पूर्व सीईओ पर 25 हज़ार का लगा अर्थदंड, जानिए क्या है वजह

कोरबा। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नही देने के मामलें में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त ने बड़ी कार्रवाई की है। वर्ष 2018 में पदस्थ कोरबा जनपद सीईओ पर 25 हजार रूपये अर्थदंड लगाया है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार और अधिकारियों के कामकाज में सुधार लाने और पारदर्शिता लाने का एक सार्थक प्रयास है। सूचना का अधिकार देश में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और अधिकारियों में लालफीताशाही को नियंत्रित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा।
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पदाधिकारियों का पदों के प्रति जवाबदेह होना जरूरी है। इस अधिनियम के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसके अंतर्गत कोई भी नागरिक लोक प्राधिकारी के कार्यकलापों के संबंध में सूचना प्राप्त कर सके। यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा संबंधित को समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो ऐसे अधिकारियों को, राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य सूचना आयोग द्वारा दंडित किया जा सकता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शरद देवांगन, श्रीराम कालोनी बेलादुला रायगढ़ ने वर्ष 2018 में अपने आवेदन में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा (जन सूचना अधिकारी) से जिला कोरबा में पदस्थ सहायक शिक्षक (पंचायत), शिक्षक (पंचायत) की सूची की सत्यापित छायाप्रति की मांग की थी। लेकिन किंतु वांछित जानकारी समय पर प्राप्त नहीं होने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी को 28 फरवरी 2018 को आवेदन किया। प्रथम अपीललीय अधिकारी ने इस प्रकरण में कोई निर्णय नहीं दिया, जिससे क्षुब्ध होकर छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की।
राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने आवेदन का अवलोकन कर अधिनियम के तहत मामले को गंभीरता से लिया। सूचना देने में कोताही बरतने पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा जीआर बंजारे के विरूद्ध कार्रवाई के लिए कलेक्टर कोरबा और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा से कहा है, तत्कालिक अधिकारी के वेतन से राशि वसूल की जाएगी।
