छत्तीसगढ़
अक्षर अक्षर जोड़कर 40 साल की महिला ने पहले सीखा अपना नाम, फिर गांव लिखना
Nilmani Pal
7 Oct 2021 11:47 AM GMT
x
कोरिया। पढ़ाई-लिखाई और अक्षर ज्ञान पढ़ने से वंचित रही 40 साल की उर्मिला की पढ़ने की इच्छा को पढ़ना लिखना अभियान के तहत संचालित साक्षरता मुहल्ला कक्षा ने पूरा किया है। विकासखंड मनेन्द्रगढ़ के ग्राम पंचायत ताराबहरा के ग्राम पतेराटोला की उर्मिला ने साक्षरता केंद्र पतेराटोला में अध्ययन किया। 40 वर्ष की उम्र में अपनी मेहनत से उन्होंने अक्षर ज्ञान हासिल किया। उर्मिला बताती हैं कि परिवारिक परिस्थितियों ने कभी पढ़ाई-लिखाई की ओर बढ़ने ही नही दिया, पर अब साक्षरता मुहल्ला कक्षा में मुझे पढ़ना-लिखना अच्छा लगा और वहां रोज नया सीखने को मिला। कक्षा की वॉलेंटियर श्रीमति उषा बताती है कि उर्मिला नियमित रूप से कक्षा में आती और नए-नए सवालों से कुछ नया जानने की हमेशा कोशिश करती। उर्मिला की लगन देखकर कक्षा में उपस्थित बाकी लोग भी प्रोत्साहित होते। उर्मिला ने अपनी मेहनत और साक्षर बनने की ललक को बनाये रखा और अब वे लिख भी रही हैं और पढ़ भी रही हैं।
पढ़ना-लिखना अभियान असाक्षरों को साक्षर बनाने का प्रयास है। अभियान के अंतर्गत बीते 30 सितम्बर को प्रौढ़ शिक्षार्थी के आंकलन के लिए महापरीक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें कुल 175 केंद्रों के माध्यम से कुल 7 हजार 289 शिक्षार्थी शामिल हुए। जिसमें 5 हजार 673 महिला, 1 हजार 615 पुरूष एवं 1 तृतीय लिंग शिक्षार्थी शामिल हुए।
प्रौढ़ शिक्षार्थी आंकलन परीक्षा ने अपने आप में अनूठी मिसालें कायम की है। जहां ट्रांसजेंडर महिला श्रीमती रूनिया ने परीक्षा दिलाई। तो वहीं प्राथमिक शाला चिउटीमार में श्रीमती अनारकली अपनी बेटी सुश्री कुसुमकली तथा पुत्रवधु गोदकुंवर के साथ परीक्षा में शामिल हुई। आंकलन केन्द्र छापरपारा में श्रीमती सुनीता ने अपने बच्चे के साथ परीक्षा दिलाई तथा नगर पालिका बैकुण्ठपुर के प्राथमिक शाला चेर में दिव्यांग विजय परीक्षा में शामिल हुए।
Nilmani Pal
Next Story