रहा है। कुल मिलाकर माननीय मुख्यमंत्री के मंशानुरूप आदिवासी क्षेत्रों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही उन्होने इस 5 दिवसीय मेले के नियोजित एवं सुचारू रूप से संचालन पर जनप्रतिनिधियो एवं प्रशासन को साधुवाद दिया।

मौके पर विधायक ने भी मेले की भव्यता़ एवं प्रशासनिक इंतजामात के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि माता मावली के इस पवित्र धरा मे इस 5 दिवसीय मेले का निर्विघ्न पूरा होना सफल आयोजन का प्रमाण है। देश दुनिया के लोग अबूझमाड़ को यहां की गौरवशाली परम्परा, कला संस्कृतिक के नाम से जानते हैं। माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है, जिसे लोग एक उत्सव के रूप में मनाते आये हैं। आमजनों के मनोरंजन के लिए मेला आरंभ होने के दिन से अंतिम दिन तक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये थे। जिसका सभी ने भरपूर आनंद उठाया। मेले को सभी वर्गाे को एक जुट एवं भागीदारी के सूत्र मे बाधने वाला उत्सव बताते हुए उन्होने आशा व्यक्त किया कि भविश्य में भी मेले की भव्यता एवं आस्था का इसी प्रकार निर्वहन किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होने शासन के कल्याणकारी कदमों तथा लोक संस्कृतियों को सहेजने के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। समारोह के अंत में मुख्य अतिथियो को स्मृति चिन्ह दिया गया। इसके साथ ही कार्यक्रम में लोक संध्या रायपुर के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।

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