छत्तीसगढ़

आरक्षक के नाम से 32 लाख का घोटाला, ऐसे खुली पोल

Nilmani Pal
1 Nov 2022 9:11 AM GMT
आरक्षक के नाम से 32 लाख का घोटाला, ऐसे खुली पोल
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छग

बिलासपुर। ड्यूटी से गैरहाजिर आरक्षक के खाते में 7 साल तक वेतन डाला जाता रहा। हिसाब लगाया गया तो कुल 32 लाख रुपये का घोटाला पाया गया। इसकी जांच के दायरे में चार कर्मचारियों में से एक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दस्तावेज दिया बिना की जा रही कार्रवाई को चुनौती दी है।

प्रकरण के मुताबिक जीपीएम जिले का रहने वाला जगमोहन पोर्ते ने 2013 में सिविल लाइन थाने में सिपाही के पद पर ज्वाइनिंग दी। सन् 2014 को वह ड्यूटी से गैरहाजिर हो गया। इसकी कोई सूचना उसने विभाग को नहीं दी, न ही विभाग ने ही उसका पता लगाने की कोशिश की। इस बीच उसके नाम पर लगातार वेतन, एरियर्स और ग्रेच्युटी बनाया जाता रहा और खाते में राशि जमा की जाती रही। सन् 2021 में सिपाही की मौत हो गई। इस दौरान पुलिस अधीक्षक कार्यालय को जानकारी मिली कि आरक्षक वर्षों से गायब है पर उसके नाम पर हर माह वेतन और अन्य देयक निकल रहे हैं। एसएसपी पारुल माथुर ने इसकी जांच के लिए एडिशनल एसपी रोहित झा के नेतृत्व में टीम बनाई। टीम ने विभागीय जांच के लिए वेतन शाखा प्रभारी भागीरथी महार, सुधीर श्रीवास्तव, आशुतोष कौशिक व सुरेंद्र पटेल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

इनमें से सुधीर श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ जिन आरोपों की जांच हो रही है, उससे संबंधित दस्तावेज मांगे जाने के बावजूद नहीं दिए जा रहे हैं। इसलिए यह जांच की प्रक्रिया नियम विरुद्ध है। हाईकोर्ट में जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए एसएसपी व अन्य संबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।


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